क्या आपने ऐसे कानून के बारे में सुना है जो अपराध के संदिग्धों को ही जांच के दायरे से बाहर रखता हो ? वह टैक्स सिस्टम कैसा होगा जिसमें बड़े निवेशकों की सुविधा के लिए टैक्स का सिद्धांत ही बदल दिया जाए? क्या आपने ऐसा दौर कभी देखा है जब पूरी दुनिया वित्तीय जरायम को रोकने के लिए अपने टैक्स कानूनों को ताकत दे रही हो तब एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था टैक्स कानूनों के नख दंत उखाड़ कर उन्हें मरियल बनाने में जुट जाए। भारत में ऐसा ही होने जा रहा है। देशी विदेशी रास्तों से भारी टैक्स चोरी रोकने के नियम यानी जनरल एंटी अवाइंडेस रुल्स (गार) का तीन साल के लिए कोल्ड स्टोरेज में जाना तय है। इसके बाद यह अंदाजना कठिन नहीं है कि काला धन रोकने और टैक्स हैवेन से पैसा लाने का सरकारी कौल कितना खोखला और नपुंसक है। मुट्ठी भर विदेशी निवेशक एक संप्रभु देश के टैक्स कानून पर भारी हैं।
टैक्स हैवेन मॉडल
गार के टलने के बाद अब दुनिया को एक नए टैक्स दर्शन के लिए तैयार हो जाना चाहिए। भारत वित्तीय जरायम व टैक्स चोरी के कानूनों में नया पहलू जोड़ने जा रहा है। भारत के कर कानूनों मे टैक्स हैवेन देशों को विशेष आरक्षण मिलेगा। गार को टालने की सिफारिश करने वाल पार्थसारथी शोम समिति की राय है कि मारीशस से आन वाला निवेश गार की जांच के दायरे से बाहर रहे। यानी कि जिस रास्ते से भारत में सबसे ज्यादा निवेश आता है और जहां से टैकस चोरी का सबसे बड़ा शक है उसे ही जांच से बाहर रखा जाए। यही नहीं समिति तो यह भी कह रही है कि विदेशी निवेशकों को इस अनोखी छूट के बदले देशी निवेशकों को भी शेयर आदि में निवेश पर टैक्स (कैपिटल गेंस) से छूट दे दी जाए। यानी कि विदेशी भी कानून से मुक्त और देशी भी। यह तो टैक्स हैवेन