Monday, August 29, 2016

सबसे बड़ी लड़ाई का निर्णायक मोड़


काले धन पर सुप्रीम कोर्ट की जांच समिति की राय मान कर सरकार खुद को साहसी साबित कर सकती है। 


मेरिकी राष्ट्रपति थियोडोर रूजवेल्ट कहते थे कि सही क्या है यह जाननेे से कोई फर्क नहीं पड़ताफर्क तो तब आएगा जब सही कदम उठाया जाए. अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ऐसा ही कुछ मानते हैं तो यकीन मानिए कि वक्त उन्हें एक ऐतिहासिक मोड़ पर ले आया है जहां से वे एक बड़े परिवर्तन के सूत्रधार बन सकते हैं. काले धन पर रोकथाम की जद्दोजहद निर्णायक बिंदु पर आ पहुंची है. सुप्रीम कोर्ट की निगहबानी में काले धन की जांच करने वाली विशेष जांच समिति (एसआइटी) ने सिफारिश की है कि तीन लाख रुपए से ऊपर के सभी नगद लेनदेन और 15 लाख रुपए से अधिक नकदी रखने पर पाबंदी लगा देनी चाहिए. यह सिफारिश सरकार के लिए हिम्मत दिखाने का सबसे माकूल मौका हैक्योंकि सुझाव पर अमल के साथ कुछ और कानून बदलते हुए काले धनअपारदर्शिता और राजनैतिक भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे संगठित मिशन प्रारंभ किया जा सकता है.

एसआइटी की सिफारिश मानने में संकोच नहीं होना चाहिए. इसे मोदी सरकार ने ही बनाया था जो सुप्रीम कोर्ट के मातहत काम कर रही है यानी काले धन पर विधायिका व न्यायपालिका में कोई मतभेद नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एम.बी. शाह की अध्यक्षता वाली समिति ने अदालत को सौंपी अपनी पांचवीं रिपोर्ट में कहा है कि नकद लेनदेन और बैंकिंग तंत्र से बाहर नकदी रखने की सीमाएं कानून के जरिए तय होनी चाहिएजिसमें सजा के प्रावधान जरूरी हैं. 15 लाख रुपए से अधिक नकदी की जरूरत पर आयकर विभाग से अनुमति की शर्त होनी चाहिए. स्वाभाविक है कि आयकर कानून में संशोधन के जरिए इसे आसानी से लागू किया जा सकता है.

सिफारिशें क्रांतिकारी हैं और काले धन को लेकर पिछले दो साल में हुए फैसलों की अगली मंजिल तय करती हैं. अचल संपत्ति में 20,000 रु. से ज्यादा के नकद एडवांस पर रोक लग चुकी है. एक लाख रु. से ऊपर की किसी भी खरीद-बिक्री पर परमानेंट एकाउंट नंबर (पैन) दर्ज करना भी अनिवार्य है. आयकर विभाग दो लाख रुपए से ऊपर की ज्वेलरी खरीद पर पैन बताने की शर्त भी लगा चुका है.

वित्तीय सिस्टम पर इन फैसलों का असर नजर आया है. इन कदमों के बाद इस साल मार्च तक बाजार में नकदी का प्रवाह (करेंसी इन सर्कुलेशन) तेजी से बढ़ा था. यही वह नकदी है जिसे हम जेब में रखते हैं. मुद्रास्फीति में कमी और अचल संपत्ति बाजार में सुस्ती के बीच करेंसी इन सर्कुलेशन में बढ़ोतरी बताती है कि पैन की शर्त से बचने के लिए नकद लेनदेन में तेजी आई है. हालांकि यह बैंकों के लिए तात्कालिक तौर पर अच्छा नहीं है लेकिन पैन की शर्त असर कर रही है यह बात जरूर साबित होती है.

नकद लेनदेन पर रोक को कुछ और कानूनी उपायों से जोडऩा जरूरी है. राजनैतिक चंदा भारत में भ्रष्टाचार का आत्मतत्व है. बीजेपी और कांग्रेस से चुनाव आयोग को पहुंचे ताजे ब्योरे के मुताबिकदोनों दलों को 70 फीसदी धन गोपनीय स्रोतों से मिला है. इनका ब्योरा छिपाने के लिए राजनैतिक दल सुप्रीम कोर्ट तक लड़ रहे हैं. 

