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Friday, June 11, 2021

वैक्सीन के उपनिवेश

 


बाजार और कूटनीति को मिलाना हो तो चीन शायद अपने युद्ध गुरु सुन त्जु के अलावा किसी की नहीं सुनता. त्जु कहते थे कि सारी लड़ाइयां छिपकर लड़ी जाती हैं. वुहान से निकले कोविड वायरस पर दुनिया चीन को क्या सजा सुनाएगी, इसका फैसला अभी होना है लेकिन वैक्सीन राष्ट्रवाद पर चिल्ल पों के बीच चीन ने खामोशी से अपने वैक्सीन उपनिवेशवाद को पूरी दुनिया में फैला दिया है.

वैक्सीन कूटनीति की बिसात पर अब चीन के मोहरे दौड़ रहे हैं. भारतीय वैक्सीन 'डिप्लोमेसीके ढोल तो अप्रैल में ही फूट गए थे. टीकों का निर्यात रोक दिया गया और मई के अंत से वैक्सीन के आयात की तैयारी शुरू हो गई. कोविड से अमेरिका भी इतना हैरान था कि वह गरीब दुनिया को वैक्सीन पहुंचाने की जिम्मेदारी और कूटनीति के प्रति देरी से सक्रिय हुआ. इस बीच चीन ने दुनिया के 50 से अधि देशों में अपनी वैक्सीन पहुंचा दी. यही नहीं, जून के पहले सप्ताह तक चीन में भी प्रति 100 में से 50 लोगों को वैक्सीन मिल गई थी.

मई का महीना वैक्सीन की कूटनीति और बाजार के लि बेहद उथल-पुथल भरा था. भारत की एकमात्र कोवैक्सीन जब मंजूरी के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का दरवाजा खटखटा रही थी तब जून के पहले सप्ताह में डब्ल्यूएचओ ने चीन की दूसरी वैक्सीन साइनोवैक (साइनोफार्म पहले से मंजूर) के इमर्जेंसी इस्तेमाल मंजूरी दे दी.

वैक्सीन बाजार के लिए चीन ने बड़ी तैयारी की थी. 2020 में शोध की शुरुआत के बाद से देश के नियामक ने 6 वैक्सीन (कोई विदेशी भागीदारी नहीं) उपयोग के लिए मंजूर की जबकि 49 वैक्सीन पर काम चल रहा है (वैक्सीन ग्लोबल डेटाबेस और नेचर). यानी अमेरिका (66 पर परीक्षणट्रैक वैक्सीन ओआरजी) के बाद अब चीन दूसरा सबसे बड़ा वैक्सीन आविष्कारक है, जर्मनी अपनी दिग्गज कंपनियों (बायोएनटेक और क्योरवैक) के बावजूद तीसरे नंबर पर है. यूके और पीछे है.

वुहान से वायरस के प्रसार के जिम्मेदार चीन ने अपनी वैक्सीन पर दुनिया को राजी कैसे किया, यह बड़ा रहस्य है. चीन की पांच प्रमुख वैक्सीन (उपयोग के लिए स्वीकृत) के तीसरे चरण के ट्रायल मेक्सिको, अर्जेंर्टीना, चिली, पेरु, इंडोनेशिया, ब्राजील, पाकिस्तान, रूस जैसे करीब एक दर्जन देशों में हुए यानी दुनिया की सभी नस्लों और भूगोलों में वैक्सीन जांची गई. इस साल 25 अप्रैल तक 41.5 करोड़ खुराकों के साथ चीन दुनिया में सबसे बड़ा उत्पादक (27 करोड़ अमेरिका, 22 करोड़ ईयू, 19.6 करोड़ भारत) बन गया था.

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और बहरीन ने चीन की वैक्सीन को बीते दिसंबर में ही मंजूर कर दिया था, अलबत्ता कूटनीति की बिसात पर चीन ने निर्णायक चाल इस साल मार्च में चली. विश्वव्यापी परीक्षण और भरपूर उत्पादन क्षमता के साथ चीन को यह पता था कि कोविड की मारा-मारी के बीच कोई ग्लोबल कंपनी तीसरी दुनिया के मुल्कों को वैक्सीन नहीं देने वाली.

अप्रैल में भारत में वैक्सीन की कमी और निर्यात पर रोक के बाद वैक्सीन समूह (कोवैक्स) की आपूर्ति सीमित हो गई. फाइजर से पर्याप्त आपूर्ति नहीं थी. जॉनसन और मॉडर्ना इस कार्यक्रम में देरी से शामिल हुए. इस कार्यक्रम के तहत लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और एशिया के कम आय वाले देशों को 2021 के अंत तक दो अरब खुराकें दी जानी थीं. इन देशों का अब चीन ही सहारा था.

विश्वास करना मुश्कि है कि जिस चीन को कोविड की महामारी का पहला जिम्मेदार माना जा रहा है, उसकी वैक्सीन पूर्वी यूरोप के पांच, एशिया के 10, लैटिन अमेरिका के 10, पश्चिम एशिया के तीन और अफ्रीका के 12 देशों तक पहुंच गई है. 69 देशों को वैक्सीन दान में दी गई है, 60 देशों में चीनी वैक्सीन प्रयोग के लिए मंजूर हैं और 43 देशों को निर्यात हो रही है. संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना को भी चीन की वैक्सीन मिली है.

ग्लोबल फार्मा उद्योग इस पैंतरे से लड़खड़ा गया है. बाजार की गरज है कि गलाकाट होड़ वाले फार्मा उद्योग में मर्क, जॉनसन के लिए, लंदन की जीएसके, स्विस नोवार्टिस के लिए और फ्रांस की सनोफी जर्मन बायोएनटेक के लिए वैक्सीन बना रही है, ताकि अमीर बाजारों को सुरक्षित करने के बाद तीसरी दुनिया के बाजारों में पहुंचा जा सके. लेकिन अब वहां चीन पहुंच गया है.

कोविड से पहले तक वैक्सीन बनाने वाली शीर्ष दस कंपनियों में चीन की एक कंपनी थी. अब अमेरिका और यूके से उत्पादन के केवल एक से तीन फीसद निर्यात के मुकाबले चीन कोविड वैक्सीन उत्पादन का आधा हिस्सा निर्यात कर रहा है. इधर, कोविड से पहले तक दुनिया की 60 प्रतिशत वैक्सीन आपूर्ति करने वाला भारत अपने ही लिए वैक्सीन के लिए दुनिया में भटक रहा है.

वैक्सीन उद्योग के तंबू में तो नया ऊंट घुस ही गया है, कूटनीति भी दिलचस्प दुविधा में है कि वुहान से निकली तबाही पर चीन से हिसाब मांगा जाए या उसके वैक्सीन उपनिवेशवाद को गले लगा लिया जाए.

ज्ञान और रणनीति का चरम, संघर्ष की संभावना ही खत्म कर देता हैसुन त्जु