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Monday, November 3, 2014

सबसे बड़ा ‘स्वच्छता’ मिशन

काले धन के खिलाफ देश में गुस्सा है। अदालतें सक्रिय हैं। पारदर्शिता के ग्‍लोबल अाग्रह बढ़ रहे हैं।  अर्थव्यवस्था से कालिख की सफाई के एक संकल्पबद्ध अभियान के लिए उपयुक्‍त मौका है लेकिन भारत के इतिहास का सबसे भव्य व महंगा चुनाव लडऩे वाली पार्टी की सरकार क्या इतनी साहसी साबित होगी? 
न् 1963. अमेरिकी सीनेट कमेटी की सुनवाई. जोसेफ वेलाची यानी अमेरिका के पहले घोषित माफिया डॉन ने जैसे ही कबूला कि मुल्क में अपराधियों की समानांतर सरकार (कोजा नोस्त्रा) चलती है तो सांसद समझ गए कि आर्थिक व सामाजिक अपराध के विशाल नेटवर्क के सामने अब मौजूदा कानून बोदे हैं. वेलाची की गवाही के बाद अमेरिका में एक तरफ माफिया की दंतकथाएं बन रहीं थी तो दूसरी तरफ नीति-निर्माता, कानूनविद रॉबर्ट ब्लेकी की मदद से, एक बड़े कानून की तैयारी में जुटे थे. मारियो पुजो के क्लासिक उपन्यास गॉड फादर (1969) के प्रकाशन के ठीक साल भर बाद 1970 में रैकेटियर इन्फ्लुएंस्ड ऐंड करप्ट ऑर्गेनाइजेशंस (रीको) ऐक्ट पारित हुआ. रीको कानून माफिया तक ही सीमित नहीं रहा. हाल में मेक्सिको की खाड़ी में तेल रिसाव से हर्जाना वसूलने से लेकर पोंजी स्कीम चलाने वाले रॉबर्ट मैडॉफ को घेरने तक में इसका इस्तेमाल हुआ है. विदेशों में जमा काले धन का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के बाद, भारत में भी श्रीको मूमेंट्य आ गया है और अगर नहीं, तो आ जाना चाहिए. भारत में अब काले धन को थामने के उपायों की एक बड़ी मुहिम शुरू हो सकती है जिसके कारखाने व ठिकाने तमाम कारोबारों, वित्तीय संस्थानों, जमीन-जायदाद से लेकर राजनैतिक दलों के चंदे तक फैले हैं. यह सबसे बड़ा स्वच्छता मिशन होगा, जिसका इंतजार  दशकों से हो रहा है और पीढिय़ों तक याद किया जाएगा. 
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Monday, May 14, 2012

डरे कोई भरे कोई


णनीति बन चुकी थी। मोर्चा तैयार था। फौजी कमर कस चुके थे। अचानक बहादुर सेनापति (वित् मंत्री) ने ऐलान किया कि मोर्चा वापस ! अब हम एक साल बाद लड़ेंगे ! सब चौंक उठे। सेनापति  बोला यह मत समझना कि हम डर गए हैं ! हमें किसी परिणाम की चिंता नहीं है!  बस, हम  बाद में लड़ेंगे !!.... यह कालेधन खिलाफ भारत की लड़ाई की कॉमेडी थी जो बीते सप्ताह लोकसभा से प्रसारित हुई। इनकम टैक् के जनरल एंटी अवाइंडेस रुल् (गार) , पर अमल रोक दिया गया। इन नियमों से देशी विदेशी कंपनियों के लिए भारती टैकस कानूनों से बचने के मौके बंद हो रहे थे, इसलिए अभूतपूर्व लामबंदी हुई। डरना तो टैक्‍स चोरों को था मगर डर गई सरकार। वित् मंत्री झुके और टैक्  चोरी काली कमाई रोकने की एक दूरगामी और हिम्मती पहल बड़े औचकसंदिग् तरीके से वापस हो गई।  पूरी दुनिया ने देखा कि टैकस चोरी रोकने की कोशिश करने पर भारत को शर्मिंदा होना पड़ सकता है। गार की वापसी से देश के टैक्‍स कानून की साख को मजबूत करने की एक बड़ी कोशिश भी खत्‍म हो गई। आयकर विभाग अब दीन हीन छोटे टैकसपेयर पर अपनी बहादुरी दिखायेगा।
रीढ़ कहां है
 टैक्स कानूनों की कसौटी पर कसे जाने के बाद च्छे कारोबार के भीतर आर्थिक जरायम और टैक्‍स चोरी निकलती हैं। टैकस कानूनों ने तमाम कथित साफ सुथरे कारोबारों के पीछे कालेधन के गोदाम पकड़े हैं, जिन की सड़कें टैक् हैवेन तक जाती हैं। जनरल एंटी अवाइंडेस रुल् यानी गार की रोशनी दरअसल इन्हीं अंधेरे कोनों के लिए थी। भारत में टैक् चोरी को साबित करने के तरीके पुराने हैं। आयकर विभाग को टैक् चोरी से निबटने के लिए अदालत का सहारा लेना पड़ता है। जनरल एंटी अवाइंडेस रुल् कानूनों की नई पीढ़ी है। यदि किसी कंपनी या निवेशक ने कोई ऐसी प्रक्रिया अपनाई है जिसका मकसद सिर्फ टैकस बचाना है, उससे कोई कारोबारी लाभ नहीं है तो आयकर विभाग खुद खुद इन नियमों को अमल में लाकर कंपनी पर शिकंजा कस सकता है। भारत में तो गार और जरुरी है क्यों कि ज्यादातर विदेशी निवेश