एसआइटी की सिफारिश मानने के साथ कृषि आय पर इनकम टैक्स के प्रावधान स्पष्ट होने चाहिए ताकि अरबपति और गैर खेतिहर किसान खेती के सहारे नकदी का लेनदेन और टैक्स की चोरी न कर सकें.

नकद लेनदेन की सीमा लागू होने के बाद जमीन-मकान के बाजार का रसायन बदल सकता है. यह काले धन की सबसे बड़ी मंडी हैजहां 50 से 70 फीसदी तक भुगतान नकद होते हैं. नकद भुगतान मकानों की कृत्रिम महंगाई और सरकार को राजस्व में नुक्सान का बड़ा कारण है क्योंकि मकान-जमीन की वास्तविक कीमत उसकी घोषित कीमत की दोगुनी होती है. नकद विनिमय की सीमा तय करने से मकानों की कीमतें 50 फीसदी तक कम हो सकती हैं. नकद लेनदेन को सीमित करने के फैसले से शुरुआती झटके जरूर लगेंगे. मकानजमीनमहंगी कारेंज्वेलरीलग्जरी उत्पाद कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां कारोबार का पहिया नकदी की चिकनाई पर फिसलता है. यहां मांग में शुरुआत में कुछ कमी नजर आएगी लेकिन कालिख की सफाई के लिए इतनी तकलीफ जरूरी है.

नकद लेनदेन सीमित होने के बाद बैंकों को कारोबारी और उपभोक्ता लेनदेन का बहुत बड़ा हिस्सा संभालना होगाइसके लिए ई-बैंकिंग का विस्तार और मजबूती अनिवार्य है. बैंकों को क्रेडित कार्ड जैसी सेवाओं की लागत घटानी होगी ताकि इलेक्ट्रॉनिक भुगतान बोझ न बन जाएं.

एसआइटी की सिफारिश भारत के लिए वही काम कर सकती है जो 1970 में अमेरिका में रीको कानून ने किया था. 1960 का दशक अमेरिका में माफिया आतंक का था. इसी आपाधापी के बीच 1963 में माफिया डॉन जोसफ वेलाची पकड़ा गया. वेलाची ने अमेरिकी सीनेट कमेटी के सामने यह कबूला कि अमेरिका में कोजा नोस्त्रा (अपराधियों की समानांतर सरकार) बन चुकी है.

वेलाची के इस कबूलनामे के बाद सांसद समझ गए कि आर्थिक व सामाजिक अपराध के इस विशाल नेटवर्क के सामने मौजूदा कानून बेकार हैं. अमेरिकी संसद ने कानूनविद् रॉबर्ट ब्लेकी की मदद सेरैकेटियर एनफ्लूएंस्ड ऐंड करप्ट ऑर्गेनाइजेशंस (रीको) ऐक्ट बनाया जो मारियो पुजो के क्लासिक उपन्यास गॉड फादर (1969) के प्रकाशन के ठीक साल भर बाद पारित हुआ. रीको कानून लागू होने के बाद माफिया के खात्मे की कथाएं अमेरिकी इतिहास का सबसे रोमांचक हिस्सा हैं. कानून इतना सख्त है कि पोंजी स्कीम चलाने वाले बर्नार्ड मैडाफ को 150 साल की सजा (2009) और मेक्सिको की खाड़ी में तेल रिसाव (2010) से हर्जाना वसूलने में भी इसका इस्तेमाल हुआ है. 



काला धन में सभी आर्थिक अपराधों की जड़ है. नकद लेनदेन और नकदी रखने की सीमा तय करने की सिफारिश भारत में आर्थिक अपराधों का रीको मूमेंट बन सकती है. सरकार अगर साहस दिखाए तो कालिख के तमाम ठिकानों पर नकेल डालना मुमकिन है जो तमाम कारोबारोंजमीन-जायदाद से लेकर राजनैतिक दलों के चंदे तक फैले हैं. यह शायद भारत का सबसे महत्वपूर्ण सफाई अभियान होगाजिस की प्रतीक्षा दशकों से की जा रही है.

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