देवी सूक्त कहता है, लक्ष्मी श्वेत परिधान धारण करती है। अमृत के साथ, समुद्र से जन्मी शुभ व पवित्र लक्ष्मी सबको समृद्धि बांटती है, किंतु यह बेदाग लक्ष्मी मानो दुनिया के आंगन से रुठ ही गई है। यहां तो अमावस जैसी काली लक्षमी पूरे विश्व में जटा खोले अघोर नृत्य कर रही है। यह लक्ष्मी करों के स्वर्ग (टैक्स हैवेन) में निवास करती है और बड़े बड़ों के हाथ नहीं आती। काली लक्षमी का दीवाली अपडेट यह है कि कर स्वर्गों के दरवाजे खोलने चले दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क हार कर बैठ गए हैं। खरबों डॉलर छिपाये दुनिया के 72 कर स्वर्ग पूरे विश्व को फुलझडि़यां दिखा कर बहला रहे हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी ने बीते एक साल में इन स्वर्गों को धमका फुसलाकर अपनी काली लक्ष्मी की कुछ खोज खबर हासिल भी कर ली मगर भारत तो बिल्कुल गया बीता है। कर स्वर्गों को दबाने के बजाय हमारी सरकार काले धन की जांच रोकने के लिए अदालत के सामने गिड़गिड़ा रही है। दीपावली पर शुद्ध और पवित्र लक्षमी की आराधना करते हुए, काली लक्ष्मी की ताकत बढ़ने की खबरें हमें मायूस करती हैं।
ताकतवर मायाजाल
भारतीय पिछले सप्ताह जब महंगाई में दीवाले का हिसाब लगा रहे थे तब दुनिया को यह पता चला कि वित्तीय सूचनायें छिपाने वाले मुल्कों की संख्या 72 ( 2009 में 60) हो गई है। प्रतिष्ठित संगठन टैक्स जस्टिस नेटवर्क की ताजी पड़ताल ने यह भ्रम खत्म कर दिया कि कर स्वर्गों के खिलाफ जी20 देशों की दो साल पुरानी मुहिम को कोई कामयाबी मिली है। कर स्वर्ग में करीब 11.5 ट्रिलियन डॉलर छिपे हैं। काली लक्षमी के इन अंत:पुरों में करीब पचास फीसदी पैसा (1.6 ट्रिलियन डॉलर-ग्लोबल फाइनेंशियल इंटीग्रिटी रिपोर्ट 2006) विकासशील देशों से जाता है। इन के कारण विकासशील देश हर साल करीब एक ट्रिलियन डॉलर का टैक्स गंवाते हैं। पैसा भेजने वाले पांच प्रमुख देशों में भारत शामिल है। चीन इनका अगुआ है। टैक्स जस्टिस नेटवर्क का फाइनेंशियल सीक्रेसी इंडेक्स 2011 बताता है कि केमैन आइलैंड