भारतीय सीमा में किसी के ‘घुसे होने या न होने’ की उधेड़बुन के बीच जब मंत्री-अफसर हथियारों की खरीद के लिए मॉस्को-दिल्ली एक कर रहे थे अथवा टिकटॉक पर पाबंदी के बाद स्वदेशी नारेबाज चीन की
अर्थव्यवस्था के तहस-नहस होने की आकाशवाणी कर रहे थे या कि
डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका को चीन के खतरे से डरा रहे थे, उस समय
चीन क्या कर रहा था?
यह सवाल विभाजित,
बीमार और मंदी के शिकार अमेरिका में नए
राष्ट्रपति के सत्तारोहण के बाद होने वाली सभी व्याख्याओं पर हावी होने वाला है.
इतिहासकारों के आचार्य ब्रिटिश इतिहासज्ञ एरिक
हॉब्सबॉम ने लिखा था कि हमारा भविष्य सबसे करीबी अतीत से सबसे ज्यादा प्रभावित होता है, बहुत पुराने इतिहास से नहीं.
कोविड की महामारी और चीन की महाशक्ति संपन्नता ताजा
इतिहास की सबसे बड़ी घटनाएं हैं. बीजिंग
दुनिया की नई धुरी है. अमेरिकी राष्ट्रपति को भी चीन के आईने
में ही पढ़ा जाएगा. इसलिए जानना जरूरी है कि कोविड के बाद
हमें कैसा चीन मिलने वाला है.
मई में जब अमेरिका में कोविड से मौतों का आंकड़ा एक
लाख से ऊपर निकल रहा था और भारत में लाखों मजदूर सड़कों पर भटक रहे थे, उस समय चीन सुन त्जु की यह सीख मान
चुका था कि दुनिया की सबसे मजबूत तलवार भी नमकीन पानी में जंग पकड़ लेती है.
मई में चीन ने चोला बदल सुधारों की बुनियाद रखते हुए
सालाना आर्थिक कार्ययोजना में जीडीपी को नापने का पैमाना बदल दिया. हालांकि मई-जून
तक यह दिखने लगा था कि चीन सबसे तेजी से उबरने वाली अर्थव्यवस्था होगी लेकिन अब वह
तरक्की की पैमाइश उत्पादन में बढ़ोतरी (मूल्य के आधार पर)
से नहीं करेगा.
• चीन में जीडीपी की नई नापजोख रोजगार
में बढ़ोतरी से होगी. कार्ययोजना के 89 में 31 लक्ष्य रोजगार बढ़ाने या जीविका से संबंधित हैं, जिनमें अगले साल तक ग्रामीण गरीबी को शून्य
पर लाने का लक्ष्य शामिल है.
• चीन अब छह फीसद ग्रोथ नहीं बल्कि जनता के लिए छह गारंटियां
(रोजगार, बुनियादी जीविका, स्वस्थ प्रतिस्पर्धी बाजार, भोजन और ऊर्जा की
आपूर्ति, उत्पादन आपूर्ति तंत्र की मजबूती और स्थानीय
सरकारों को ज्यादा ताकत) सुनिश्चित
करेगा.
चीन अपने नागरिकों को प्रॉपर्टी, निवास, निजता,
अनुबंध, विवाह और तलाक व उत्तराधिकार के नए और स्पष्ट अधिकारों से लैस करने जा रहा
है. 1950 से अब तक आठ असफल कोशिशों के
बाद इसी जून में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने कानूनी नागरिक अधिकारों की समग्र संहिता को मंजूरी दे दी. यह
क्रांतिकारी बदलाव अगले साल 1 जनवरी से लागू होगा.
चीन की विस्मित करने वाली ग्रोथ का रहस्य शंघाई या
गुआंग्जू की चमकती इमारतों में नहीं बल्कि किसानों को खुद की खेती करने व उपज
बेचने के अधिकार (ऐग्री
कम्यून की समाप्ति) और निजी उद्यम बनाने की छूट में छिपा था.
आबादी की ताकत के शानदार इस्तेमाल से वह निर्यात का सम्राट और
दुनिया की फैक्ट्री बन गया. जीविका, रोजगार
और कमाई पर केंद्रित सुधारों का नया दौर घरेलू खपत और मांग बढ़ाकर अर्थव्यवस्था की
ताकत में इजाफा करेगा.
चीन की वैश्विक महत्वाकांक्षाएं गोपनीय नहीं हैं. नए सुधारों की पृष्ठभूमि में विशाल
विदेशी मुद्रा भंडार, दुनिया में सबसे बड़ी उत्पादन क्षमताएं,
विशाल कंपनियां, आधुनिक तकनीक और जबरदस्त
रणनीतिक पेशबंदी मौजूद है. लेकिन उसे पता है कि बेरोजगार और
गरीब आबादी सबसे बड़ी कमजोरी है. दुनिया पर राज करने के लिए
अपने करोड़ों लोगों की जिंदगी बेहतर करना पहली शर्त है, वरना
तकनीक से लैस आबादी का गुस्सा सारा तामझाम ध्वस्त कर देगा.
कोविड के बाद दुनिया को जो अमेरिका मिलेगा वह पहले
से कितना फर्क होगा यह कहना मुश्किल है लेकिन जो चीन मिलने वाला है वह पहले से बिल्कुल अलग हो सकता है.
अपनी पहली छलांग में चीन ने पूंजीवाद का विटामिन खाया था. अब दूसरी उड़ान के लिए उसे लोकतंत्र के तौर-तरीकों
से परहेज नहीं है. नया उदार चीन मंदी के बोझ से घिसटती दुनिया और विभाजित अमेरिका के लिए रोमांचक चुनौती बनने वाला है.
चीन के इस बदलाव में भारत के
लिए क्या नसीहत है?
सुन त्जु कहते हैं कि दुश्मन को जानने के लिए पहले अपना दुश्मन बनना
पड़ता है यानी अपनी कमजोरियां स्वीकार करनी होती हैं. निर्मम
ग्रोथ सब कुछ मानने वाला चीन भी अगर तरक्की की बुनियाद बदल रहा है तो फिर भयानक
संकट के बावजूद हमारी सरकार नीतियों, लफ्फाजियों, नारों, प्रचारों का पुराना दही क्यों मथ रही है,
जिसमें मक्खन तो दूर महक भी नहीं बची है.
इतिहास बड़ी घटनाओं से नहीं बल्कि उन पर मानव जाति की प्रतिक्रियाओं
से बनता है. महामारी और महायुद्ध बदलाव के सबसे बड़े वाहक
रहे हैं. लेकिन बड़े परिवर्तन वहीं हो सकते हैं जहां नेता
अगली पीढ़ी की फिक्र करते हैं, अगले
चुनाव की नहीं.
सनद रहे कि अब हमारे पास मौके गंवाने का मौका भी
नहीं बचा है.
Bahut hi Sundar laga.. Thanks..
ReplyDeleteदिवाली पर निबंध Diwali Essay in Hindi
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दिवाली पर निबंध | Diwali Nibandh | Essay on Deepawali in Hindi
Very nicely explained.
ReplyDeleteसटीक विश्लेषण
ReplyDeletevishleshan kafi accha hai , kripya karke footnotes mein references de ske to aur bhi accha hoga taki pathak agar aur detail mein pta karna chahe to kr ske
ReplyDeleteKhatarnak 👍👍👍
ReplyDeleteVery well written sir
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