Monday, August 13, 2012

ब्रिटेन की अगली मेजबानी



जाने भी दीजिये ब्रांड लंदन !!! हमें तो यह देखना है ब्रिटेन की मेजबानी में ओलंपिक के बाद क्‍या होने वाला है …!  एक ग्‍लोबल कंपनी के मुहफट मुखिया ने यह बात ठीक उस समय कही जब प्रधानमंत्री डेविड कैमरुन ओलंपिक को ब्रिटेन की आर्थिक तरक्‍की का मुकुट बता रहे थे। कैमरुन सरकार  ओलंपिक मेडल्‍स में ब्रिटेन की खेल ताकत दिखा रही थी तो निवेशक लंदन की वित्‍तीय साख पर दागों की लिस्‍ट बना रहे थे और ओलंपिक के भव्‍य उद्घाटन से निगाहें हटाकर ब्रिटेन की भयानक मंदी की आंकड़े पढ़ रहे थे। शताब्दियों से पूरी दुनिया के बैंकर रहे लंदन के बैंक घोटालों की नई नई किस्‍मे ईजाद कर रहे हैं और ब्रिटेन की अर्थव्‍यवस्‍था की यूरोजोन से जयादा बुरी हालत में है। ब्रिटेन विश्‍व की वित्‍तीय नब्‍ज संभालता है इसलिए बाजारो में डर की नई सनसनी है। यूरोप की चुनौतियां यूरोजोन से बाहर निकल कर ब्रिटेन के रास्‍ते ग्‍लोबल बैकिंग में फैल रहीं हैं। ओलंपिक के बाद यूरोपीय संकट की जो पदक तालिका बनेगी उसमें ब्रिटेन सबसे ऊपर होगा।
तालियों का टोटा
अमेरिका व चीन के बाद ओलंपिक की तीसरी ताकत होते हुए भी ब्रिटेन दरअसल तालियों को तरस गया। क्‍यों कि ऐन ओलंपिक के मौके पर लंदन दुनिया को तरह तरह के घोटाले और अपनी साख ढहने की खबरें बांट रहा था। 241 ग्‍लोबल बैंकों का गढ़ लंदन विश्‍व का वित्‍तीय पावर हाउस है। यहां हर रोज करीब 1.4 ट्रिलियन डॉलर के विदेशी मुद्रा और ब्‍याज दर सौदे होते हैं, जो इस तरह के विश्‍व कारोबार का का 46 फीसदी है। बैंकरों, बीमा कंपनियों, हेज फंड, ब्रोकरों, रिसर्च फर्म से लंद फंदे लंदन के वित्‍तीय कारोबारी जोन (फाइनेंशियल डिस्टि्क्‍ट) में सेकेंडों में अरब डॉलर इधर से उधर होते है। बीते सप्‍ताह जब ओलंपिक का झंडा चढ़ रहा था तब ब्रिटेन वित्‍तीय पारदर्शिता का परचम उतरने
लगा था।  पिछले छह माह में ब्रिटेन के बैंकों के धतकरम इस रफ्तार से खुले कि विश्‍व का भरोसा ही डिग गया है। दिग्‍गज बैंक बार्कलेज लाइबोर की चोरी (लंदन इंटर बैंक ऑफर्ड रेट –विततीय तंत्र की सबसे जरुरी ब्‍याज दर, करीब 800 ट्रिलियन डॉलर के वित्‍तीय कारोबार का आधार) में फंसा। लाइबोर दर को मनमाने ढंग से तय करने के अभूतपूर्व घोटाले में बार्कलेज के मुखिया बॉब डायमंड हटाये गए और बैंक को 543 मिलियन डॉलर का जुर्माना देना पडा। लंदन की एक और शान, एचएसबीसी बैंक मैक्सिको के नशीली दवा कारोबारियों की मदद करने में धरा गया। इस पर अमेरिकी संसद ने एक अरब डॉलर का जुर्माना ठोंका। ब्रिटेन का बैंकिंग रत्‍न स्‍टैंडर्ड चार्टर्ड ईरान की तेल कंपनियों को काला धन सफेद करने में मदद करता मिला तो इससे पहले मई में जेपी मोर्गन के वित्‍तीय कारोबार में जबर्दस्‍त गफलत ( दो अरब डॉलर का घाटा) पाई गई। जून में रॉयल बैंक ऑफ स्‍कॉटलैंड (आरबीएस) के रहस्‍यमय कंप्‍यूटर ब्रेकडाउन ने सारी कसर पूरी कर दी। शेयर बाजारों में पूंजी डुबाने के बाद सरकारी मदद पर किसी तरह खड़े हुए आरबीएस को इस तकनीकी असफलता से 100 मिलियन पाउंड की चपत लगी है। इन घोटालों से बैंक ही नहीं बल्कि ब्रिटेन के वित्‍तीय नियामक भी अपनी साख गंवा बैठे हैं।  