Arthaat
A different accent of politconomy
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Monsoon
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Monday, October 22, 2018
बाजी पलटने वाले!
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सियासत अगर इतिहास को नकारे नहीं तो नेताओं पर कौन भरोसा करेगा ? सियासत यह दुहाई देकर ही आगे बढ़ती है कि इतिहास हमेशा खुद को नहीं दोहराता ल...
1 comment:
Sunday, June 10, 2018
नई पहेली
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गां व क्यों तप रहे हैं ? किसान क्यों भड़के हैं ? उनके गुस्से को किसी एक आंकड़े में बांधा जा सकता है ? आंकड़ा पेश-ए-नजर हैः ग...
Wednesday, August 3, 2016
आगेे और महंगाई है !
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अच्छे मानसून के बावजूद, कई दूसरे कारणों के चलते अगले दो वर्षों में महंगाई की चुनौती समाप्त होने वाली नहीं है। दे श में महंगाई प...
Monday, August 6, 2012
सूखे का मौका
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सू खा आ गया है यानी सरकारों को महसूस करने का मौका आ गया है। पिछले दो साल में हमें सरकारें नहीं दिखीं हैं या अगर दिखीं हैं तो सिर्फ अपना...
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