ठसक के साथ रुढि़वादी होने की सुविधा और पिछड़ेपन को ब्रांड बनाने का मौका राजनीति में ही मिल सकता है। हम फिर साबित करने जा रहे हैं कि हम इतिहास से
यही सीखते हैं कि हमने इतिहास से कुछ नहीं सीखा।
इतिहास से बचने और अर्थशास्त्र से नजरें चुराने एक
सिर्फ एक ही रास्ता है कि सियासत की रेत
में सर गड़ा दिया जाए। क्यों कि ठसक के साथ रुढि़वादी होने की सुविधा और पिछड़ेपन
को ब्रांड बनाने का मौका राजनीति में ही
मिल सकता है। पिछडापन तय करने के नए तरीकों और विशेष राज्यों के दर्जे की मांग के
साथ भारत में सत्तर अस्सी का दशक जीवंत हो रहा है जब राज्यों के बीच बहसें तरक्की
को लेकर नहीं बल्कि केंद्रीय मदद में ज्यादा हिस्सा लेने को लेकर होती थीं
जिसमें खुद पिछड़ेपन का बहादुर साबित करना जरुरी था।
राज्यों के आर्थिक पिछड़ेपन लेकर भारत में अचछी व
बुरी नसीहतों का भरपूर इतिहास मौजूद है जो उदारीकरण व निजी निवेश की रोशनी में ज्यादा
प्रामाणिक हो गया है। उत्त्तर पूर्व का ताजा हाल, भौगोलिक पिछड़ापन दूर करने के
लिए विशेष दर्जें वाले राज्यों की प्रणाली की असफलता का इश्तिहार है। छोटे राज्य
बनाने की सूझ भी पूरी तरह कामयाब नहीं हुई। पिछड़े क्षेत्रों के लिए विशेष अनुदानों
के बावजूद मेवात, बुंदेलखंड, कालाहांडी की सूरत नहीं बदली जबकि राज्यों को
केंद्रीय सहायता बांटने का फार्मूला कई बार बदलने से भी कोई फर्क नहीं पड़ा। यहां
तक कि राज्यों को किनारे रखकर सीधे पंचायतों तक मदद भेजने की कोशिशें भी अब दागी
होकर निढाल पड़ी हैं।
केंद्रीय सहायता में आरक्षण यह नई बहस तब शुरु हो
रही है जब राज्यों में ग्रोथ के ताजा फार्मूले ने पिछड़ापन के दूर करने के सभी
पुराने प्रयोगों की श्रद्धांजलियां प्रकाशित कर दी हैं। पिछले एक दशक में यदि
उड़ीसा, राजसथान, मध्य प्रदेश जैसे बीमारुओं ने महाराष्ट्र, पंजाब या तमिलनाडु
को पीछे छोड़ा है तो इसमें केंद्र सरकार की मोहताजी नहीं बलिक सक्षम गर्वनेंस,
निजी उद्यमिता को प्रोत्साहन और दूरदर्शी सियासत काम आई। इसलिए विशेष दर्जे वाले
नए राजयों की मांग के साथ न तो इतिहास खड़ा है और न ही उलटे चलने की इस सूझ को अर्थशास्त्र
का समर्थन मिल रहा है।
इतिहास का सच
1959 में मिजोरम की पहाडि़यों पर बांस फूला था,
जिसे खाने के लिए जुटे चूहे बाद में मिजो किसानों के अनाज का बीज तक खा गये।
मिजोरम की पहाडि़यों पर अकाल की मौत नाचने लगी। सेना के हवलदार और बाद में आइजोल
में क्लर्क की नौकरी करने वाले