Monday, March 14, 2011

हसन अली का स्वर्ग

अथार्थ
मुंबई की अदालत में मिंट चबा रहा हसन अली दरअसल भारत के कानून को चबा रहा था। हसन अली को जमानत देते हुए अदालत पूरी दुनिया को बता रही थी कि भारत की जांच एजेंसियों का डायनासोरी तंत्र अपने सबसे पुराने और मशहूर कर चोर व काले धन के सरगना के खिलाफ एक कायदे का मुकदमा भी नहीं बना सकता। दो माह पहले वित्त मंत्री बड़े भोलेपन के साथ विश्‍व को बता चुके हैं कि हसन अली के स्विस बैंक खाते तो खाली हैं। होने भी चाहिए, काले धन पर इतनी चिल्ल-पों के बाद के बाद कोई अहमक ही खातों में पैसा रखेगा। हसन अली हमारी व्यावस्था की  शर्मिंदगी का शानदार प्रतीक है। स्विस बैंक की गर्दन दबाकर अमेरिका अपने 2000 हसन अलियों का सच उगलवा लेता है और प्रख्यात टैक्स हैवेन केमैन आइलैंड का धंधा ही बंद करा देता है। फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन के डपटने पर लीचेंस्टीन, वर्जिन आइलैंड पैसा व जानकारी समर्पित कर देते हैं लेकिन हसन अली का देश यानी भारत तो दुनिया में उन देशों में शुमार है, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में जिनका रिकार्ड संदिग्ध है क्यों कि भारत ने आज तक भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र की अंतरराष्ट्रीय संधि पर दस्तंखत नहीं किये हैं। इस संधि के बिना किसी कर स्वर्ग से जानकारी कैसे मिलेगी। दरअसल हसन अली ने जो छिपाया है उससे ज्यादा खोल दिया है वह कालेधन, कर चोरी, हथियारों की दलाली और वित्तीय जरायम से निबटने की हमारी क्षमताओं का नंगा सच उघाड़ रहा है। हसन अलियों के लिए भारत स्वर्ग यूं ही नहीं बन गया है।
हसन अली के मौके
एक्साइज इंस्पेक्टर का बेटा हसन अली भारत में सर्वसुलभ रास्तों पर चल कर काले धन दुनिया का सितारा बना है। काले धन के उत्पादन पर उपलब्धं टनों शोध व अध्ययनों के मुताबिक कर चोरी काले धन की पैदावार का सबसे बड़ा जरिया है। याद कीजिये भारत में तस्करी की दंतकथायें कर कानूनों के कारण ही बनी थीं। कर नियमों में स्थिरता और पारदर्शिता कर चोरी रोकती है। मगर भारत में तो हर वित्त मंत्री अपने हर बजट में कर कर व्यवस्था मनचाहे ढंग से कहीं भी
मोड़ देता है। इसलिए भारत में कंपनियां व करदाता कर की दीर्घकालीन नहीं बल्कि सालाना योजना बनाते हैं और अगले साल कर कानूनों के बदलाव के बाद बचने के रास्ते् तलाशते हैं। दुनिया के देश कर कानूनों को बिरले ही बदलते हैं। उनके कर प्रशासन अपनी ऊर्जा काले धन की फैक्ट्रियों को बंद करने पर लगाते हैं और हमारे कर अधिकारी खुद को बेचने पर मेहनत करते हैं। दरअसल भारत की कालिख शेष दुनिया से फर्क है अन्‍य मुल्‍कों में काला धन विशुद्ध आपराधिक गतिविधियों मसलन नशीली दवाओं या हथियारों के कारोबार से उपजता है, लेकिन भारत में कालिख सार्वजनिक और कानूनी कारोबारों को अवैध ढंग से करने से उपजती है। हमारे कालेधन की फैक्ट्रियां कानून तोड़कर नहीं कानूनों से डर कर बनी हैं। भारत की काली इकोनॉमी खुदरा है, कर से बचने के लिए वह आधिकारिक वित्तीय तंत्र ( बैंकिंग) से बाहर हाथों हाथ चलती है और अंतत: मुट्टी भर लोगों के पास पहुंच कर थोक में बदल जाती है जो कि नीतियां बनाने, बदलने या प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। भारत मे काले धन का यह तंत्र स्पष्ट, आधिकारिक और क्रिकेट व फिल्म की तरह दैनिक जीवन का हिस्सा है। हसन अली इसी तंत्र से सीखकर अपनी मेहनत बूते काले धन के थोक डीलरों की पांत में पहुंच गया और जिन पर कोई कानून नहीं चलता।
हसन अली की ढाल
