Monday, November 23, 2009

लूट के सरपरस्त

पैसा चाहे दान का हो या लूट का, सफेद हो या काला, श्रम से आया हो या धतकरम से, निवेश से मिला हो या उपनिवेश से.. पैसा अपना रास्ता तलाश ही लेता है। काले पैसे की दुनिया में अकेले सिर्फ देने, लेने या लूटने वाले हाथ ही नहीं होते बल्कि इसे सहेजने, संजोने, निवेश करने और लूट को धोने की लॉंड्री चलाने वाले हाथ भी होते हैं। तब ही तो राजनीतिक भ्रष्टाचार जरिये दुनिया में हर साल 1.6 खरब डालर की लूट (विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र संघ का आकलन)होती है, जो कैरेबियन कैमन आइलैंड,अफ्रीका में लाइबेरिया से लेकर यूरोप में लंदन और पूर्व में मकाऊ तक कर बचाने के स्वर्गो छिप जाती है या फिर शेयर बाजार और अचल संपत्ति के धंधे में खप जाती है। बड़ी दिलचस्प बात है कि लूट के इस खेल में देने लेने वाले हाथ भले ही छिपे हों लेकिन लूट की हिफाजत करने वाले हाथ सबको दिखते हैं। काली कमाई को धोने वाले यह हाथ इतने उजले हैं कि इन्हीं के जरिये विकासशील देशों के भ्रष्ट राजनेता और अपराधी हर साल 500 से 800 अरब डॉलर यानी प्रतिदिन करीब दो अरब डॉलर पार कर देते हैं।
लूट का माल जमीन में डाल
भ्रष्ट राजनेताओं से लेकर चालबाज उद्यमियों तक जमीन सबके कुकर्म को शरण देती है तभी तो अचल संपत्ति कीमतों में कोई तुक तर्क नहीं होता और सत्यम के संकट की पृष्ठभूमि राजू परिवार के अचल संपत्ति निवेशों से जुड़ती है। भारत के उभरते हुए शहर अचल संपत्ति के निवेशकों का स्वर्ग हैं और वित्त मंत्रालय के ताजे आंकड़ो मुताबिक 2008-09 में करीब 2000 करोड़ रुपये के कर चोरी मामलों के साथ भारत का अचल संपित्त क्षेत्र काली कमाई की जन्नत है। अंतरराष्ट्रीय संगठन फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की रिपोर्र्टे अचल संपत्ति और मनी लॉड्रिंग के रिश्ते बखानने वाले उदारहणों से भरी पड़ी हैं। अमेरिका में यह मानने वालों की कमी नहीं है कि दुनिया को हिलाने वाला वित्तीय संकट वहां की अचल संपत्ति के भ्रष्टाचार से उपजा था। अमेरिकी जनता को अपने अचल संपत्ति डेवलपरों संगठन नेशनल एसोसिएशन ऑफ रिएलटर्स की ताकत का अंदाजा है। यह 2008 में अमेरिका के राष्ट्रपति के चुनावों में यह संगठन चंदा देने वालों में सबसे ऊपर था। बताते चलें कि अमेरिका में 2006 तक दस सालों के दौरान संदेहास्पद वित्तीय गतिविधियों के करीब 260 मामलों में 132 केवल अचल संपत्ति से संबंधित थे। दरअसल अचल संपत्ति के कारोबार में काली कमाई को धोना सबसे आसान है क्यों कि यहां कर्ज, ट्रस्ट, फर्जी कंपनियों सहित दर्जनों ऐसे रास्ते हैं रास्ते जहां लूट का माल खप जाता है इसलिए कर चोरी के स्वर्गो की दुनिया में जमा धन भी बडे़े पैमाने पर अचल संपत्ति के अंतरराष्ट्रीय खेल में पनाह पाता है। इन जन्नतों में सब माफ
कर बचाइये,संपत्ति प्रबंधन सेवा का लाभ उठाइये। .. दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित वित्तीय पत्रिकाओं में आमतौर पर छपने वाले इस तरह के विज्ञापन कर चोरी के स्वर्गो से जुडे़े एजेंटों के होते हैं। जी 20 की बैठकों में होने वाले दिखावे पर मत जाइये। इस वित्तीय संकट से पहले भी दुनिया में कर चोरी के स्वर्ग थे और अब भी करीब 70 टैक्स हैवेन काम कर रहे हैं, जिनमें से 25 तो यूरोप में हैं। दुनिया के भ्रष्ट नेताओं की लूट यहां किस तरह पनाह पाती है इस पर अगर किसी को शक हो तो उसे स्विटरजरलैंड के विदेश मंत्री के अप्रैल में दिये गए बयान को याद करना चाहिए। जिसमें