Monday, September 12, 2011

महासंकट ! मेड इन चाइना

अंतरराष्ट्रीय वित्ती‍य संकट की डरावनी कथा अभी पूरी नहीं हुई है। इसका नया अध्याय ठीक पड़ोस में यानी चीन में लिखा जा रहा है। ग्रोथ की दंतकथायें बना चुका चीन का अचल संपत्ति बाजार बस फटने को तैयार है। अमेरिका, दुबई और आयरलैंड में प्रॉपर्टी बाजार में तबाही क्षत विक्षत हो चुके निवेशक अब आंखे फाड़े  ड्रैगन को देख रहे हैं। चीन की ग्रोथ में करीब पंद्रह फीसदी का हिस्सेदार भवन निर्माण क्षेत्र का डूबना विश्वेव्यापी मंदी की ताल ठोंक गारंटी होगी। विकीलीक्स के ताजे खुलासों ने चीन को लेकर पारदर्शिता के पुराने शक फिर उभर आऐ हैं। चीन के कुछ वरिष्ठ नेता अपने देश की शानदार ग्रोथ के आंकड़ों की प्रामाणिकता पर संदेह करते हुए पाए गए हैं। बदकिस्‍मती देखिये कि जब दुनिया मंदी से बचने के लिए चीन की ग्रोथ के कवच का इस्तेमाल करना चाहती है तो  ड्रैगन तो नए संकट की भयानक आग उगलने वाला है।
प्रॉपर्टी का भस्मा्सुर
चीन भवन निर्माण का महासागर है। चीन के उप नगरीय इलाकों की एक हालिया और चर्चित उपग्रह तस्वीर ने दुनिया को दिखाया कि ग्रोथ की झोंक में चीन किस तरह शहर पर शहर बसा रहा है। आकाश चूमती क्रेनें, विशालकाय भवन और निर्माण के करिश्में चीन के नगरों की पहचान हैं। दुनिया यह जानकर हैरत में हैं कि विश्‍व का सबसे जोखिम भरा कारोबार, दरअसल चीन की ग्रोथ में सबसे बड़ा
हिस्सेदार है। यह मुगालता अब टूट गया है कि चीन की ग्रोथ मैन्युफैक्चरिंग से आ रही है। भवन निर्माण गतिविधियां चीन के जीडीपी में करीब 15 फीसदी (1990 के मुकाबले दोगुना) की प्रत्ययक्ष हिस्सेदार हैं। सभी संबंधित परोक्ष आर्थिक गतिविधियों को जोड़ने पर यह हिस्सेदारी 35 फीसदी हो जाती है। कुछ शहरों की 50 फीसदी ग्रोथ इसी धंधे से आ रही है। यह तो बम पर बैठ कर आग से खेलने जैसा है। शंघाई व बीजिंग में पिछले साल अचल संपत्ति की कीमत 2200 से 2700 डॉलर प्रति वर्ग मीटर थी, जो अब दुनिया के सबसे महंगे प्रॉपर्टी बाजार हैं। चीन अन्य आठ प्रमुख शहरों (झेझियांग, हेनान, तियानजिन, गुएंनडांग, फुजियान, जिआंग्सूव, लियानिंग और चोंगचिंग) में 2005 से 2010 के बीच प्रॉपर्टी की कीमत 150 से 400 फीसदी तक बढ़ चुकी हैं। बीजिंग में यह बढ़ोत्त0री 800 फीसदी तक है। 1998 में चीन सरकार ने पहली बार आवास निर्माण को निजी क्षेत्र को सौंपा था। उसके बाद से ससते कर्ज के सहारे चीन के शहरों में जमीन जायदाद की खरीद व कीमतों ने रिकार्ड बना दिये। मगर महंगाई दसतक के साथ अब कीमतें गिरने लगी हैं और प्रॉपर्टी का बम सुलगने लगा है1 चीन की राष्ट्रीय आंकड़ा एजेंसी एनबीएस के अनुसार चीन के 70 शहरों में प्रॉपर्टी की कीमतें 12 फीसदी गिर चुकी हैं। बैंकों कर्ज देने से हिचक रहे हैं। बैंकों के लिए प्रॉपर्टी फाइनेंस की शर्तें सख्त हो गई हैं और ब्याज दर बढने मांग अचानक घट गई है। निवेशकों को नब्बे के दशक का एशियाई संकट याद आ रहा है जो इसी तरह शुरु हुआ था।
यह भी डूबेंगे
