Showing posts with label GAAR. Show all posts
Showing posts with label GAAR. Show all posts

Monday, September 10, 2012

ताकतवर होने का डर


क्‍या आपने ऐसे कानून के बारे में सुना है जो अपराध के संदिग्‍धों को ही जांच के दायरे से बाहर रखता हो ? वह टैक्‍स सिस्‍टम कैसा होगा जिसमें बड़े निवेशकों की सुविधा के लिए टैक्‍स का सिद्धांत ही बदल दिया जाए? क्‍या आपने ऐसा दौर कभी देखा है जब पूरी दुनिया वित्‍तीय जरायम को रोकने के लिए अपने टैक्‍स कानूनों को ताकत दे रही हो तब एक उभरती हुई अर्थव्‍यवस्‍था टैक्‍स कानूनों के नख दंत उखाड़ कर उन्‍हें मरियल बनाने में जुट जाए। भारत में ऐसा ही होने जा रहा है। देशी विदेशी रास्‍तों से भारी टैक्‍स चोरी रोकने के नियम यानी जनरल एंटी अवाइंडेस रुल् (गार) का तीन साल के लिए कोल्‍ड स्‍टोरेज में जाना तय है। इसके बाद यह अंदाजना कठिन नहीं है कि काला धन रोकने और टैक्‍स हैवेन से पैसा लाने का सरकारी कौल कितना खोखला और नपुंसक हैमुट्ठी भर विदेशी निवेशक एक संप्रभु देश के टैक्‍स कानून पर भारी हैं।
टैक्‍स हैवेन मॉडल 
गार के टलने के बाद अब दुनिया को एक नए टैक्‍स दर्शन के लिए तैयार हो जाना चाहिए। भारत वित्‍तीय जरायम टैक्‍स चोरी के कानूनों में नया पहलू जोड़ने जा रहा है। भारत के कर कानूनों मे टैक्‍स हैवेन देशों को विशेष आरक्षण मिलेगा।  गार को टालने की सिफारिश करने वाल पार्थसारथी शोम समिति की राय है कि मारीशस से आन वाला निवेश गार की जांच के दायरे से बाहर रहे। यानी कि जिस रास्‍ते से भारत में सबसे ज्‍यादा निवेश आता है और जहां से टैकस चोरी का सबसे बड़ा शक है उसे ही जांच से बाहर रखा जाए। यही नहीं समिति तो यह भी कह रही है कि विदेशी निवेशकों को इस अनोखी छूट के बदले देशी निवेशकों को भी शेयर आदि में निवेश पर टैक्‍स (कैपिटल गेंस) से छूट दे दी जाए। यानी कि विदेशी भी कानून से मुक्‍त और देशी भी। यह तो टैक्‍स हैवेन

Monday, May 14, 2012

डरे कोई भरे कोई


णनीति बन चुकी थी। मोर्चा तैयार था। फौजी कमर कस चुके थे। अचानक बहादुर सेनापति (वित् मंत्री) ने ऐलान किया कि मोर्चा वापस ! अब हम एक साल बाद लड़ेंगे ! सब चौंक उठे। सेनापति  बोला यह मत समझना कि हम डर गए हैं ! हमें किसी परिणाम की चिंता नहीं है!  बस, हम  बाद में लड़ेंगे !!.... यह कालेधन खिलाफ भारत की लड़ाई की कॉमेडी थी जो बीते सप्ताह लोकसभा से प्रसारित हुई। इनकम टैक् के जनरल एंटी अवाइंडेस रुल् (गार) , पर अमल रोक दिया गया। इन नियमों से देशी विदेशी कंपनियों के लिए भारती टैकस कानूनों से बचने के मौके बंद हो रहे थे, इसलिए अभूतपूर्व लामबंदी हुई। डरना तो टैक्‍स चोरों को था मगर डर गई सरकार। वित् मंत्री झुके और टैक्  चोरी काली कमाई रोकने की एक दूरगामी और हिम्मती पहल बड़े औचकसंदिग् तरीके से वापस हो गई।  पूरी दुनिया ने देखा कि टैकस चोरी रोकने की कोशिश करने पर भारत को शर्मिंदा होना पड़ सकता है। गार की वापसी से देश के टैक्‍स कानून की साख को मजबूत करने की एक बड़ी कोशिश भी खत्‍म हो गई। आयकर विभाग अब दीन हीन छोटे टैकसपेयर पर अपनी बहादुरी दिखायेगा।
रीढ़ कहां है
 टैक्स कानूनों की कसौटी पर कसे जाने के बाद च्छे कारोबार के भीतर आर्थिक जरायम और टैक्‍स चोरी निकलती हैं। टैकस कानूनों ने तमाम कथित साफ सुथरे कारोबारों के पीछे कालेधन के गोदाम पकड़े हैं, जिन की सड़कें टैक् हैवेन तक जाती हैं। जनरल एंटी अवाइंडेस रुल् यानी गार की रोशनी दरअसल इन्हीं अंधेरे कोनों के लिए थी। भारत में टैक् चोरी को साबित करने के तरीके पुराने हैं। आयकर विभाग को टैक् चोरी से निबटने के लिए अदालत का सहारा लेना पड़ता है। जनरल एंटी अवाइंडेस रुल् कानूनों की नई पीढ़ी है। यदि किसी कंपनी या निवेशक ने कोई ऐसी प्रक्रिया अपनाई है जिसका मकसद सिर्फ टैकस बचाना है, उससे कोई कारोबारी लाभ नहीं है तो आयकर विभाग खुद खुद इन नियमों को अमल में लाकर कंपनी पर शिकंजा कस सकता है। भारत में तो गार और जरुरी है क्यों कि ज्यादातर विदेशी निवेश