सोने के सिक्कों का प्रचलन !! फिर से ??... अमेरिका के राज्य यूटॉ ने बीते माह एक कानून पारित कर सोने व चांदी के सिक्कों का इस्तेमाल कानूनी तौर पर वैध कर दिया !!! सरकारें यकीनन बदहवास हो चली हैं। मगर हमें बेचैन होने से पहले दूसरी तस्वीर भी देख लेनी चाहिए। बीते सप्तांह सोना ऐतिहासिक ऊंचाई पर जाने के बाद ऐसा टूटा कि (तीन दिन में 200 डॉलर) कि नया इतिहास बन गया। निवेशक कराहते हुए नुकसान गिनते रह गए।... वित्तींय संकटों के तूफान में सोना अबूझ हो चला है। अनोखी तेजी व गिरावट, मांग व आपूर्ति की पेचीदा गणित और सरकारों की ऊहापोह ने सोने की गति को रोमांचक और रहस्यमय बना दिया है। डॉलर, यूरो, येन की साख घटते देख, निवेशक सोने पर दांव लगाये जा रहे हैं और सोने का उत्पादन तलहटी पर है और यह धातु वर्तमान मौद्रिक प्रणाली फिट भी नहीं होती। इसलिए असमंजस चरम पर है। सोने का इतिहास जोखिम भरा है, भविष्य अनिश्चित है मगर संकटों का वर्तमान इसे चमका रहा है। दुनिया में सोना नहीं बल्कि यह सवाल ज्यादा चमक रहा हे कि सोने का अब क्या होना है ??
अतीत की परछाईं
सोने को अतीत की रोशनी में परखना जरुरी है। आधुनिक होती दुनिया सोने से दूरी बढ़ाती चली गई है। पंद्रह अगस्त 1971 को अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने अमेरिकी डॉलर सोने की करीब 2000 वर्ष पुरानी गुलामी से आजाद किया था। अमेरिका में गोल्ड स्टैंडर्ड खत्म होते सरकारों की गारंटी वाली बैंक मुद्रा का जमाना आ गया। गोल्ड स्टैंडर्ड का मतलब था कि कागज की मुद्रा के मूल्य के बराबर सोना लेने की छूट। जबकि इनकी जगह आए बैंकनोट (तकनीकी भाषा में फिएट करेंसी या लीगल टेंडर) सरकारी की गारंटी वाले दस्तावेज हैं, जिनको नकारना गैर कानूनी है। चीन के तांग व सोंग (607 से 1200 ईपू) शासनकालों के दौरान आई नोटों की यह सूझ