दुनिया कभी एक कैरी पैकर के पीछे पड़ गई थी आईपीएल ने तो ग्लोबल क्रिकेट को नौ कैरी पैकर दे दिये हैं। इतिहास लिखेगा कि भारत ने दुनिया के क्रिकेट को दागी बनाने में सराहनीय योगदान किया है।
उस शहर के लोग कुश्तियों के दीवाने थे। एक
सयाने को नायाब बिजनेस प्लान सूझा। उसने
शहर के नौ पहलवान तैयार किये। वह हर साल उनकी कुश्तियां कराता था और
कद्रदानों से खूब पैसा कमाता था। कमाई पहलवानों व आयोजक के बीच बंट जाती। खेल चल निकला।
लेकिन तब तक पहलवानों को कमाई के दूसरे रास्ते भी दिखने लगे। उन्होंने कुश्ती पर
दांव लगाने वाले से जरायमों से दोस्ती कर ली और मिली कुश्ती का यह खेल मनोरंजन
से अपराध तक फैल गया। इस कहानी में कुश्ती की जगह क्रिकेट रख दें तो आईपीएल बन
जाएगा जिसने भद्रजनों के खेल को भद्द पिटाने वाले खेल में बदल दिया है। क्रिकेट के
मुरीद, जो आईपीएल में फिक्सिंग से ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं
उन्हें तब और गहरा सदमा पहुंचेगा जब वह यह जान पाएंगे कि फिक्सिंग तो इसका बाहरी
दाग है दअरसल इस कारोबारी क्रिकेट की पूरी दाल ही काली है, जो पंटरों बुकीज की सुर्खियों
में छिप जाती है और अंतत: फिक्सिंग की जांच भी अंधेरे में गुम हो जाती है।
2007 में ललित मोदी, इंटरनेशनल स्पोर्ट्स
मैनेजमेंट ग्रुप (आईएमजी) के साथ जब इस आयोजन का खाका खींच रहे थे तब इरादा
क्रिकेट के भले का कोई इरादा नहीं था। मोदी ने इस मॉडल को क्रिकेट के सियासी
प्रशासकों, बड़ी कंपनियों और ऊंची कमाई वाले सेलेब्रिटीज को यह कहकर ही बेचा था कि
भारतीय क्रिकेट में पैसे की नदी