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Friday, June 19, 2020

चीन की युद्ध कला


‘‘अदृश्य और इतने रहस्यमय बनो कि आवाज भी न आएतब तुम शत्रु के भाग्य को नियंत्रित कर सकते हो.’’— सुन त्जु

इस सीख को चीन कितनी निष्ठा के साथ मानता हैयह बात मार्च 2019 में पता चली जब चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने अपने नीतिगत दस्तावेज में यह ऐलान किया कि चीन की कंपनियां कम्युनिस्ट पार्टी और राष्ट्रपति शी जिन‌‍पिंग के राजनैतिक दर्शन की ध्वजावाहक होंगी.

यह ऐलान होने तकपांच-छह बरस में चीनकूटनीति की कमान अपनी सरकारी और निजी कंपनियों को सौंप चुका थाब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूूूट से प्रकाशित अनंत कृष्णन का शोध बताता है कि 2019 तक शियोमी और बायदू जैसी शीर्ष चीनी कंपनियों के सीईओ सहित करीब 70 फीसद निजी कंपनियां चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के विराट राजनैतिक तंत्र का हिस्सा बन चुकी थीं.

डोकलाम से गलवान घाटी तक सीनाजोरी पर भारत का असमंजस चीन की जिस कूटनीति का नतीजा है वह कुछ माह पहले तक भारत की कामयाबी का पोस्टर थीशांति के चुनाव के बावजूद भारत को चीन से आर्थिक दूरी बनानी होगी जो सबसे कठिन है.
दरअसल रिश्तों का जो नया हिंडोलाजो साबरमती के किनारे सितंबर 2014 में बांधा गया था उसकी अदृश्य डोर पकड़कर चीन की कंपनियां मेक इन इंडिया के शेर पर सवार हो गईंहमने प्रत्येक उभरते कारोबार में पिछले पांच साल में चीन का स्वागत किया है

2014, भारत के लिए चीन की कारोबारी कूटनीति का प्रस्थान बिंदु थासरकारी घोषणाओं व दस्तावेजों पर आधारित ब्रुकिंग्स का अध्ययन बताता है कि 2017 तक भारत में 800 चीनी कंपनियां सक्रिय थीं जिनमें एक-तिहाई 2014 में पंजीकृत हुईंअधिकांश नई कंपनियां मैन्युफैक्चरिंग और इन्फ्रास्ट्रक्चर में आईं और चीन के सरकारी आंकड़े के अनुसारयह निवेश करीब 8 अरब डॉलर पर पहुंच गया.

यह पैठ बेहद व्यापक है.

 चंगाशा की सैन्यी (दुनिया की छठी सबसे बड़ी भारी उपकरण निर्माता) 2010 में चाकण (पुणेमें फैक्ट्री लगाने तक भारत को निर्यात करती थी. 2016 में यह चीन से बाहर उसका सबसे बड़ा संयंत्र हो गया और 50 फीसद बाजार पर उसका कब्जा हो गयागुआंग्शी की विराट कंपनी लिउगांग का 300 करोड़ रुपए का पीतमपुर (मध्य प्रदेशसंयंत्र भी अब उत्पादन व निर्यात शुरू करने वाला है.

चाइना रोलिंग स्टॉक कॉर्पोरेशन (विशाल सरकारी कंपनीका नया संयंत्र (हरियाणाभारतीय रेल के इंजनों की मरम्मत और नागपुर मेट्रो को कोच की आपूर्ति और यातायात प्रबंधन करता हैचाइना रेलवे कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन 3,000 किमी एक्सप्रेसवे बना रही हैचीनी सेना की पूर्व कंपनी शिनशिंग समूह ने कर्नाटक में 8,735 करोड़ रुका स्टील संयंत्र लगाया है.

 भारत के चार में तीन बिजली संयंत्र चीन के उपकरणों से चलते हैंचीन की शंघाई इलेक्ट्रिक और डांगफैंग के उपकरण करीब 48,000 मेगावाट की बिजली क्षमता का आधार हैं. 2014 के बाद सौर ऊर्जा की बयार पर बैठकर सैन्यीलांगी सोलर और सीईटीसी भारत में सौर व पवन ऊर्जा में 2 अरब डॉलर का निवेश कर रही हैं.

 शियोमीहुआवेओप्पो इलेक्ट्रॉनिक्स में विदेशी निवेश की सफलता का झंडा संभालती हैंमुंबई नगर निगम को इलेक्ट्रिक बसों की आपूर्ति के बाद बीवाइडी भारत में बिजली वाहन का संयंत्र लगा रहा हैवांडा और चाइना फॉर्च्यून लैंड जैसे रियल एस्टेट दिग्गज हरियाणा से लेकर कर्नाटक और महाराष्ट्र तक सक्रिय हैं.

