Saturday, March 21, 2020

गाफिल गोता खाएगा


सबसे अक्लमंद वही है दुनिया में जो यह जानता है कि वह बहुत दूर तक नहीं देख सकताजब तक जिंदगी हमारे हिसाब से चलती हैहम अनिश्चितता की मौजूदगी को ही नकार देते हैंताजा इतिहास में पहली बार विश्व एक साथ दो ब्लैक स्वान (अप्रत्याशि घटनाक्रमसे मुखाति हैउस वक्त जब अर्थव्यवस्थाओं की हालत पहले से ढलान पर है. 

कोरोना वायरस के खौफ से दुनिया के तमाम देश पूरी तरह बंद हो चुके हैं और रूस से नाराज सऊदी अरब ने तेल उत्पादन बढ़ाकर बाजार को गहरी मंदी में धकेल दिया हैकच्चे तेल की कीमत 30 डॉलर प्रति बैरल तक टूटने से कई अर्थव्यवस्थाओं में आपातकाल  गया हैकोरोना दुनिया को रोक रहा है और तेल मंदी कमर तोड़ रही हैकोरोना के असर तो दिख रहे हैंतेल मंदी के प्रभाव का अंदाजा अभी लगाया जाना है.

यह दोहरी आपदा 2008 से संकट से बिल्कुल अलग हैवह संकट वित्तीय ढांचे से निकला थाकर्ज के बोझ के सामने बैंक फटने लगे थेग्रीस और स्पेन जैसे देश कर्ज चुकाने में चूके (सॉवरिन डिफॉल्टहुए थेवित्तीय तंत्र को तब बड़ा नुक्सान हुआ लेकिन बाजारों की ताजा गिरावट तब के मुकाबले कम है.

कोरोना और तेल मंदी के दौर में दुनिया भर के बैंकों के पास पर्याप्त पूंजी हैब्याज दरें न्यूनतम स्तर पर हैं और फंसे हुए कर्जों को लेकर बैंक अंधेरे में नहीं हैं.

वायरल फ्लू से परिचित दुनिया को पता है कि छह माह में कोरोना का असर तो कम हो ही जाएगाइसके बावजूद यह संकट 2008-09 से बड़ा क्यों लग रहा है?

कई दशकों में पहली बार कोई संकट सीधे वास्तविक अर्थव्यवस्था यानी खपतनिवेशरोजगार और सरकारों के राजस्व की जमीन से उभर रहा हैवित्तीय तंत्र (बैंकवित्तीय संस्थाएंशेयर बाजारकर्जमुद्राएंवास्तविक अर्थव्यवस्था के नक्शे कदम नापते हैं. 2008 में वित्तीय संकट ने अर्थव्यवस्था को पूंजी की आपूर्ति रोक दी थीजिसे बहाल कर हालात सुधार लिए गए.

इस वक्त भारत को छोड़करदुनिया की बैंकिंग बेहतर हालत में हैइसलिए हकीमों (केंद्रीय बैंकोंने सस्ते कर्ज (अमेरिका में ब्याज दरें शून्यका नल खोल दिया हैफिर भी मंदी का डर है क्योंकि

 जीडीपी टूटने के साथ उठा यह संकट बैंकों तक तैर जाएगा. 2008 के बाद ग्लोबल कॉर्पोरेट कर्ज 75 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच गया हैकारोबार थमने से नए कर्ज संकट का खतरा है.

 शुरुआती अनुमानों (ब्लूमबर्गके मुताबिकोरोना से दुनिया की अर्थव्यवस्था को 2.7 ट्रिलियन डॉलर का नुक्सान हो सकता हैजो 2008 के नुक्सान से ज्यादा हैताजा संकटों के असर से यह मंदी के निशान (2.5 फीसदसे नीचे 1.5 से 2 फीसद (गोल्डमैन सैक्सतक जा सकती है.

 फ्रांस और अमेरिका को टैक्स में रियायत देनी पड़ रही हैअन्य देशों में भी ऐसी मांग उठेगीऐसे में सरकारों के खजाने डूबेंगेउन पर कर्ज बढे़गा.

 2008 के बरअक्स यह संकट कमजोर अर्थव्यवस्थाओं को ज्यादा मारेगातेल की कीमतों में गिरावट से पश्चिम एशिया की छोटी अर्थव्यवस्थाएं टूट सकती हैंमंदी के पंजे सबसे पहले यूरो जोन को पकडेंगेचीन को वापसी में एक साल लगेगाअमेरिका एक छोटी मंदी (तेल की कीमतें टूटने के कारणझेलेगा.

ब्लैक स्वान वाले नसीम तालेब सुझाते हैं कि घोर अनिश्चितता के बीच फैसला लेते वक्त हमें नकारात्मक प्रभावों पर ध्यान देना चाहिएजिन्हें हम जान सकते हैं  कि संभावनाओं पर जिन्हें समझना हमारे बस में नहीं हैभारत को अब वास्तविकता से नजरें मिलानी चाहिए.

 खुदरा व्यापार के लिए नोटबंदी और जीएसटी के बाद कोरोना तीसरा भयानक झटका है जो तत्काल नकदी का संकट ला सकता है.

 बीमार अर्थव्यवस्था अब तक केवल सेवा क्षेत्र के कंधों पर थीकारोबारयात्राएंबाजार बंद होने से यह इंजन (विमाननहोटलपरिवहनफूडसॉफ्टवेयरभी थम रहा है.

 बेकारी का बड़ा नया दौर ‌सिर पर खड़ा हैस्टार्ट अप और ईकॉमर्स कंपनियों के लिए नई पूंजी लाना मुश्कि होगामांग और टूटने के बाद नए निवेश की हिम्मत बैठ जाएगी.

 केंद्र और राज्य सरकारों के राजस्व टूट चुके हैंउद्योगों को अगर रियायत देनी पड़ी तो कर्ज बढ़ने से राजकोषीय संकट गहराएगा.

 875 कंपनियों के अध्ययन के आधार पर क्रिसिल ने कर्ज संकट को लेकर अलार्म बजा दिया हैकर्ज वसूली रुकेगीबकाया कर्ज के भुगतान टालने होंगे.

 एक छोटी मंदी ने भारत के दूसरे सबसे बड़े निजी बैंक को डुबा दिया और कई सरकारी बैंकों को विलय पर मजबूर कर दिया हैढहते हुए कई निजी बैंक यह फ्लू नहीं झेल पाएंगे.

कोरोना और तेल मंदी की अंधी गली से निकलने के बाद दुनिया लगभग बदल चुकी होगीसरकार अगर सच में संवेदनशील है तो उसे अब कोरोना के बाद की तैयारी शुरू करनी चाहिएअनिश्चित वक्त में गुलाबी उम्मीदें उड़ाने से पहले नुक्सानों का हिसाब सीखना जरूरी है.

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