Thursday, August 3, 2017

गठबंधन हो गया, अब लड़ाई हो

      
नीतीश कुमार के दिल-बदल के साथ गठबंधनों की नई गोंद का आविष्कार हो गया है. सांप्रदायिकता के खिलाफ एकजुटता के दिन अब पूरे हुए. भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई,  नया सेकुलरवाद या गैर कांग्रेसवाद है इसके सहारे राजनैतिक दल नए गठजोड़ों को आजमा सकते हैं. लेकिन ध्यान रहे कि कहीं यह नया सेकुलरवाद न बन जाए. सेकुलरवादी गठजोड़ों की पर्त खुरचते ही नीचे से बजबजाता हुआ अवसरवाद और सत्‍ता की हमाम में डुबकियों में बंटवारे के फार्मूले निकल आते थे इसलिए सेकुलर गठबंधनों की सियासत बुरी तरह गंदला गई.

सेकुलरवादफिर भी अमूर्त था. उसकी सफलता या विफलता सैद्धांतिक थी. उसकी अलग अलग व्‍याख्‍याओं की छूट थी संयोग से भ्रष्‍टाचार ऐसी कोई सुविधा नहीं देता. भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई ठोस और व्यावहारिक है जिसके नतीजों को देखा और महसूस किया जा सकता है. यह भी ध्‍यान रखना जरुरी है भ्रष्‍टाचार से जंग छेड़ने वाले सभी लड़ाकों अतीत पर्याप्‍त तौर पर दागदार हैंइसलिए गठबंधनों के नए रसायन को सराहने से पहले पिछले तीन साल के तजुर्बोंतथ्यों व आंकड़ों पर एक नजर डाल लेनी चाहिए ताकि हमें भ्रष्टाचार पर जीत के प्रपंच से भरमाया न जा सके.
  •  क्रोनी कैपिटलिज्म का नया दौर दस्तक दे रहा है. बुनियादी ढांचेरक्षानिर्माण से लेकर खाद्य उत्पादों तक तमाम कंपनियां उभरने लगी हैंसत्ता से जिनकी निकटता कोई रहस्य नहीं है बैंकों को चूना लगाने वाले अक्‍सर उद्यमी मेक इन इंडिया का ज्ञान देते मिल जाते हैं. सत्ता के चहेते कारोबारियों की पहचानराज्यों में कुछ ज्या‍दा ही स्पष्ट है. द इकोनॉमिस्ट के क्रोनी कैपिटलिज्म इंडेक्स 2016 में भारत नौवें नंबर पर है.  
  •   सरकारी सेवाओं में भ्रष्टाचार और रिश्वतों की दरें दोगुनी हो गई है. इस साल मार्च में ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के सर्वे में बताया गया था कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 16 देशों में भारत सबसे भ्रष्ट हैजहां सेवाओं में रिश्वत की दर 69 फीसदी है. सीएमएस इंडिया करप्शन स्टडी (अक्तूबर-नवंबर 2016) के मुताबिक, पुलिसटैक्सन्यायिक सेवा और निर्माण रिश्वतों के लिए कुख्यात हैं. डिजिटल तकनीकों के इस्‍तेमाल से काम करने की गति बढ़ी है लेकिन कंप्यूटरों के पीछे बैठे अफसरों के विशेषाधिकार भी बढ़ गए है इसलिए छोटी रिश्‍वतें लगातार बड़ी होती जा रही हैं
  •   नोटबंदी की विफलता में बैंकों का भ्रष्टाचार बड़ी वजह थाजिस पर सफाई से पर्दा डाल दिया गया.
  •  आर्थिकनीतिगत और तकनीकी कारणों से बाजार में प्रतिस्पर्धा सीमित हो रही है. जीएसटी चुनिंदा कंपनियों को बड़ा बाजार हासिल करने में मददगार बनेगा. टेलीकॉम क्षेत्र में तीन या चार कंपनियों के हाथ में पूरा बाजार पहुंचने वाला है.