उन्होंने माना था कि नाइजीरिया में रिश्वतखोरी के 1800 लाख डॉलर स्विस बैंकों में जमा हैं और सरकार इसे वापस करने को तैयार है। इन कर स्वर्गो के सहारे दुनिया के देशों के लूट के अरबों डॉलर उड़ जाते हैं। तभी तो चैनल आईलैंड के बैंकों में 1975 से जमा राशि जो अरब डॉलर थी पिछले साल 200 अरब डॉलर पहुंच गई है। स्वतंत्र अध्ययनों में यह माना गया है कि इन लूट के पनाहगारों के पास करीब 2.7 खबर डॉलर जमा हैं जो कि दुनिया में कुल बैंक जमा का 20 फीसदी है। भ्रष्ट नेता, अधिकारी व कंपनियों के जरिये विकासशील मुल्कों से होने वाली कैपिटल फ्लाइट के सहारे यह जन्नतें इस कदर गुलजार हैं यिह आईएमएफ को यह कहना पड़ा कि दुनिया के वित्तीय बाजारों में लगभग एक तिहाई निवेश टैक्स हैवेन के जरिये होता है। अंकटाड को सुनिये जो यह कहता है कि दुनिया का एक तिहाई प्रत्यक्ष निवेश कर चोरी के स्वर्गो के जरिये होता है।
वित्तीय बाजार में सबका उद्धार
काली कमाई है तो उसे अचल संपत्ति में धोइये और कर स्वर्गो में संजोइये। बाद में तो सब वित्तीय बाजार में ही आना है क्यों कि लक्ष्मी चंचला है और दुनिया के वित्तीय बाजार उसका क्रीडांगन हैं। कर स्वर्गो में जमा राशि से दुनिया वित्तीय बाजार झूमते है ंऔर हेज फंड मौज करते हैं। दुनिया को 1998 में कनाडा के वाईबीएम मैगेक्स कार्पोरेशन को नहीं भूलना चाहिए जिसे अरबों डॉलर की मनी लॉड्रिंग का स्रोत माना गया था और शेयर बाजार से हटा दिया गया था। इस तरह की पता कितनी और कंपनियां शेयरों से लेकर जिंस बाजारों तक फैली हैं जिनका अतीत और वर्तमान नहीं परखा जाता। वह तो वित्तीय बाजारों की लहरों पर मौज करती हैं और सफाई के साथ लूट का माल बाजारों में खपा देती हैं। कर स्वर्गो से निकला धन चूंकि उजला होता है इसलिए इसे पोर्टफोलियो निवेश में गिना जाता है फिर चाहे वह पैसा अचल संपत्ति की कीमतों में आग लगाये या शेयर और जिंस बाजारों को बेसिर पैर वजहों से उछाल दे। वित्तीय उपकरणों की इतनी किस्में आ चुकी हैं कि उनके बीच घूमकर सब कुछ साफ हो जाता है। तभी तो अमेरिकी सीनेट समिति ने केपीएमजी की जांच में यह पाया था वह कई तरह के अवैध कर बचत वित्तीय उपकरण बेचती है। मार्टगेज कर्जो से लेकर बीमा उद्योग तक पसरे खरबों के डॉलर के पोर्टफोलिया निवेश कौन सा पैसा कहां से आया है किसीको नहीं मालूम। बस पैसा एक बार इस मशीन में आ जाए तो वह साफ होकर ही निकलता है। दुनिया को अनाज, रोजगार, मकान, पानी, दवा, सड़कें और बिजली चाहिए। इन्हीं के लिए तो संयुक्त राष्ट्र संघ ने सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्य तय किये जिनके जरिये 2015 तक दुनिया से भूख व गरीबी मिटाई जानी है। हैरत में पड़ जाएंगे आप कि दुनिया को रहने लायक बनाने के इन लक्ष्यों अधिकतम लागत अधिकतम 528 अरब डॉलर है जो विकासशील देशों से हर साल होने वाली लूट से कम है। दुनिया इस खुली चोरी पर शर्मिदा है, मगर यह शर्मसार दुनिया गुस्से की नहीं हमारी की दया की पात्र है। क्यों कि देने लेने वाले हाथों को बांधने की बात तो दूर यह लूट के माल को ठिकाने लगाने के ठिकाने भी बंद नहीं कर पाती। काले धन की खपत रुक जाए तो इसकी पैदावार भी रुक सकती है, मगर लुटने वालों की बदकिस्मती तो देखिये कि दुनिया में आर्थिक उदारीकरण के बाद वित्तीय मशीन को चिकना करने लगी है। .. मूरत संवारने में बिगड़ती चली गई, पहले से हो गया है जहां और भी खराब।
anshumantiwari@del.jagran.com

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