 भारतीय कंपनियों का अधिग्रहण भी इस नई रणनीति का हिस्सा है. 2017 में जब फोसन ग्रुप भारत की ग्लैंड फार्मा को खरीद रहा था तब अलीबाबाटेनसेंटशिओमी बड़े स्टार्ट-अप में हिस्सा उठा चुके थे.

 चीन की राज्य सरकारें भारत में सीधा निवेश कर रही हैं. 2017 तक भारत का आधा दुतरफा कारोबार तीन राज्योंझेजियांगगुआंगदोंग और जिआंग्सू के जरिए हो रहा था.

बायकॉट चाइना’ के जरिए चीन को सबक सिखाने वाले जान लें कि भारत उन शीर्ष पांच मुल्कों में नहीं है जिन्हें चीन सबसे ज्यादा निर्यात या आयात करता है. यानी टीवी  फोड़ने से चीन का बहुत कुछ बिगड़ने वाला नहीं.

2014 से पहले का चीन केवल व्यापारी था वह भारत को निर्यात करता था लेकिन पिछले पांच साल में वह भारतीय आत्मनिर्भरता में सीधी हिस्सेदारी ले चुका है.

चीन के खतरनाक मंसूबों को संभालने के लिए सबसे पहले उससे अपनी कारोबारी जमीन छुड़ानी होगीभारत को प्रभावी ‘लुक वेस्ट’ पॉलिसी और व्यापार का पश्चिमोन्मुख उदारीकरण चाहिएयूरोपीयअमेरिकी कंपनियों को ज्यादा सुविधाएं देनी होंगीजहां विकल्प नहीं है वहां बेहद पारदर्शी तरीके से चीन को शीशे में उतारना होगा

चीन से जंग गलवान की घाटी में नहींखुले बाजार में होगीसुन त्जु की सुनिए जो कहते थेसबसे बड़ी जीत बिना युद्ध के मिलती हैइसलिए अपने विरोधी को पुल बनाइए और उस पर चढ़कर उस पार निकल जाइए.

Friday, May 29, 2020

आत्मनिर्भरता मेड इन चाइना !



आत्मनिर्भरता की हुंकार से उत्साहित एक स्वदेशी भक्त ने अपने गुरु को जूम की वीडियो कॉल पर जोड़ा और दहाड़ा कि अब बजेगा चीन का बैंड!
गुरु ने शांत भाव से कहा बच्चा, पाखंड से बचो और पता करो कि चीन को कोसने के ताजा दौर की शुरुआत से पहले बीते एक साल में भारतीय स्टार्ट अप कंपनियों में चीन के 1.4 अरब डॉलर कैसे गए थे? फरवरी तक इनमें 54 बार चीनी निवेश हो चुका था. (रेफिनिटि रिपोर्ट)

अगर बीते वर्षों में भारत की मैन्युफैक्चरिंग चीन पर निर्भर हो गई थी तो पिछले पांच साल में चीन की पूंजी ने भारत के डिजिटल भविष्य को जकड़ लिया है. हकीकत यह है कि बीते वर्षों में जब हमें आत्मनिर्भरता के झंडे पकड़ाकर चीनी लड़ियों-फुलझडि़यों के विरोध के लिए उकसाया जा रहा था तब पर्दे के पीछे डिजिटल इंडिया को मेड इन चाइना बनाने का अभियान चल रहा था.

कॉर्पोरेट मंत्रालय, स्टॉक एक्सचेंज (भारत हांगकांग) में दिए गए ब्योरे, कॉर्पोरेट घोषणाओं और विदेशी निवेश के आंकड़ों पर आधारि, गेटवेहाउस (इंडियन काउंस‍िल ऑन ग्लोबल रिलेशंस) की ताजा रिपोर्ट बताती है कि भारत अब चीन के वर्चुअल बेल्ट ऐंड रोड प्रोजेक्ट (पूंजी निवेश के दम पर एशिया से यूरोप तक फैला चीन का प्रभाव क्षेत्र) का हिस्सा बन चुका है

स्टार्ट अप, मोबाइल ऐप्लिकेशन, ब्राउजर, बिग डेटा, फिनटेक, कॉमर्स, सोशल मीडिया, ऑनलाइन मनोरंजन आदि नई अर्थव्यवस्था का हिस्सा हैं. कोविड के बाद के भारतीय भविष्य की योजनाओं में चीन गहराई तक पैठ गया है.