विशाल वित्‍तीय कारोबार को संभालने की सरकार की क्षमताओं पर भी सवाल उठे हैं। लंदन की बैंकिंग का नया ग्‍लोबल चेहरा 1986 में माग्रेट थैचर के सुधारों के बाद बना था। आज यह अपने सबसे मुश्किल वक्‍त में है। इसलिए बीते सप्‍ताह जब ब्रिटेन की सरकार ओलंपिक को कारोबारी सफलता बता रही थी  तब लंदन के चार्टर्ड इंस्‍ट्रीट्यूट आफ सिक्‍योरिटीज का सर्वेक्षण यह कह रहा था लंदन की वित्‍तीय दुनिया में दो तिहाई लोग अब ब्रिटिश बैंकिंग पर भरोसा खो चुके हैं। यकीनन इन घोटालों से उपजी आशंकायें अब एक ग्‍लोबल संकट की आहट दे रही हैं।
मंदी के पदक
27 जुलाई को ओलंपिक स्‍टेडियम में डैनी बॉयल (स्‍लमडॉग मिलिनेयर के निर्माता) का भव्‍य उद्घाटन शो, आएल्‍स ऑफ वंडर, शुरु होने से सिर्फ दो दिन पहले की बात है जब दुनिया के सामने ब्रिटेन का एक और शो पेश हुआ। ब्रिटेन के सरकारी आंकड़ा विभाग ने कहा कि देश की अर्थव्‍यवस्‍था दोहरी मंदी में चली गई है। 2012 में लगातार दूसरी तिमाही में ग्रोथ शून्‍य से नीचे रही और 1970 के बाद पहली बार ब्रिटेन अपने सबसे गहरी मंदी में उलझ गया। ब्रिटेन की विकास दर 2009 से थमी हुई है। विश्‍व की निगाहें कैमरुन और ऑसबोर्न (वित्‍त मंत्री) के उपायों पर टिकी थीं लेकिन दोहरी मंदी की पुष्टि होने के बाद कैमरुन के लिए कुछ बोलते नहीं बना। मंदी के आंकड़े आते ही बैंक ऑफ इंग्‍लैंड ने गिरह लगाई और यह कहा कि 2014 से पहले ग्रोथ की उम्‍मीद न की जाए। ब्रिटेन का व्यापार घाटा पंद्रह साल के सबसे ऊंचे स्‍तर पर है और देश का कर्ज जीडीपी की तुलना में 66 फीसदी है। इसलिए ग्रोथ के आंकड़े आने के बाद बांड बाजार में घबराहट फैल गई। वित्‍तीय बाजारों में चर्चा शुरु हो गई थी कि कि ब्रिटेन की ट्रिपल  ए रेटिंग अब ज्‍यादा दिनों की मेहमान नहीं है। अमेरिका और फ्रांस पहले ही इस क्‍लब से बाहर हो चुके हैं। ब्रिटेन के संकट में फंसने का मतलब है कि अब बीमारी यूरोजोन से बाहर फैल गई है और पाउंड स्‍टर्लिंग की साख भी खतरे में है।
कहने को ब्रिटेन ब्राजील से भी छोटी (दुनिया की सातवीं) अर्थव्‍यवस्‍था है मगर दुनिया की आधी वित्‍तीय कमान इसके पास है। इसलिए ब्रिटेन में पूरी दुनिया की सांस अटकी है। दुनिया में कारपोरेट और वित्‍तीय निवेश की कई पाइपलाइने इस मुल्‍क से होकर गुजरती हैं इसलिए यहां मंदी का असर दूर दूर तक जाएगा। ब्रिटेन की बैकिंग में घोटालों की बाढ़ सिडनी से लेकर टोरंटो तक और टोकियो से साओ पाओलो तक बाजारों को कंपा रही है क्‍यों कि कौन जाने लंदन के किस बैंक ने कहा निवेश कर रखा है और किस बाजार में कितना कर्ज दे रखा है। दुनिया ग्रीस, स्‍पेन और इटली का कर्ज में चूकना या ढहना झेल सकती है लेकिन लंदन के एक बड़े बैंक के डूबने का ख्‍याल भी ठंडा पसीना निकाल देता है। ओलंपिक का मेला उखड़ चुका है। महान ब्रिटेन के अब अपने ताजा इतिहास की सबसे गंभीर चुनौ‍तियों के अखाड़े में है और दुनिया की वित्‍तीय किस्‍मत उसके साथ बंधी हुई है। लगता है यूरोपीय संकट के अगले राउंड की मेजबानी महान ब्रिटेन करेगा। 

1 comment:

ARUN said...

bhahut sunder likha aapne