Monday, October 24, 2016

मेड इन चाइना

चीन की भारत में पैठ पटाखों से कहीं ज्यादा गहरी और व्यापक है. देश भक्ति का उच्‍छवास ठीक है लेकिन चीन के दबदबे की हकीकत सख्‍त, कड़वी,  तल्‍ख है  

ब पिछले हफ्ते मेड इन चाइना सामान पर फेसबुक/वॉट्सऐप निर्मित गुस्सा बरस रहा थापटाखों-बल्बों की खरीद रोककर चीन की इकोनॉमी को मटियामेट करने के आह्वान टीवी चैनलों की सुर्खियों में पहुंचने लगे थे. ठीक उसी समय मुंबई में रिजर्व बैंक के अधिकारी यह गणित लगा रहे थे कि भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार का कितना हिस्साकैसे युआन (चीन की करेंसी) में बदला जाना है.

पाक समर्थित आतंकियों पर भारत की सर्जिकल स्ट्राइक के तीन दिन बाद ही युआन दुनिया की पांचवीं सबसे ताकतवर करेंसी बन गया था. अक्तूबर का पहला हफ्ता लगते ही युआन को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) के एसडीआर (स्पेशल ड्राइंग राइट्स) में जगह मिल गई. यह मुद्राओं का आभिजात्य क्लब है जिसमें अमेरिकी डॉलरजापानी येनब्रिटिश पाउंड और यूरो के बाद सिर्फ युआन को जगह मिली है. विभिन्न देशों के विदेशी मुद्रा भंडार एसडीआर के फॉर्मूले पर बनते हैं इसलिए भारत सहित दुनिया के सभी देश अब विदेशी मुद्रा खजाने में डॉलरपाउंडयूरोयेन के साथ युआन को भी सहेजेंगे.

भारतीय बाजार में चीन के दबदबे को लेकर हम पिछली सरकारों को कोसकर अपनी कुंठा मिटा सकते हैं लेकिन वित्तीय बाजारों के मजाकिये यूं ही नहीं कहते कि भगवान ने दुनिया बनाई और इसमें जो भी बना वह मेड इन चाइना है. जब कोई देश दुनिया के आधे से अधिक पर्सनल कंप्यूटरदो तिहाई डीवीडीअवनखिलौने बनाता हो तो मेड इन चाइना दुनिया के सभी बाजारों के लिए भारत जैसी ही तल्ख हकीकत है. चीनी जलवे को ग्लोबल अर्थव्यवस्था के ऐसे बदलावों ने गढ़ा है जिन्हें रोक पाना शायद किसी के बस में नहीं था.

ग्लोबल अर्थव्यवस्था में चीन के शिखर पर पहुंचने से पहले के इतिहास में ऐसा कोई उदाहरण नहीं मिलता.जब कोई एक देश पूरी दुनिया का सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरिंग पावरहाउस बनकर दुनिया भर के बाजारों पर काबिज हो जाए. यह कतई नामुमकिन नहीं है कि चीनी सामान के बहिष्कार के मोबाइल संदेश जिस फोन से भेजे या देखे जा रहे हैंवह फोन या उसके पुर्जे चीन में बने हों. संदेश ले जाने वाला मोबाइल नेटवर्क चीनी कंपनियों जीटीई या हुआवे ने बनाया हो या फिर सिम कार्ड चीन से आए हों. अगर फोन कोरिया या जापान का है तो भी उसमें चीन शामिल होगा क्योंकि दोनों देश चीन से 70 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स आयात करते हैं. हो सकता हैजिस बिजली से यह फोन चार्ज हुआ हैउसे बनाने वाली इकाई में चीनी टरबाइन लगे हों.

चीन की भारत में पैठ पटाखों से कहीं ज्यादा गहरी और व्यापक है. पटाखों का आयात बमुश्किल 10 लाख डॉलर भी नहीं होगा. विदेश व्यापार के आंकड़ों के मुताबिकचीन से भारत का सबसे बड़ा आयात इलेक्ट्रॉनिक्स (20 अरब डॉलर)न्यूक्लियर रिएक्टर और मशीनरी (10.5 अरब डॉलर)केमिकल्स  (6 अरब डॉलर)फर्टिलाइजर्स  (3.2 अरब डॉलर)स्टील (2.3 अरब डॉलर) का है. 2015-16 में भारत ने चीन से 61 अरब डॉलर का आयात किया जिसमें शीर्ष दस आयात का हिस्सा 48 अरब डॉलर था.

