Saturday, September 18, 2021

तेल की बिसात

 


हंगे पेट्रोल-डीजल का अभिशाप खत्म होने के दिन आ गए हैं? क्या सरकारें यदि टैक्सखोरी कुछ कम कर दें तो  दुनिया में कई ताजा करवटों की मदद से हमारी जिंदगी जीने की लागत सस्ती हो सकती है?

इन सवालों के जवाब पांच ताजा घटनाओं में छिपे हैं.

पहली करवट

अगस्त 1946—अमेरिका में फिलाडेल्फिया के तट पर 1,15,000 बैरल तेल लेकर आया टैंकर लंगर डालने की तैयारी में था. कुवैत से चले इस टैंकर के तेल पहुंचते ही अमेरिका आधिकारिक तौर पर के तेल आयातक हो गया. दो साल के अंदर सऊदी अरब का तेल भी अमेरिका पहुंचने लगा.

दूसरे विश्व युद्ध के पहले तक अमेरिका तेल का इतना बड़ा निर्यातक था कि जंग में मित्र देशों की तेल खपत का 90 फीसद हिस्सा अमेरिका से आया. अलबत्ता युद्धोत्तर मांग और ऑटोमोबाइल उद्योग की उड़ान के साथ 1948 में अमेरिका प्रमुख आयातक हो गया. दुनिया की सियासत पर, इस करवट का असर अगले सत्तर साल तक रहने वाला था.

2014 में अमेरिका के (सऊदी अरब और रूस के बाद) तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक बनने के साथ तेल कीमतों में निर्णायक ढलान शुरू हो गई थी. लेकिन 2019 का नवंबर में वक्त ने सबसे बड़ी करवट ली. अब अमेरिका तेल (रिफाइनरी उत्पाद और कच्चा तेल) का शुद्ध निर्यातक बन गया है. वह अपने यहां गैसोलीन सस्ता रखते हुए ओपेक कार्टेल का दबदबा तोड़ रहा है. कनाडा और लैटिन अमेरिका के बाजारों को अमेरिकी आपूर्ति के बाद 2020 से तेल की कीमतों ने उबलना बंद कर दिया. अमेरिका अब दुनिया के अन्य बाजारों को तेल निर्यात के लिए तैयार है.

दूसरी करवट

मार्च 2020—कोविड के कहर के बीच सऊदी अरब ने एशिया, अमेरिका यूरोप के लिए कच्चे तेल की कीमत 6-8 डॉलर प्रति बैरल कम कर दी. ब्रेंट क्रूड, 1991 के बाद सबसे बड़ी गिरावट दर्ज करता हुआ 34 डॉलर प्रति बैरल से नीचे चला गया. इस फैसले से क्रूड ही नहीं टूटा बल्कि तेल उत्पादक देशों के 60 साल पुराने कार्टेल यानी ओपेक की एकजुटता भी दरक गई. ओपेक का सितारा अमेरिका के टेक्सस में कच्चे तेल का उत्पादन गिरने के बाद (1970) बुलंद हुआ था.

सऊदी अरब ने 2021 में भी सस्ता तेल बेचने का ऐलान किया. ओपेक प्लस (रूस) में असहमतियां बढ़ रही हैं. इस कार्टेल के सदस्य अब एक साथ उत्पादन घटाने-बढ़ाने पर राजी नहीं हैं. वे कीमतें घटाकर बाजार बचाने की  गलाकाट होड़ में उतर रहे हैं. भारत जैसों के लिए इसे अच्छी खबर क्या हो सकती है?

तीसरी करवट             

मार्च 2018—चीन ने शंघाई इंटरनेशनल एनर्जी एक्सचेंज पर युआन आधारित ऑयल फ्यूचर्स सौदों की शुरुआत की. यह पेट्रो डॉलर की जगह पेट्रो युआन के दौर का ऐलान था. खाड़ी में चीन की सक्रियता तेजी से बढ़ी है. वह सऊदी अरब का सबसे बड़ा व्यापारिक दोस्त है. तेल बाजार में चर्चा है कि सऊदी अरामको (विश्व की सबसे बड़ी तेल कंपनी) चीन की कंपनी को अपनी कुछ हिस्सेदारी बेच सकती है.

चौथी करवट

इंटरनेशल एनर्जी एजेंसी बता रही है कि तेल की मांग अब उबलने वाली नहीं है. महामारी ने जिंदगी बदल दी है. सभी देश ऊर्जा के नए गैर हाइड्रोकार्बन स्रोत पर काम कर रहे हैं. 2026 में विश्व में तेल की खपत का स्तर 2019 के बराबर ही रहेगा. तेल कंपनियां नया निवेश नहीं कर रही हैं. रिफाइनिंग उद्योग अब शायद कभी अपनी पूरी क्षमता (अभी 68-75 फीसद) का इस्तेमाल नहीं कर पाएगा.

यह चारों करवटें बता रही हैं कि

कच्चे तेल की तेजी के दिन गए. होड़ बढ़ी तो कीमतें और टूटेंगी.

कच्चे तेल की कीमत अब कार्टेल के जरिए नहीं बल्कि देशों के दोतरफा कूटनीतिक रिश्तों से तय होगी.

इन करवटों की धमक के बीच भारत के पेट्रोल-डीजल बाजार में भी सरकारी कार्टेल टूटने वाला है. जुलाई में सरकार ने छह निजी कंपनियों को पेट्रोल पंप खोलने की छूट दी. पहले यह लाइसेंस लेने के लिए तेल उद्योग में 2,000 करोड़ रुपए के निवेश की शर्त थी लेकिन अब केवल 250 करोड़ रुपए की नेटवर्थ वाली कोई कंपनी पेट्रोल पंप खोल सकती है. उन्हें सीधे आयातित तेल बेचने की छूट भी होगी. इसी व्यवस्था में रिलायंस ने बीपी के साथ नया लाइसेंस लिया है.

भारत में सस्ता पेट्रोल-डीजल संभव है. रिलायंस का रिफाइनिंग मार्जिन (एक बैरल कच्चे तेल को ईंधन में बदलने पर कमाई) करीब 12 डॉलर प्रति बैरल है जो सरकारी कंपनियों से दो डॉलर ज्यादा है. तेल विक्रेता देशों के बीच होड़ और अग्रिम खरीद का लाभ लेकर कंपनियां पेट्रोल-डीजल बाजार में होड़ शुरू कर सकती हैं. सऊदी अरामको तो रिलायंस की भागीदार है जो सस्ता तेल बेच रही है.

विनिवेश के बाद भारत पेट्रोलियम के निजी कंपनी में बदलते ही प्रतिस्पर्धा का चेहरा बदल जाएगा. दुआ कीजिए कि सरकार को पेट्रोल-डीजल पर टैक्सखोरी छोडऩे की सद्बुद्धि मिले. हमारी महंगाई का सबसे बड़ा अभिशाप खत्म होने को है.

3 comments:

Vinayak songade said...

Yha mehgayi bda mudda nhi dharm bda bna hua h. Logo pr Vichardhara or chamatkarik vyaktitva ka bhoot swar h. Serkar ki galat or asafal nitiyo se halat or mehgai bad rhi h jise tax bdakar, nam privartan krke , modi ji ka bday bnaker dabaya ja rha h

Satyanveshee said...

😂

Pankaj said...

Mahangayi Abhishap nhi bhakto ke liye ashirwaad hai