तमाम पापड़ बेलने और धक्के खाने के बाद समीर को इस जनवरी में नौकरी मिली
थी और अप्रैल में छुट्टी हो गई. लॉकडाउन दौरान व्हाट्सऐप
मैसेज पढ़-पढ़कर वह बिल्कुल मान ही बैठा था कि बढ़ती आबादी उसकी बेकारी की वजह है. वह तो भला हो उसके
एक पुराने टीचर का जिनसे मिले कुछ तथ्य पढ़कर उसे समझ में आया कि जब भी सरकारें बेरोजगारी
पर घिरती हैं तो उनके सलाहकार और पैरोकार बढ़ती आबादी का दकियानूसी
स्यापा क्यों शुरू कर देते हैं?
चालाक राजनीति शोर की ताकत से सच समझने
की क्षमता तोड़ देती हैं. यह समझ गंवाते ही लोग तथ्य और झूठ का
फर्क ही भूल जाते हैं. वे मुसीबतों के लिए खुद को ही कोसने लगते
हैं और जिम्मेदारों से सवाल पूछना बंद कर देते हैं. समीर और असंख्य
बेरोजगारों के साथ यही हो रहा है. उनके दर्द को आबादी बढ़ने के
अर्ध सत्य में लपेटा जा रहा है.
2011 की जनगणना और इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पॉपुलेशन साइंसेज
के शोध के आधार पर आर्थिक समीक्षा (2018-19) ने जनसंख्या को लेकर ताजे आंकड़े दिए हैं, उसके बाद रोजगार
न दे पाने में विफलता पर सरकार के बचाव में दूसरे तर्क गढ़े जाने चाहिए.
क्या सच में भारत की आबादी बढ़ रही है?
नहीं. आबादी की सालाना वृद्धि
दर की गणना के फॉर्मूले के आाधार पर भारत में आबादी बढ़ने की दर अब केवल
1.3 फीसद (2011-16) रह गई है जो 1971 से 1981 के बीच में 2.5 फीसद थी.
यह रफ्तार अब दक्षिण एशिया (1.2 फीसद) के प्रमुख देशों
के आसपास है और निम्न मझोली आय वाले देशों की वृद्धि दर (1.5 फीसद) से कम है (विश्व बैंक). यानी ऊंची आबादी वृद्धि दर (2 से 2.5 फीसद) के दिन पीछे छूट चुके
हैं.
आंकड़ों के भीतर उतरने पर आबादी को लेकर हमारी चिंताएं और कम होती जाती
हैं. दक्षिण भारत और बंगाल, पंजाब, असम, हिमाचल, महाराष्ट्र, ओडिशा सहित 13 राज्यों
यानी करीब आधे भारत में आबादी बढ़ने की दर एक फीसद नीचे आ गई है जो कि यूरोप के लगभग
बराबर है.
यहां तक कि जनसंख्या में तेजी बढ़ोतरी के लिए कुख्यात उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान हरियाणा में भी
आबादी बढ़ने की रफ्तार में आश्चर्यजनक गिरावट आई है. दस राज्य
जो एक फीसद से ज्यादा की आबादी वृद्धि दर दर्ज कर रहे हैं वहां भी वृद्धि दर दो फीसद
से काफी नीचे है.
भारत में आबादी रफ्तार रोकने का यह चमत्कार हुआ कैसे? 1971 से 2016 के बीच भारत में टोटल
फर्टिलिटी रेट या प्रजनन दर (मातृत्व आयु के दौरान प्रति महिला
बच्चों का जन्म या पैदा होने की संभावना) घटकर आधी
(5.3 से 2.3) रह गई है. इसका
यह नतीजा हुआ कि भारत के करीब 13 राज्यों में अब रिप्लेसमेंट
फर्टिलिटी दर 2.1 फीसद से नीचे आ गई है. यह बेहद महत्वपूर्ण पैमाना है जो बताता है कि अगली पीढ़ी को लाने के लिए प्रति
महिला कम से कम 2.1 बच्चे होना अनिवार्य है. दक्षिण और पश्चिम के राज्यों
में यह दर अब 1.4 से 1.6 के बीच आ गई है
यानी दो से कम बच्चे सबसे अच्छे माने जा चुके हैं.
फर्टिलिटी रेट में कमी हमेशा
आय बढ़ने के साथ होती है लेकिन भारत ने गरीबी और कम आय के बीच यह चमत्कार किया है.
यही वजह है 2031 तक भारत में जनसंख्या की वृद्धि
दर घटकर एक फीसद आ जाने का आकलन है जो 2041 तक 0.5 फीसद रह जाएगी. यानी जनसंख्या वृद्धि के मामले में हम
विकसित देशों बराबर खड़े होंगे.
