Friday, May 28, 2010

चाईनीज चेकर ....Chinese Checker

An Artharth e-xlusive
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( ????? ….. ठीक समझे आप यह साप्‍ताहिक स्‍तंभ अर्थार्थ नहीं है। लेकिन यह खास आपके लिए है अर्थात इस ब्‍लॉग पर अर्थार्थ पढ़ने वालों के लिए विशेष। ताजा और एक्‍सलूसिव। इसे न्‍यूज, तथ्‍य, संदर्भ, प्रसंग, परिFont sizeप्रेक्ष्‍य और विश्‍लेषण का अनोखा हाइब्रिड समझिये। यह कोशिश है खबरों की भीड़-भाड़ के बीच खो जाने वाली बड़ी असर की छोटी सी खबर को तलाशने, उसका खोल तोड़ने, गांठें खोलने और आने वाले वक्‍त की आहटों को भांपने की। अर्थार्थ तो प्रति सोमवार इसके साथ मिलेगा ही।
मगर चीन ही क्‍यों या
चाइनीज चेकर ही क्‍यों.???... क्‍यों कि आने वाले दौर में चीन के कदम बहुत गौर से देखने चाहिए। चीन हर तरह से तैयार है। चीन नपे तुले दांव चलता है। चीन दिलचस्‍प है । चीन आर्थिक खबरों में कम दिखता है। मगर चीन चुपचाप छा जाता है। चीन अमीर, आक्रामक और अबूझ है। हर आर्थिक घटनाक्रम की ,पीछे दुनिया, अमेरिका और यूरोप को तलाशती है मगर इस गुल गपाड़े में चतुर चीन चुपचाप सम्‍मोहन फैला कर अपना काम कर जाता है। चाइनीज चेकर में आप समय समय पर पढ़ेंगे दुनिया की आर्थिक बिसात पर चीन की चालों का विश्‍लेषण। चीन के बारे में ताजा मालूम-नामालूम खबरों की रोशनी में।)
तो ड्रैगन की रहस्‍यमय दुनिया में आपका स्‍वागत है। बताइयेगा जरुर कि यह नया Artharth e-xlusive आपको कैसा लगा।

यह रहा पहला चाइनीज चेकर।....

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चीनी नुस्‍खे, खास यूरोप के लिए