चीन के तकनीक निवेशकों ने मार्च 2020 तक पांच वर्षों में भारतीय स्टार्ट अप कंपनियों में करीब 4 अरब डॉलर का निवेश किया. भारत के 30 यूनीकॉर्न (एक अरब डॉलर से अधि के वैल्यूएशन) स्टार्ट अप में से 18 में चीन का निवेश है. चीन की दो दर्जन तकनीकी कंपनियां भारत के 92 बड़े स्टार्ट अप में पूंजी डाल चुकी हैं

शियोमी भारतीय बाजार की सबसे बड़ी मोबाइल कंपनी है और हुआवे सबसे बड़ी दूरसंचार उपकरण सप्लायर है

अलीबाबा, टेनसेंट, शनवेई कैपिटल (शियोमी) और बाइटडांस भारतीय बाजार में सबसे बड़े निवेशक हैं

पेटीएम, बिग बास्केट, डेलीहंट, टिकटनाउ, विडूली, रैपिडो, जोमैटो, स्नैपडील में निवेश के साथ अलीबाबा, कॉमर्स, फिनटेक मनोरंजन क्षेत्र का सबसे बड़ा निवेशक है

बायजूज, ओला, ड्रीम 11, गाना, माइगेट, स्विगी आदि में निवेश के साथ शिक्षा, गेमिंग, लॉजस्टिक्स, सोशल मीडिया, फिनटेक के स्टार्ट अप टेनसेंट की पूंजी पर चल रहे हैं

शनवेई कैपिटल ने सिटी मॉल, हंगामा डिजिटल, ओय! रिक्शा, रैपिडो, शेयरचैट, जेस्टमनी में निवेश किया है
यानी कि बीते पांच बरस में डिजिटल इंडिया के प्रत्येक शुभंकर की कीर्ति कथा चीन की पूंजी से बनी है

गूगल प्ले और आइओएस पर सबसे ज्यादा डाउनलोड होने वाले ऐप्लिकेशन में 50 फीसद चीन की कंपनियों के हैं. बाइटडांस का टिकटॉक 20 करोड़ सब्सक्राइबर के साथ भारत में यूट्यूब को पीछे छोड़ चुका है. बाइटडांस का वीगो वीडियो और अलीबाबा का शेयरइट इसी फेहरिस्त का हिस्सा हैं

अलीबाबा का यूसी ब्राउजर भारत के मोबाइल ब्राउजर बाजार में करीब 20 फीसद हिस्सा रखता है. टेनसेंट ने वीडियो नेटफ्लिक्स जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म मैक्स प्लेयर में पैसा लगाया है

चीन की कंपनियों का अगला लक्ष्य (अब तक 57.5 करोड़ डॉलर का निवेश) इलेक्ट्रिक वाहन हैं. चीन की बीवाइडी इलेक्ट्रिक बस लाने जा रही है. वोल्वो और एमजी हेक्टर के जरिए चीन भारत के ऑटोमोबाइल बाजार में दखल बढ़ाएगा (गेटवेहाउस)

डिजिटल इंडिया पर चीन का नियंत्रण भारत को पेचीदा मुकाम पर ले आया है.

♦ पाकिस्तान, श्रीलंका, म्यान्मार, बांग्लादेश की तुलना में भारत में चीन का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नगण्य (6.2 अरब डॉलर) है पर स्टार्ट अप निवेश के जरिए उसने देश के डिजिटल भविष्य को घेर लिया है

♦ स्टार्ट अप शुरुआत में नुक्सान उठाते हैं. यहां ऐसे निवेश की पूंजी नहीं है. तभी अलीबाबा, टेनसेंट, बाइटडांस ने मोर्चा मार लिया है

♦ अधिकतर चीनी कंपनियां, फिनटेक, कॉमर्स, सोशल मीडिया, जैसे क्षेत्रों में सक्रिय हैं जहां उपभोक्ताओं के डेटा का अंबार है.

चीन की पूंजी निकलते ही स्टार्ट अप क्रांति बैठ जाएगी. आत्मनिर्भर भविष्य के लिए स्टार्ट अप पूंजी के स्रोत तैयार करने होंगे जो नुक्सान के बावजूद आती रहे. ऐसी उत्पादन क्षमताएं बनानी होंगी जो चीन से सस्ता उत्पादन कर सकें.
यह सब कुछ आत्मनिर्भरता की नारेबाजी जितना आसान नहीं है

जॉन मिल्टन ठीक कहते थे कि परमात्मा के बाद केवल पाखंड ही है जो अदृश्य होकर मौजूद रहता है. चीन को लेकर  पाखंड अगर खत्म हो तो शायद हम भारत की क्षमताओं और संभावनाओं का कहीं ज्यादा बेहतर इस्तेमाल कर सकेंगे.