जाने भी दीजिये ब्रांड लंदन !!! हमें तो यह देखना है ब्रिटेन की मेजबानी में ओलंपिक के बाद क्या होने वाला है …! एक ग्लोबल कंपनी के मुहफट मुखिया ने यह बात ठीक उस समय कही जब प्रधानमंत्री डेविड कैमरुन ओलंपिक को ब्रिटेन की आर्थिक तरक्की का मुकुट बता रहे थे। कैमरुन सरकार ओलंपिक मेडल्स में ब्रिटेन की खेल ताकत दिखा रही थी तो निवेशक लंदन की वित्तीय साख पर दागों की लिस्ट बना रहे थे और ओलंपिक के भव्य उद्घाटन से निगाहें हटाकर ब्रिटेन की भयानक मंदी की आंकड़े पढ़ रहे थे। शताब्दियों से पूरी दुनिया के बैंकर रहे लंदन के बैंक घोटालों की नई नई किस्मे ईजाद कर रहे हैं और ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था की यूरोजोन से जयादा बुरी हालत में है। ब्रिटेन विश्व की वित्तीय नब्ज संभालता है इसलिए बाजारो में डर की नई सनसनी है। यूरोप की चुनौतियां यूरोजोन से बाहर निकल कर ब्रिटेन के रास्ते ग्लोबल बैकिंग में फैल रहीं हैं। ओलंपिक के बाद यूरोपीय संकट की जो पदक तालिका बनेगी उसमें ब्रिटेन सबसे ऊपर होगा।
तालियों का टोटा
अमेरिका व चीन के बाद ओलंपिक की तीसरी ताकत होते हुए भी ब्रिटेन दरअसल तालियों को तरस गया। क्यों कि ऐन ओलंपिक के मौके पर लंदन दुनिया को तरह तरह के घोटाले और अपनी साख ढहने की खबरें बांट रहा था। 241 ग्लोबल बैंकों का गढ़ लंदन विश्व का वित्तीय पावर हाउस है। यहां हर रोज करीब 1.4 ट्रिलियन डॉलर के विदेशी मुद्रा और ब्याज दर सौदे होते हैं, जो इस तरह के विश्व कारोबार का का 46 फीसदी है। बैंकरों, बीमा कंपनियों, हेज फंड, ब्रोकरों, रिसर्च फर्म से लंद फंदे लंदन के वित्तीय कारोबारी जोन (फाइनेंशियल डिस्टि्क्ट) में सेकेंडों में अरब डॉलर इधर से उधर होते है। बीते सप्ताह जब ओलंपिक का झंडा चढ़ रहा था तब ब्रिटेन वित्तीय पारदर्शिता का परचम उतरने