चीन का संकट अमेरिका, दुबई या आयरलैंड की अचल संपत्ति मुसीबतों से से फर्क है। ग्रोथ में   प्रत्यक्ष रुप से 15 फीसदी ( परोक्ष 35 फीसदी) की अधिक हिस्से दार निर्माण उद्योग चीन की जान है। दुनिया का लगभग आधा स्टीलल, सीमेंट और कोयला चीन में खपता है। चीन में इस्तेमाल होने वाला 40 फीसदी स्टीपल यही उद्योग खाता है। इस उद्योग में मंदी का मतलब चीन की ग्रोथ थमना, अचल संपत्ति में पैसा लगाये बैंकों का डूबना और बेकारी का बढ़ना है। चीन के प्रॉपर्टी संकट को देखकर ब्राजील से लेकर आस्ट्रेलिया तक खौफ की ठंडी लहर दौड़ रही है। ब्राजील व दक्षिण अफ्रीका ( औद्योगिक धातु), आस्ट्रेलिया (कोयला, गैस, लोहा) चिली (तांबा) वियतनाम, थाईलैंड (रबड़) की निर्यात सफलतायें ड्रैगन की पीठ पर सवार हैं। अर्थात चीन का गिरता इमारती उद्योग बहुतों को ले डूबेगा। प्रॉपर्टी चीन में सामाजिक तनाव की वजह भी है।बीजिंग में एक अपार्टमेंट की औसत कीमत 2.5 लाख डॉलर है जो कि एक औसत बीजिंगवासी की 57 साल की कुल आय के बराबर है। चीन के प्रॉपर्टी बाजार ने असमानता के नए मानक तैयार कर दिये हैं। भवन निर्माण उद्योग जमीनें निगल रहा है जबरकि लोग हिंसक होकर जमीन बचा रहे हैं। पिछले पांच सालों में 30 लाख लोगों ने जमीनें गंवाईं हैं। जमीन को लेकर दंगे सुरक्षा का बड़ा सरदर्द हैं।
ग्रोथ पर शक
‘’चीन की जीडीपी के आंकड़े आदमी ने ही बनाये हैं जो केवल संदर्भ के लिए हैं” 2007 में तत्‍कालीन उप प्रधानमंत्री ली केक्वांग ने यह बात अमेरिकी राजदूत क्लानर्क रैंडिट से कही थी। विकीलीक्स पर हाल में ही जारी इस केबल के बाद चीन में ग्रोथ कहानी संदेहों में घिर गई है। चीन के आंकडों पर शक पहले से रहा है। इस खुलासे के बाद कुछ तथ्यों की रोशनी में चीन की ग्रोथ के आंकड़ों की चीरफाड़ चल रही है। कुछ स्व तंत्र विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर चीन के सीमेंट, बिजली उत्पाचदन, आयात और वायु यातायात में बढ़ोत्तेरी को आधार बना जाए तो 1995 से 2005 के चीन ने अपनी ग्रोथ को बढ़ा चढ़ाकर बताया था। खासतौर 1998 में जब एशिया की अन्य अर्थव्यवस्थाओं में विकास दर गिरी थी तब चीन में भी यही हाल था मगर दुनिया को गलत आंकड़ा दिया गया। चीन में राष्ट्रीय ग्रोथ का आंकड़ा राज्यों की आर्थिक विकास दर पर आधारित है। राज्यों के आंकड़े को लेकर हमेशा शक रहा है। खुद चीन के विशेषज्ञ इन आंकडों पर भरोसा नहीं करते। बताते हैं कि विकीलीक्स केबल में उप प्रधानमंत्री ली केक्वांग का इशारा इन्हीं स्थानीय आंकड़ों की तरफ था।
 सस्ते कर्ज के नशे के कारण जमीनों का कारोबार हमेशा बारुदी हो जाता है। इसलिए ग्रोथ की सभी शानदार ताजी कथाओं की कब्र जमीन के बाजार में ही बनी है। नब्बे के दशक में एशिया के शेरों को जमीन बाजार के बुलबले ने बिल्ली बना दिया था। 2009 में दुबई की चमक को प्रॉपर्टी संकट ने डुबाया था1 अमेरिका में बैंकिंग संकट आवास बाजार की बदहाली से शुरु हुआ। सेल्टिक टाइगर यानी आयरलैंड के बैंक जमीन के कारोबार में देश की साख को डुबा बैठे और अब दुनिया की सबसे बड़ी ग्रोथ स्टोरी प्रॉपर्टी के कारण संकट में फंस रही है। प्रॉपर्टी के जोखिम, आंकड़ों का गड़बडझाला और लोकतंत्र की नामौजूदगी !! .... चीन की ग्रोथ का फलसफा बहुत गलत वक्त पर सवालों, संदेहों और आशंकाओं में घिर रहा है। मंदी की तरफ बढ़ती दुनिया को उबरने के लिए चीन के कंधों का बड़ा भरोसा था मगर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था तो महासंकट की हॉरर स्टोरी का क्लाइमेक्स् लिख रही है।
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