Arthaat
A different accent of politconomy
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Monday, December 2, 2013
बड़ी सूझ का पुर्नजन्म
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गरीबी बनाम सब्सिडी और बजट घाटे बनाम जनकल्याण की उलझन के बीच बेसिक इनकम की पांच सदी पुरानी आदर्शवादी कल्पना नए सिरे से चमक उठी है। ...
Monday, May 13, 2013
अधिकारों के दाग
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संवैधानिक गारंटियों और कानूनी अधिकारों देश को रोजगार व शिक्षा के बदले एक नई राजनीतिक नौकरशाही और जवाबदेही से मुक्त खर्च का विशाल ...
Monday, December 26, 2011
ग्यारह का गुबार
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स मय हमेशा न्याय ही नहीं करता। वह कुछ देशों, जगहों, तारीखों और वर्षों के खाते में इतना इतिहास रख देता है कि आने वाली पीढि़यां सिर्फ हिसाब ल...
Monday, June 7, 2010
सिद्धांतों का शीर्षासन
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अर्थार्थ ज नकल्याण के रास्ते अगर आपदा के गर्त में पहुंचा दें तो? एकजुट होने से सुविधा व सुरक्षा के बजाय समस्या व संकट बढ़ने लगे तो? दुनिया क...
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