हसन अली को हिरासत की जगह जमानत मिल गई या कहिये कि कमजोर जांच की हिफाजत मिल गई। अदालत कहती है कि अली पर मनी लॉड्रिंग का मामला भी नहीं बनता क्यों कि इसके खेल तो भारत में मनी लॉड्रिंग कानून (2005) के जन्म से पहले के हैं। समझ सकते हैं कि हसन अली कितना पुराना खिलाड़ी है लेकिन आज तक अभियोजन के पास उसे घेरने के साक्ष्य नहीं हैं। वह तो खुद स्विस बैंक (यूबीएस) ने अगर हसन अली को संदेश ( जांच एजेंसियों के हाथ यह मैसेज लगा था) भेज कर न बताया होता तो हम जान भी न पाते कि एक कबाड़ी ( स्क्रैप डीलर- हसन अली का आधिकारिक कारोबार) स्विस बैंकों में नौ अरब डॉलर रखता है। सरकारें संसद से लेकर अदालत तक को बताती रही हैं कि हसन अली हर बड़े जरायम में शामिल है। हथियार व्यापारी अदनान खशोगी का फंड मैनेजर हसन अली की सेवा में रहा है और दाऊद के उसके रिश्ते रहे हैं। मगर इतने नायाब हसन अली को जेल भेजने के लिए हमारी जांच एजेंसियों के पास कोई सबूत नहीं है। हसन अली को नोटिस जारी करते-करते भारत में आयकर अधिकारियों की एक पीढ़ी इंस्पेंक्टर से कमिश्‍नर हो गई है। आयकर का ताजा नोटिस 75000 करोड़ रुपये की वसूली का है। भारत की जांच एजेंसियां और कर प्रशासन उदार हैं, उनकी जांच अपराधियों को बचाती है। भारत का जांच तंत्र अभियोजन की कमजोरी के लिए कुख्यात है। हमारा राजस्‍व विभाग अदालती लड़ाई में कनाडा की क्रिकेट टीम है। इसलिए  हसन अली जमानत पर बाहर है। अब सरकार किस मुंह से स्विस बैंकों से जानकारी मांगेगी जब हमारा अपना कानून उस पर अभियोजन तक नहीं बना पाता।
हसन अली की सुविधा
अमेरिका की इंटरनल रेवेन्यू सर्विस (आईआरएस) को अपने करीब 4450 हसन अलियों (टैक्स हैवेन में पैसा रखने वालों) की जानकारी चाहिए थी। उसने 780 मिलियन डॉलर के जुर्माने वाले एक मुकदमे के साथ, 2009 में सबसे बड़े निजी स्विस बैंक यूबीएस की गर्दन दबाई और बैंक ने पिछले साल 2000 अमेरिकियों का सच सौंप दिया। बचे अमे‍रिकियों की जानकारी देने का जिम्मा स्विस सरकार ने अपने सर ले लिया है। इसी दशक की शुरुआत तक केमैन आइलैंड दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा वित्तीय केंद्र था, न्यूयार्क, लंदन, हांगकांग, टोकियो के बाद। टैक्‍स हैवेन की दुनिया का नया सितारा। अमेरिका ने केमैन को सूचना के आदान-प्रदान का समझौते में फंसाकर इसके पर्दे नोच दिये और केमैन का खेल लगभग खत्म हो गया। फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी ने कर स्वर्गों को अपनी ताकत दिखाकर रिकवरी शुरु कर दी है। इधर अपने वित्‍त मंत्री सिर्फ इसी में (बजट भाषण) खुश हैं कि भारत ने सूचना आदान-प्रदान के लिए दुतरफा समझौते किये हैं और फत्फ (मनी लॉड्रिंग के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समूह) की सदस्यता मिल गई है। किसी मुगालते में मत रहिये भारत की यह कोशिशें दरअसल आतंक के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहमति और आतंकवाद का वित्‍त पोषण रोकने के लिए हैं। भ्रष्टाटचार व विदेश में जमा काले धन की वापसी इस इंतजाम का लक्ष्य नहीं है। कर स्वर्गों से सच उगलवाने के लिए तो भारत को भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र संघ की अंतरराष्ट्रीय सहमति का हिस्सा बनना पड़ेगा और अपने देश के कानून बदलने होंगे। हसन हली की सबसे बड़ी सुविधा यही है कि भारत अमेरिका या यूरोप नहीं है। हमारी सरकार काला धन वापस लाने के ऐसा कोई जोखिम नहीं लेगी जिससे बडे चेहरों से नकाब उतर जाए।
भ्रष्टाचार, काले धन और कर स्वर्गों से पैसे की वापसी भारत के नीतिगत एजेंडे में कभी भी किसी वरीयता पर नहीं रही । न हमारे पास दमदार कानून है, न प्रभावी जांच, न अचूक अभियोजन और न ही इतनी ताकत कि हम भारत से चुराई गई पूंजी वापस ला सकें। सुप्रीम कोर्ट फालतू में मगजमारी करता है तो सरकार भी पूरी गंभीरता के साथ नाटक करती है। अंतत: हमें पता चलता है कि हसन अली के विदेशी खाते खाली हैं और हैदराबादी घोड़ेवाला ( मुंबई रेस कोर्स में हसन अली का नाम) देश के कानून को मिंट तरह चबाता हुआ जमानत पर बाहर आ जाता है। काले धन के खिलाफ भारत की लड़ाई सिर्फ एक कॉमेडी है और हसन अली इस ड्रामे का हीरो है। हसन अली ने भले ही दुनिया के किसी भी कर स्वर्ग में अपना पैसा छिपाया हो लेकिन उसका स्वर्ग कहीं नहीं, बस यहीं है भारत में। भारत में वह पूरी तरह महफूज है।... जिओ हसन अली वाहे वाहे !!

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लूट के सरपरस्‍त ... लूट को छिपाने और ठिकाने लगाने का चोखा धंधा। टैक्‍स हैवेन से लेकर वित्‍तीय बाजार और जमीन जायदाद का कारोबार
झूठ के पांव ... सच को छिपाने की बेजोड़ दुनिया, क्रियेटिव अकाउंटिंग और कारोबारी फर्जीवाड़ा
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