अरे उन्होंने लाइबोर चुरा लिया!! लाइबोर क्या ?? लाइबोर यानी दुनिया के वित्तीय सिस्टम की सांस! लाइबोर यानी कि ग्लोबल बैंकिंग का सबसे कीमती आंकड़ा! दुनिया भर में बैंक कर्ज पर ब्याज दर तय करने का दैनिक पैमाना। लाइबोर जिसे देखकर टोकियो से न्यूयार्क तक और वेलिंगटन से सैंटियागो तक बैंक रोज अपनी दुकानें खोलते हैं। लाइबोर, (लंदन इंटरबैंक ऑफर्ड रेट-ब्याज दर) जो रोज यह तय करता है कि दुनिया भर की कंपनियां, उपभोक्ता, सरकारों को करीब 10 मुद्राओं में अलग अलग तरह के कर्ज किस ब्याज दर पर दिये जाएंगे। दुनिया में करीब 800 ट्रिलियन डॉलर का वित्तीय कारोबार जिस सबसे अहम पैमाने बंधा है, उस लाइबोर को, एक दर्जन छंटे हुए बैंक उड़े। उनके फायदे के लिए लाइबोर दो साल तक झूठे आंकडो के आधार पर मनमाने ढंग से तय हुआ और और पूरी दुनिया निरी बेवकूफ बनती रही। पूरा वित्तीय जगत सन्न है। लाइबोर की चोरी वित्तीय दुनिया के इतिहास का सबसे बड़ा संगठित संगठित वित्तीय अपराध साबित हो रहा है, पहले से ही बदनाम ग्लोबल बैंकिंग की पूरी संस्कृति ही अब दागी हो गई है। एक पुरानी अमेरिकी कहावत को सच लग रही है कि बैंकों में लुटेरों को नौकरी देने की जरुरत नहीं है, यह काम तो बैंकर खुद कर सकते हैं।
बैंक की नोक पर
वित्तीय बाजारों में कहावत है कि आप लाइबोर में कोई दिलचस्पी न रखते हों लेकिन लाइबोर आपमें पूरी रुचि रखता है। लंदन की घडि़यों में रोज सुबह 11 बजे 11.10 तक का वक्त पूरी दुनिया की बैंकिंग उद्योग के लिए सबसे कीमती होता है। इस दस मिनट के भीतर यह तय हो जाता है कि उस सरकारों लेकर उपभोक्ताओं तक के बैंक कर्ज से लेकर जटिल वित्तीय निवेशों (डेरीवेटिव) पर क्या ब्याज दर लगेगी। लाइबोर को देखकर विश्व के बैंक अलग अलग तरह के कर्जों पर अपनी ब्याज दरें तय करते हैं। लाइबोर का दैनिक उतार चढा़व बैंकों की वित्तीय सेहत का प्रमाण होता है। ऊंची लाइबोर (ब्याज) दर बैंकों की खराब सेहत और निचली दर बैंकों की खुशहाली का सबूत है। लाइबोर जटिल हो सकता है लेकिन इसका घोटाला बड़ी आसानी