श्यी जिनपिंग और बराक ओबामा |
फोर मोर इयर्स !!!!! यकीनन यह नारा बराक ओबामा की
सत्ता में वापसी का ही है लेकिन जरा इस नारे को अमेरिकी सियासत के खांचे से
निकाल कर ग्लोबल फ्रेम में बिठाइये और उस पर चीन की रोशनी डालिये। फोर मोर इयर्स
बिलकुल नए अर्थों के साथ चमक उठेगा। अमेरिकी नारे को चीन की रोशनी में इसलिए देखना
चाहिए क्यों कि अगले चार साल तक अमेरिका और चीन के हैं। चीन और अमेरिका अपनी घरेलू मुश्किलों के जो भी समाधान निकालेंगे उनसे ग्लोबल
आर्थिक एजेंडा तय होगा। और फिर चीन के अमेरिका से आगे निकलने में भी तो अब चार ही वर्ष बचे हैं। ओईसीडी (विकसित देशो का संगठन) के ताजे आकलन के मुताबिक 2016 मे चीन अमेरिका को पछा़ड़ कर दुनिया की नंबर एक अर्थव्यवस्था हो
जाएगा।
सियासी संदर्भ
अमेरिका और चीन अपने सियासी और आर्थिक संस्कारों में खांटी तौर पर अलग हैं
लेकिन परिवर्तन की राह पर दोनों की कदमताल एक शानदार दृश्यावली है। यह संयोग कम ही
बनता है कि जब दुनिया के आर्थिक जेट को उड़ा रहे दो सबसे बड़े इंजनों ने अपनी
राजनीतिक ओवरहॉलिंग एक साथ पूरी की है। बराक ओबामा चार साल के लिए व्हाइट हाउस
लौट आए हैं जबकि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी में दशकीय सत्ता परिवर्तन हो रहा
है। ओबामा जनवरी में औपचारिक तौर पर दोबारा राष्ट्रपति बनेंगे जबकि श्यी जिनपिंग
मार्च में हू जिंताओ की जगह देश की कमान संभालेंगे। दुनिया की पहली और दूसरी सबसे
बडी अर्थव्यवस्थाओं