Monday, May 20, 2013

संकट की सफलता



ब्रिटेन ने आधा दर्जन टैक्‍स हैवेन पर नकेल डाल दी है। लक्‍जमबर्ग व आस्ट्रिया कर गोपनीयता बनाये रखने की जिद छोड़ने पर मजबूर हुए हैं। यह पारदर्शिता के ग्‍लोबल आग्रहों की पहली बड़ी जीत है।
माज यदि जागरुक व संवेदनशील है तो संकट सुधारों को जन्‍म देते हैं। सितंबर 2011 में अमेरिका पर अलकायदा का हमला न हुआ होता तो दुनिया आतंक को पोसने वाले वित्‍तीय तंत्र से गाफिल ही रहती। डब्‍लूटीसी के ढहने के साथ ही संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ से लेकर फाइनेंशियल एक्‍शन टास्‍क फोर्स जैसी संस्‍थाओं के नेतृत्‍व में आतंक की ग्‍लोबल आर्थिक नसें काट दी गईं और आतंक की रीढ़ काफी हद तक टूट गई। ठीक इसी तरह अगर कर्ज संकट न आया होता तो शायद यूरोप टैक्‍स हैवेन को हमेशा की तरह पालता रहता।  यूरोप की सरकारें खुद ब खुद काली कमाई के जमाघरों के पर्दे नोच रही है। ब्रिटेन ने आधा दर्जन टैक्‍स हैवेन पर नए नियमों की नकेल डाल दी है और यूरोपीय संघ ने अपने दिग्‍गज सदस्‍यों लक्‍जमबर्ग व आस्ट्रिया को कर गोपनीयता बनाये रखने की जिद छोड़ने पर मजबूर किया है। यह पारदर्शिता के ग्‍लोबल आग्रहों की पहली बड़ी जीत है।
यूरोप में नैतिक दबावों और वित्‍तीय गोपनीयता के बीच के निर्णायक रस्‍साकशी शुरु हो चुकी है। टैक्‍स हैवेन, यूरोप की सरकारों को एक गहरी ग्‍लानि में धकेल रहे हैं। कर्ज संकट के कारण जनता की सुविधायें काटते और टैकस लादते हुए यूरोप के हाकिमो को  यह स्‍वीकार करना पड़ा है कि काले धन के टैक्‍स फ्री जमाघरों को संरंक्षण और जनता पर सख्‍ती एक साथ नहीं चल सकतीं, क्‍यों कि ताजे आंकडों के मुताबिक इन जन्‍नतों में करीब 32 खरब डॉलर की काली कमाई जमा है। टैक्‍स हैवेन यूरोपीय वित्‍तीय तंत्र के अतीत व वर्तमान  का मजबूत हिस्‍सा हैं। स्विटजरलैंड ने टैक्‍स हैवेन का धंधा, 1930 की मंदी से डर कर शुरु किया था। ऑस्ट्रिया व स्विटजरलैंड के बीच मौजूदा छोटी सी रियासत लीचेंस्‍टीन भी तब तक अपने कानून बदल कर टैक्‍स हैवेन बन चुकी थी। ज्‍यूरिख-जुग-लीचेंस्‍टीन की तिकड़ी को
दुनिया का पहला स्‍थापित टैक्‍स हैवेन माना जाता है। 1960 से 1990 के बीच पूरी दुनिया में करीब सौ टैक्‍स हैवेन जन्‍म ले चुके थे। जीडीपी में करीब 11 फीसदी के हिस्‍से साथ काली बैंकिंग आज स्विस अर्थव्‍यवस्‍था की जान है। टैक्‍स जस्टिस नेटवर्क कहता है कि 70 के करीब टैक्‍स हैवेन दुनिया के प्रमुख वित्‍तीय बाजारों से सीधे जुड़े हैं अर्थात इनका पैसा ग्‍लोबल बाजारों की जान है, मगर यह सच अब यूरोपीय सरकारों को बहुत परेशान कर रहा है।
 टैक्‍स हैवेन को लेकर अटलांटिक के दोनों किनारों की सरकारें बुरी तरह बेचैन हैं। टैक्‍स हैवेन पर अब तक का सबसे बड़ा सूचना संग्रह के सामने आने के बाद अब सरकारों के लिए इस बीमारी को छिपाना मुश्किल हो गया है। साइप्रस पर सख्‍ती जो माहौल बदलना शुरु हुआ था उसे ताजी ताकत मिल गई है।  खोजी पत्रकारिता के इस अभियान से दुनिया की तमाम नामचीन कंपनियों व व्‍यकितयों के नकाब उलट गए हैं। लंदन शेयर बाजार की सौ शीर्ष कंपनियों में 98 टैक्‍स हैवेन का इस्‍तेमाल कर रही है।  एसोसिएटेड ब्रिटिश फूड्स ने टैक्‍स हैवेन के रास्‍ते जाम्बिया में जितना टैक्‍स बचाया है उससे वहां 48000 बच्‍चों को शिक्षा दी जा सकती थी। कोफी अन्‍नान का अफ्रीका प्रोग्रेस पैनल कहता है कि लंदन की शीर्ष कंपनियों ने कांगों में निवेश के लिए टैक्‍स हैवेन का इस्‍तेमाल किया, जिससे बेहद दरिद्र मुल्‍क को 1.36 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। यह कांगो के शिक्षा व स्‍वास्‍थ्‍य बजट का दोगुना है।
