यह गुजरते दौर के तात्कालिक अंतरविरोध ही नहीं हैं. इनमें छिपे बिंदुओं को मिलाने पर आने वाली दुनिया की सबसे बड़ी उलझन का नक्शा उभरता है जो जिंदगी और कई कारोबारों का पूरा ढांचा ही बदल देंगी. अब एक तरफ होगी निजताओं को बचाने की जद्दोजहद, जो जासूसियों की धुंध उठने से पहले ही शुरू हो चुकी थी और दूसरी तरफ होंगे डिजिटल इकोनॉमी के नए अमीर, जो हमारी निजता यानी व्यक्तिगत सूचनाओं का ही धंधा कर रहे हैं और जिनमें अरबों डॉलर की रकम लगी है.
इन उलटबांसियों के सुलझाने से पहले एक बार चीन की तरफ घूम कर आते हैं.
दीदी को आप चीन की उबर मान सकते हैं. मोबाइल ऐप आधारित, यह टैक्सी कंपनी चीन के 90 फीसद बाजार पर काबिज है. दीदी ने करीब 4 अरब डॉलर जुटाकर, इसी जून में अमेरिकी शेयर बाजार में शानदार आगाज किया. शुरुआत को दो दिन ही बीते थे, कंपनी का बाजार मूल्य (मार्केट कैपिटलाइजेशन) 100 अरब डॉलर की तरफ बढ़ रहा था कि अचानक चीन की सरकार ने दीदी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई शुरू कर दी. कंपनी पर चीन के लोगों की निजी सूचनाएं चुराने का आरोप लगा है. वहां के ऐप स्टोर से दीदी को हटा दिया गया.
चीन की सरकार जैक मा वाले अलीबाबा समूह की कंपनी ऐंट फाइनेंशियल पर चाबुक चला चुकी है. ऐंट फाइनेंशियल यानी अमेजन और बजाज फाइनेंस एक साथ. इसका पब्लिक इश्यू भी फंस गया. चीन में निजता का क्या मतलब है, इस पर मीम्स बनाए जा सकते हैं लेकिन बीजिंग अपने डिजिटल दिग्गजों के पर कतर रहा है.
लगे हाथ अमेरिका में झांक लेना भी ठीक रहेगा. जुलाई के पहले हफ्ते में बाइडेन साहब ने मोनोपली रोकने का अभूतपूर्व आदेश पारित किया. करीब 72 प्रावधानों से लैस इस आदेश से बड़ी टेक कंपनियों (गूगल, फेसबुक, अमेजन) के एकाधिकारों पर निर्णायक कार्रवाई शुरू होगी. निजी सूचनाओं के बेजा कारोबारी इस्तेमाल को लेकर टेक दिग्गज (गूगल, फेसबुक, अमेजन) पर ऐंटी ट्रस्ट कानून के तहत कार्रवाई शुरू हो चुकी है.
चीन और अमेरिका, दोनों ने ऐलान कर दिया है कि उसकी डिजिटल कंपनियां कितनी भी नामी-गिरामी क्यों न हों लेकिन ग्राहकों की सूचना (डेटा) आधारित एकाधिकार चलने नहीं दिए जाएंगे.
भारत में अगर कोई स्टार्ट-अप क्रांति की थाप पर नाच रहा है तो वह गफलत में है. बदलाव भारत में भी शुरू हो चुका है. डिजिटल क्रांति के भविष्य को इनकी रोशनी में देखना जरूरी है ताकि आपकी उंगलियां न जल जाएं.
■ डिजिटल एकाधिकारों को तोडऩे के रास्ते वाली समिति काम शुरू कर चुकी है. इसे ई कॉमर्स के लिए सूचनाओं का ओपन नेटवर्क बनाना है. यह बन जाने के बाद पेटीएम, जोमाटो जैसों की बढ़त का क्या होगा जो केवल हमारी आदतों-व्यवहारों की सूचनाओं पर धंधा कर रहे हैं?
■ ई कॉमर्स के नए नियम यह निर्धारित करेंगे कि कंपनियां माल बनाने से लेकर पहुंचाने तक पूरा (जैसे जिओ मार्ट या अमेजन की गारमेंट फैक्ट्री या जोमाटो का रेस्तरां) धंधा न कब्जा लें. स्टार्ट-अप कंपनियां कारोबार फैलाने के लिए प्रतिस्पर्धा या सहायक कारोबारों को निगल कर आगे बढ़ी हैं. नए नियमों के तहत यह मुश्किल हो रहा है.
■ सरकारों को अपनी जनता की जासूसी कितनी भी पसंद हो लेकिन लोग अब इसे स्वीकार नहीं करेंगे. निजता की सुरक्षा नई आजादी (सुप्रीम कोर्ट का निर्णय) है, जो एक ग्लोबल मुहिम में बदल चुकी है. निजता का धंधा करने वाली कंपनियां भी वैश्विक हैं इसलिए उन्हें सभी बाजारों में एक जैसा आचरण करना होगा. भारत सरकार को भी आखिर निजी सूचनाओं की गोपनीयता (डेटा प्रोटेक्शन) का कानून लाना पड़ रहा है.
डिजिटल सेवाओं व ई कॉमर्स एकाधिकारों पर रोक और वृहत डिजिटल निजता सुरक्षित करने के कानून न्यू इकोनॉमी की चूलें हिलाने वाले हैं. इस अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा हिस्सा तो हमारे खाने-पीने, पहनने-ओढ़ने, खरीदने-बेचने, तलाशने-मिटाने, सुनने-कहने की खरबों की सूचनाओं पर केंद्रित है. इन्हीं को बेचकर तो अमेजन, गूगल, जोमाटो, पेटीएम, फेसबुक हमें उस लोक में ले जाते हैं जहां सेवा तो मुफ्त है लेकिन हम बेचे जा रहे हैं.
अरबों लोगों की निजताएं टिकेंगी या निजी सूचनाओं का व्यापार! अगर कंपनियों की चली तो हम पूरी तरह उधड़ जाएंगे लेकिन लोग अगर निजताओं पर अड़े तो न्यू इकोनॉमी के तौर-तरीके पूरी तरह बदल जाएंगे.
राजनैतिक और कारोबारी दुनिया की सबसे बड़ी जद्दोजहद शुरू हो रही है. दम साध कर देखिए, इसमें रोमांच की पूरी गारंटी है.
No comments:
Post a Comment