आबादी बढ़ने का अर्ध सत्य बुरी तरह हार चुकाा हैं. हां, रोजगारों पर बहस और तेज होनी चाहिए क्योंकि बीते दो दशक के बदलावों के बाद आबादी में आयु वर्गों का जो औसत बदलेगा उससे...
■ 2021 से 31 के बीच करीब
97 करोड़ और इसके अगले दस वर्षों में लगभग 42 करोड़
लोग (श्रमजीवी आबादी) काम करने की ऊर्जा
से भरपूर होंगे
■ इनके लिए अगले दो दशकों में प्रति वर्ष क्रमश: एक करोड़ और 50 लाख रोजगार चाहिए
■ मौजूदा प्रजनन दर पर 2041 तक युवा
आबादी का अनुपात अपने चरम पर पहुंच चुका होगा. इसके बाद भारत
बूढ़ा हो जाएगा. दक्षिण के राज्यों में
बुढ़ापा 2030 से ही शुरू हो जाएगा
कहां हैं वे लोग जो भारत की युवा आबादी को उसकी सबसे बड़ी ताकत या संभावनाओं
का खजाना कह रहे थे. कहीं वे ही तो आबादी नियंत्रण कानून की जरूरत का स्यापा तो नहीं कर रहे!
दरअसल, जिस मौके का इंतजार था
वह अब आ पहुंचा है. इस युवा आबादी के अलावा भारत के पास और कुछ
नहीं है. भविष्य की खपत, ग्रोथ,
निवेश, बचत सब इस पर निर्भर है. भारत को दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, सुपर पावर
या विश्व गुरु जो भी बनना है उसके लिए 15 साल का वक्त है और यही
युवा उसका माध्यम हैं. सियासत का अधिकांश वक्त, इसी युवा को भरमाने, लठियाने, धमकाने, ठगने और लड़ाने
में जाता है.
आप जो भी कह रहे वो तथ्यों के हिसाब से सही है, मुझे चिंता इस जनसंख्या से हमारी पृथ्वी पर होने वाले दुष्परिणामो की है, और वैसे भी आधी जनसंख्या सिर्फ शिक्षित है,काबिल और गूणी नही है।
ReplyDeleteसर आपने तथ्यों के साथ आज का यथार्थ बताया है.
ReplyDeletesir Facts are really amazing. now we should talk about growth % of population vs % growth of job after 1990.i think it is quit clear that we are completlly fail to create jobs.
ReplyDeleteSb govt. Nokri maangte h... Private krnaa safe nhi lgta ese me ab log govt K pi6e h or srkar pvt K pi6e sarkar agr pvt. Jesa dhyan dekr govt job dede toh saayd berojgaari bhi htt jaayegi or logo ki safe job bhi mil jaayegi jisse wo apne kaam k according income kmaa ske... Wrna pvt. Me toh khoon chuste h sb... Or income km hoti h
ReplyDeleteFact is fact. Without doubt. Results is here.
ReplyDeleteReality check. Must focus on employment.
ReplyDeleteThanks for your great efforts
ReplyDeletePranam sir🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteMai lallantop pr apko regular sunta hu..aap bahut hi ache se explain krte hai...
Sir mai janana chahta hu ki iss samay msp se bahut hi kam rate pr mandion me makka aur wheet kharida ja raha h sarkari kharid ho ni rahi ha aise me hm log kya kre
bilsi mandi (budaun-up) k makka ke rate lagbhag 1100per kuntal h aur msp 1860 h???
Koi upay btaye sir🙏🙏🙏🙏
Bahut bahut dhanyvad. Desh ko yah batane ke liye.
ReplyDeleteभारत को बूढ़ा होने से बचा कर रखना होगा
ReplyDeleteतथ्यों का अन्वेशनात्मक प्रदर्शन आदरणीय बड़े भाई द्वारा, आप जैसे योग्य लोग देश की धरोहर हैं, मैं कभी टीवी पर आने वाली महाभारत के इन्तजार में सप्ताह भर उत्सुकता में रहता था, lallantop पर सिधांत मोहन के साथ आपका प्रोग्राम उसी महाभारत देखने की उत्सुकता को महसूस करता हूँ, अन्दर से एक रोमांच महसूस करना एक अलग ही आनंद प्रदान करता हूँ, आपसे एक एक विनम्र निवेदन है, आप जैसे अन्य प्रोग्राम या ब्लॉग के विषय में बताने का कष्ट करें ताकि जानने की भूख कुछ शांत हो, मुझे पढने लिखने का शौक है, मेरे पास खुद की डिजिटल लाइब्रेरी हैं, जिसमे दुनिया के श्रेष्ठ लेखक और विचारकों की 14 हजार किताबें जमा की हैं, जिन किताबों का आप जिक्र करते हैं, वो भी कमाल के विषय पर लिखी गयी हैं, पुनः आपका ह्रदय की गहराइयों से आदर के साथ आभार, भगवान से प्रार्थना हैं कि आप स्वास्थ्य रहे और मस्त रहें.
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