चीन के बाद भारत का सबसे बड़ा आयात अमेरिकासऊदी अरब और अमीरात से होता है. चीन से होने वाला आयात इन तीनों से ज्यादा है. फिर भी पटाखा क्रांतिकारियों को ध्यान रखना होगा कि दुनिया को 2 ट्रिलियन डॉलर से अधिक के चीनी निर्यात में भारत का हिस्सा तीन फीसदी से भी कम है! चीन की चुनौती को भावुक नहीं बल्कि तर्कसंगत ढंग से लेना होगा. भारतीय अर्थव्यवस्था में चीन के दबदबे का ताजा आधिकारिक अध्ययन उपलब्ध नहीं है. आखिरी कोशिश 2011 में हुई थी जब तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने भारतीय अर्थव्यवस्था में चीन के दखल का गोपनीय आकलन किया. निष्कर्ष चौंकाने वाले थेः

1. चीन अपने उत्पादों की कीमतें भारत के मुकाबले 40 फीसदी तक सस्ती कर सकता है. बाजार इस हकीकत की तस्दीक करता है.
2. भारत के टेलीकॉम आयात में चीन का हिस्सा 2011 में ही 62 फीसदी था. अब यह 75 फीसदी से ऊपर होगा.
3. चीन दुनिया का सबसे बड़ा बल्क ड्रग (दवा) निर्माता है और एपीआइ (एक्टिव फॉर्मा इनग्रेडिएंटस) और बल्क ड्रग की आपूर्ति के लिए भारत चीन पर शत प्रतिशत निर्भर है.
4. बिजली संयंत्र और इलेक्ट्रॉनिक्स सामान के लिए भारत के अधिकांश सामान की जरूरत चीन से पूरी होती है. और सबसे महत्वपूर्ण
5. भारत के मैन्युफैक्चरिंग जीडीपी में चीन का हिस्सा 2011 में 26 फीसदी था जो अगले पांच साल में 75 फीसदी होना था. यह आकलन सही साबित हुआ है.

पूरी दुनिया दशक भर पहले यह मान चुकी है कि चीन जो खरीदेगा वह महंगा होगा और जो बेचेगावह सस्ता. दुनिया के देश इस समीकरण को स्वीकारते हुए रणनीतियां बना रहे हैं. भारत को भी इस वास्तविकता की रोशनी में बहिष्कार के बजाए उत्पादन लागत घटाने के तरीकों पर काम करना होगा और छोटी इकाइयोंतकनीकशोध पर फोकस करना होगा जो कम लागत वाले चीनी आयात का विकल्प खड़े कर सकते हैं.

चीन-पाकिस्तान गठजोड़ की तरफ लौटते हैंपटाखे जहां से फूटना शुरू हुए हैं. पिछले साल इस्लामाबाद दौरे से पहले चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पाकिस्तान को भविष्य का एशियाई टाइगर (पाकिस्तान के डेली टाइम्स में छपा लेख) कहा था. दुनिया की किसी भी महाशक्ति ने उसमें यह संभावना कभी नहीं देखी. चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर में चीन का निवेश 46 अरब डॉलर है जो पाकिस्तान के जीडीपी का 20 फीसदी है. जाहिर हैअमेरिका ने कई दशकों तक साथ रहकर भी पाकिस्तान को ऐसी आर्थिक ताकत नहीं दी जो चीन लेकर पहुंचा है.



हमें समझना होगा कि चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. उसके इतने बड़े होने के बाद से सुरक्षा का अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य सिरे से बदल गया है. चीन के साथ खड़ा पाकिस्तान दरअसल अमेरिका के साथ छह दशक तक रहे पाकिस्तान से कहीं ज्यादा स्थिर और सक्षम है. चीन अमेरिका की तरह पाकिस्तान से मीलों दूर नहीं बल्कि उसकी अपनी जमीन पर कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहा है. चीन का रणनीतिक रसूख उसकी आर्थिक शक्ति से निकला है. देशभक्ति के भावुक उच्छवास ठीक हैं लेकिन भारत को अपनी आर्थिक ताकत बढ़ानी होगीक्योंकि दुनिया में रणनीतिक शक्ति का झंडा अब कार्गो शिप लेकर चलते हैंबैटल शिप नहीं.

5 comments:

hari said...

Ji sriman sahi kaha apne cargo ship hi vijay ka jhands fahrate haiapne achhi aur sachchi tasveer dikhai parntu apke ansar ye man liya jaye ki ham kuchh nhi kar sakte bada darawna manjar dikhaya apne
Mahoday ye sch hai ki bahut kuch nirbhar hai chin par lekin chin ki dusri chasl ko ap samjhe nhi ya itna prabhavit hai ki udhar dekhna nhi chaha chin jitna bharat se no 1 me kamai karta hai uska 1/4 wo no 2 ki bajar se leta hai jo hamari rojmarra ki chije bharat me dump karta ja raha wo uska 1 no se koi wasta nhi rakhta wo mal tibbat nepal ki seema se sidhabandar astabhai bina koi duty diye us mal ke bahiskar ki bat hai jo hamare kutir uddyogo ko nigal raha yahi chin ki aghoshit chal hai iska pratikar kiya ja raha chand lalchi vyapariyo ne dalalo ke madhyam se network bichhabrakha hai mal nepal ke raste sidhe bharat aata hai

HindIndia said...

बहुत ही उम्दा ..... बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ... Thanks for sharing this!! :) :)

Shubham Kamal said...

http://shubhamkamalofficial.blogspot.in/2016/10/blog-post_25.html

Shubham Kamal said...

also read http://shubhamkamalofficial.blogspot.in/2016/10/blog-post_25.html

Anil Dixit said...

Eye opener