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र्ज की बीमारी से बुरी तरह कमजोर और टूटे यूरोप को अब क्‍या चीन की दवा चाहिए ? ... उसी चीन ,की जिसे 18-19 वीं सदी में ओपियम युद्ध हार कर यूरोप (ब्रिटेन) के सामने घुटने टेकने पड़े थे। मालूम है, डिफाल्‍ट होने के करीब पहुंच चुके ग्रीस को इस समय कौन मदद करने पहुंचा है ?....अपना पड़ोसी चीन। ग्रीस के प्रधानमंत्री जॉर्ज पापेंद्रो अपने देश को उबारने के लिए चीन की शरण में हैं। .... चीन खुशी खुशी तैयार है। चीन की सबसे बड़ी शिपिंग कंपनी कॉस्‍को ग्रीस के शिपिंग उद्योग को संकट के तूफान से निकाल कर किनारे तक लाएगी। लबालब भरी तिजोरियों के सहारे चीन की यह कंपनी ग्रीस के लिए 200 मिलियन यूरो की दवा लेकर पहुंच गई है। कॉस्‍को एथेंस के करीब चीन एक लॉजिस्टिक्‍स सेंटर बनाने वाली है। डूबते ग्रीस को यह निवेश बड़ा सहारा देगा।
ग्रीस के लिए शिपिंग नमक है और पर्यटन रोटी। ग्रीस के अमीरों की नई पीढ़ी अपनी शिपिंग कंपनी खोलने के सपने देखकर कर बड़ी होती है। लाजिमी भी है आखिर शिपिंग पर्यटन के बाद ग्रीस का दूसरा बड़ा उद्योग जो है। ग्रीस के जीडीपी में करीब पांच फीसदी का हिस्‍सेदार, करीब दो लाख लोगों को रोजगार देने वाला। एक देश के पास 3079 मालवाहक जहाज !!! हैरत की तो बात है ही। यह किसी एक देश के पास मालवाहक जहाजों का सबसे बड़ा बेड़ा है। ग्रीस दुनिया में टैंकर व बल्‍क कैरियर परिवहन में पहले नंबर पर है। प्राचीन यूनान से लेकर आज के ग्रीस तक दुनिया के जबर्दस्‍त जहाजी इसी मुल्‍क से आते हैं। दुनिया के सबसे एतिहासिक समुद्री मार्गों के चौराहे पर स्थित ग्रीस के लिए शिपिंग स्‍वाभाविक है इसलिए तभी तो ग्रीस के नए पुराने (गैलिक्सिडी, कोर्फू और मैसोलांग आदि) शहर समुद्री परिवहन में दुनिया की ताकत रहे हैं। इसके बाद बताने की जरुरत नहीं ग्रीस में शिपिंग टायकून्‍स की क्‍या हैसियत है और ग्रीस के लिए शिपिंग उद्योग कितना जरुरी है।
मगर बात तो हम ड्रैगन की कर रहे थे। दुनिया को पता भी नहीं चला और ड़ैगन ने बीते साल अकटूबर में चुपचाप एथेंस के बंदरगाह पाइरियस पर एक कंटेनर टर्मिनल खरीद लिया। यह मानो ग्रीस के सबसे अहम उद्योग पर दांत गड़ाने की तैयारी थी। अपनी जहाजी दुनिया में चीन के प्रवेश के एक साल के भीतर ही मंदी का मारा और कर्ज संकट से घिरा ग्रीस, शिपिंग उद्योग को लेकर ड़ैगन के सामने खड़ा है। दरअसल एक तरह से ग्रीस का शिपिंग उद्योग चीन का अहसानमंद है। बीते कुछ वर्षों में ग्रीस के इस सबसे अहम कारोबार को चीन ने ही पाला पोसा है। चीन ने ग्रीस की शिपिंग कंपनियों को लोहा अयस्‍क ढोने के बड़े बड़े ठेके दिये हैं, जिनके सहारे ग्रीस में शिपिंग रईसों की बाढ़ आ गई। यानी कि चीन ग्रीस से दूर जरुर है मगर सिर्फ नक्‍शे पर । ग्रीस की आर्थिक रीढ़, शिपिंग अब ड्रैगन की नई पसंद है। ....
800 आधुनिक जलयान, 400 मिलियन टन का परिवहन, 1500 बंदरगाहों से संपर्क और 160 देशों से कारोबार करने वाली चीन की महाकाय शिपिंग कंपनी कॉस्‍को इस समय ग्रीस के लिए रेस्‍क्‍यू बोट यानी जीवन रक्षक जहाज लेकर पहुंची है। यह दांव बड़ा गहरा है। चीन अच्‍छी तरह जानता है कि जो मौके पर मारे वही मीर.........


ड्रैगन बीमार यूरोप पर अपना मंत्र फेंक रहा है। .....


यूरोप में चीन की चालें बड़ी सधी और दिलचस्‍प होने वाली हैं.... गौर से देखियेगा !!


यही तो है चाइनीज चेकर !!

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2 comments:

सुनील पाण्‍डेय said...

सचमुझ, यही तो है चाइनीज चेकर। पहली ही खेप में इतना सबकुछ, आगे क्‍या होगा। युवा पीढी अब घर बैठे चाइना को बारीकी से समझ पाएगी।
sunil pandey

naveen rawat said...

बेहतरीन हमेशा की तरह...
मुझे याद आता है कई वर्ष पहले मेरे प्रिय पत्रकार अरुण शोरी ने कहा था कि हमें चाइना को लेकर सावधान रहना चाहिये.

कमूयुनिज़्म की चीनी अमर-बेल पूजीवाद के हरे भरे वृक्ष से जिस तरह लिपट रही है उसे देखकर तो लगता है भारत जैसे देश तो कभी भी ड्रैगन की फूंक से उड़ जायेंगे.

चीन एक सम्प्रभु राष्ट की तरह व्यवहार करता दिखता है और उनके उलट भारत उपनिवेश वाली मानसिकता से बाहर ही नहीं आ रहा.

आपका ये "चाइनीज़ चेकर" मज़ेदार है..ये ऐतिहासिक दस्तावेज़् बनेगा. ज़ारी रखेयेगा सर...हमें हर अंक का इंतज़ार रहेगा.