केमैन आइलैंड में 1960 में अनजान कस्‍बा था जहां एक बैंक व एक पक्‍की सड़क थी। कैरेबियन वकील, मिल्‍टन ग्रुंडी ने केमैन का ट्रस्‍ट लॉ तैयार किया और 1970 की शुरुआत में केमैन टैक्‍स हैवेन बन गया और कुछ माह बाद ही ग्रैंड केमैन के हवाई अड्डों पर प्राइवेट जेट उतरने लगे। केमैन आइलैंड उन ब्रिटिश ओवरसीज टेरीटरीज में शामिल है जिन पर इस माह ब्रितानी वित्‍त मंत्री जॉर्ज ऑसबोर्न ने सख्‍ती की है। केमैन सहित बरमुडा, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड, टर्क्‍स, काइकोस, मांस्‍टरेट, एंग्‍युला जैसे प्रमुख टैक्‍स हैवेन जर्मनी फ्रांस, इटली और स्‍पेन से टैक्‍स सूचनाओं का साझा करेंगे। ब्रितानी प्रधानमंत्री डेविड कैमरुन अमीर मुल्‍कों के समूह जी8 के अध्‍यक्ष होने वाले हैं जहां  टैक्‍स पारदर्शिता उनका प्रमुख एजेंडा होने वाला है।    
चार साल पहले तक टैक्‍स हैवेन के हक में ऑस्ट्रिया व लक्‍जमबर्ग की जिद देखते ही बनती थी। दोनों मुल्‍क बैंकिंग गोपनीयता के मजबूत गढ हैं। होल्डिंग कंपनी की ईजाद लक्‍मजबर्ग मे ही हुई थी जो टैक्‍स हैवेन के इस्‍तेमाल का सबसे सहज उपकरण रास्‍ता है। बदली आबोहवा में  इन दोनों को यूरोपीय संघ के नए कर कानून का विरोध छोड़ना पड़ा है और इसके साथ ही यूरोप में टैक्‍स पारदर्शिता का निर्णायक अभियान शुरु हो गया  है। अब स्विटरजरलैंड, लीचेंस्‍टीन, एंडोरा, मोनाको और सान मैरिनो पर पारदर्शिता का दबाव बन रहा है। स्विस बैंक अगले साल से अमेरिका को सूचनायें देने को मजबूर किये गए हैं, इसलिए संभावना है कि यह शेष दुनिया के लिए भी अपने पर्दे उतारेंगे। स्विस लीचेंस्‍टीन का गढ़ टूटा तो टैक्‍स पारदर्शिता बड़ी जीत होगी।     
 टैक्‍स हैवेन पर विस्‍फोटक सूचनाओं के जिस तूफान में यूरोपीय व अमेरिकी सरकारें घिरी हैं वह आयरिश   पत्रकार गेराल्‍ड रेल के पास पहुंची एक हार्ड ड्राइव से निकली थीं जिसमें 170 देशों के 25 लाख लोगों व कंपनियों की जानकारी थी। इनमें भारत के उद्यमियों व राजनेता  सहित 612 लोग हैं, जिनके नाम सामने आ चुके हैं। अलबता भारत में इन पर कार्रवाई को लेकर बेचैनी नहीं दिखती। सरकार जांच कराने का बयान देकर छिप गई है। टैक्‍स हैवेन से जुडे पुराने मामले फाइलों में पहले से बंद हैं। यूरोप अमेरिका अपनी कालिख पर शर्मिंदा है मगर भारत बेफिक्र है। पश्चिम बुरा हो लेकिन वहां सरकारों पर नैतिक आग्रहों का असर दिखता है जबकि नैतिक विरासत पर भाव खाने वाला भारत वित्‍तीय अनैतिकता में अफ्रीका जैसा दिखता है। भारत निर्माण की नई ब्रांडिंग के लिए मशहूर अंग्रेजी लेखक जी के चेस्‍टरटन का इस्‍तेमाल होना चाहिए कि यहां गरीबों को कायदे की गवर्नेंस नहीं मिलती और मुट्ठी भर रसूख वालों के लिए कोई गवर्नेंस नहीं है।


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