  •   राजनैतिक मकसदों के अलावा पिछली सरकार के भ्रष्टाचार के मामलों की जांच या तो असफल होकर दम तोड़ चुकी है या फिर शुरू ही नहीं हुई. विदेश से काला धन लाने के वादों के विपरीत पनामा में भारतीयों के खातों के दस्‍तावेज आने के बावजूद एफआईआर तो दूर एक नोटिस भी नहीं दिया गया
  •  सतर्कता आयोगलोकपाललोकायुक्त जैसी संस्थाएं निष्क्रिय हैं और भ्रष्टाचार रोकने के नए कानूनों पर काम जहां का तहां रुक गया है  
सरकारी कामकाज में 'साफ-सफाई' के कुछ ताजा नमूने सीएजी की ताजा रिपोर्टों में भी मिले हैं यह रिपोर्ट पिछले तीन साल के कामकाज पर आधारित हैं
  •    बीमा कंपनियां फसल बीमा योजना का 32,000 करोड़ रुपए ले उड़ींयह धन किन लाभार्थियों को मिला उनकी पहचान मुश्किल है
  •    रेलवे के मातहत सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन फॉर रेलवे इलेक्ट्रिफिकेशन के ठेकों में गहरी अनियमितताएं पाई गई हैं.
  •   रेलवे में खाने की क्वालिटी इसलिए खराब है क्योंकि खानपान सेवा पर चुनिंदा ठेकेदारों का एकाधिकार है.
  •  और नौसेना व कोस्ट गार्ड में कुछ महत्वपूर्ण सौदों को सीएजी ने संदिग्ध पाया है.
सेकुलरवाद को समझने में झोल हो सकता है लेकिन व्यवस्था साफ-सुथरे होने की   पैमाइश मुश्किल नहीं है
  •  सरकारें जितनी फैलती जाएंगी भ्रष्टाचार उतना ही विकराल होगा. सनद रहे कि नई स्‍कीमें लगातार नई नौकरशाही का उत्‍पादन कर रही हैं
  •   भ्रष्टाचार गठजोड़ों और भाषण नहीं बल्कि ताकतवर नियामकों व कानूनों से घटेगा.
  •   अदालतें जितनी सक्रिय होंगी भ्रष्‍टचार से लड़ाई उतनी आसान हो जाएगी.
  •   बाजारों में प्रतिस्पर्धा बढ़ाते रहना जरूरी है ताकि अवसरों का केंद्रीकरण रोका जा सके. 
भ्रष्टाचार के खिलाफ राजनैतिक एकजुटता से बेहतर क्‍या हो सकता है लेकिन इस नए गठजोड़ के तले भ्रष्‍टाचार का घना और खतरनाक अंधेरा है. उच्चपदों पर व्यक्तिगत भ्रष्टाचार अब फैशन से बाहर है कोई निपट मूर्ख राजनेता ही खुद अपने नाम पर भ्रष्‍टाचार कर रहा होगा. चहेतों को अवसरों की आपूर्ति और उनका संरक्षण राजनीतिक भ्रष्‍टाचार के नए तरीके हैं इसलिए इस हमाम की खूंटियों पर सभी दलों के नेताओं के कपड़े टंगे पाए जाते हैं

यदि भ्रष्टाचार के खिलाफ गठबंधनों को सत्‍ता के अवसरवाद से बचाना है तो इसे सेकुलरवाद बनने से रोकना होगा. कौन कितना सेकुलर है यह वही लोग तय करते थे जिन्हें खुद उन पर कसा जाना था. ठीक इसी तरह कौन कितना साफ है यह तय करने की कोशिश भी वही लोग करेंगे जो जिन्‍हें खुद को साफ सुथरा साबित करना है सतर्क रहना होगा क्‍यों कि नए गठजोड़ भ्रष्टाचार को दूर करने के बजाय इसे ढकने के काम आ सकते हैं.  

भ्रष्‍टाचार से जंग में कामयाबी के पैमाने देश की जनता को तय करने होंगे. यदि इस लड़ाई की सफलता तय करने का काम भी नेताओं पर छोड़ दिया गया तो हमें बार-बार छला जाएगा.





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