चीन के लिए जीएसटी अच्छी खबर नहीं है लेकिन भारतीय उद्योगों के लिए क्या यह खुश खबरी है ?
इस साल दीपावली पर चीन में बने बल्ब और पटाखे अगर कम नजर आएं तो जीएसटी को याद कीजिएगा. चीन से जीएसटी का अनोखा रिश्ता बनने वाला है. यह सस्ते चीनी सामान के आयात पर भारी पड़ेगा. रिएक्टर, मशीनें, टरबाइन जैसे बड़े आयात बेअसर रहेंगे लेकिन जीएसटी के चलते सस्ते उत्पादों की अंतरदेशीय बिक्री थम सकती है जिससे तात्कालिकमहंगाई नजर आएगी.
चीन से आने वाले सस्ते खिलौने, छोटे इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबाइल एसेसरीज, बिजली के सामान, टाइल्स, क्रलोरिंग, स्टेशनरी व प्लास्टिकके कारण दिल्ली के गक्रफार मार्केट, नेहरू प्लेस या मुंबई का मुसाफिर खाना मनीष मार्केट और देशभर में फैले ऐसे ही दूसरे बाजार गुलजार रहते हैं. इन बाजारों में अगले कुछ महीनों के दौरान सन्नाटा नजर आ सकता है.
चीन के सस्ते करिश्मे आम लोगों तकपहुंचने की शुरुआत भारतीय आयातकों के यिवू (सस्ते सामानों का दुनिया में सबसे बड़ा बाजार) पहुंचकर माल चुनने और ऑर्डर देने से होती है. इन आयातों पर 14 से 28 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी लगती है.
चीन में उत्पादन पर सब्सिडी के चलते ज्यादातर सामान बेहद सस्ते होते हैं इसलिए कई उत्पादों पर काउंटरवेलिंग या ऐंटी डंङ्क्षपग ड्यूटी (0 से 150 फीसदी तक) भी लगाई गई है ताकि देशी उत्पादको संरक्षण मिल सके. हाल में ही सरकार ने सेरमिकक्रॉकरी और सिलाई मशीन के पुर्जों पर ऐंटी डंपिंग ड्यूटी लगाई है.
सस्ते चीनी माल का आयात थोकमें (पूरा कंटेनर) होता है. अंतरराज्यीय वितरण तंत्र इनकी बिक्री की रीढ़ है जिसके जरिए पलकझपकते चीन माल शहरों से कस्बों और गांवों तकफैल जाता है. ज्यादातर बिक्री नकद में होती है जो टैक्स नेटवर्क से बाहर है.
छोटे व्यापारी थोकविक्रेताओं से उपभोक्ताओं की तरह माल खरीदते हैं. टैक्स व ट्रांसपोर्ट अधिकारियों की मुट्ठी गरमाते हुए उपभोकताओं तकमाल पहुंचाते हैं. चीनी उत्पादों की लागत इतनी कम है कि ऊंची इंपोर्ट ड्यूटी, रिश्वतों और सबके मार्जिन के बावजूद सामान बेहद सस्ता बिकता है।
जीएसटी चीनी सामान की अंतराज्यीय बिक्री के लिए बुरी खबर है
कोई गैर रजिस्टर्ड कारोबारी अंतरराज्यीय बिक्री नहीं कर सकेगा। राज्यों के बीच चीनी सामान की आवाजाही टैक्स राडार पर होगी। ई वे बिल लागू होने के बाद गैर रजिस्टर्ड ट्रांसपोर्ट लगभग बंद हो जाएगा
जीएसटी की छूट सीमा (20 लाख के टर्नओवर पर छूट और 75 लाख तक कारोबार पर कंपोजीशन स्कीम) वाले कारोबारी भी अंतरराज्यीय कारोबार नहीं कर सकेंगे। यानी कि सस्ते चीनी माल को स्थानीय बाजार में ही बेचना होगा इससे आपूर्ति सीमित हो जाएगी
खुदरा कारोबारियों के जरिये चोरी छिपे अंतरराज्यीय बाजारों में पहुंचने वाले सामान की मात्रा कम ही होगी
जीएसटी नेटवर्कमें पंजीकरण के बाद बिकने वाला चीनी सामान टैक्स के कारण खासा महंगा होगा
सरकार ने जीएसटी के तहत कई एसे सामानों पर ऊंचा टैक्स (18 और 28 फीसदी) लगाया है जो आमतौर पर चीन से आयात होते हैं
जीएसटी का यह तात्कालिक 'फायदा' शुरुआत में दर्द लेकर आने वाला है
1. चीन से आना वाला सस्ता मांग भारत में कई चीजों की महंगाई रोकने में बड़ी भूमिका निभाता है इनमें प्लास्टिक, इलेक्ट्रॉनिक्स, लाइटिंग, क्रॉकरी आदि प्रमुख हैं। इन कारोबारों में किल्लत और कीमतें बढऩा लगभग तय है। कीमतों में ज्यादा तेजी दूरदराज के बाजारों में दिखेगी जहां सीधे आयात नहीं होता।
2. भवन निर्माण, इलेक्ट्रानिक्स रिपयेरिंग जैसे कई उद्योग व सेवायें चीन से सस्ते माल पर निर्भर हैं । देशी उत्पादन इनकी कमी पूरी नहीं कर सकता इसलिए कई बाजारों में लंबे समय तकसन्नाटा रह सकता है
3.छोटे शहरों में चीनी माल की बिक्री के कारोबार और रोजगार में खासी कमी आ सकती है
अलबत्ताअगर आप इसे भारतीय उद्योगों के लिए मौके के तौर पर देख रहे हैं तो उत्साह को संभालिये। चीन से आयात होने वाले सामान के बदले भारत में उत्पादन की जल्दी शुरुआत मुश्किल है।
इसकी भी वजह जीएसटी ही है।
जीएसटी में उन उत्पादों पर ऊंचा टैक्स लगा है जो छोटे व असंगठित क्षेत्र में बनते हैं और चीनी माल का विकल्प बन सकते हैं इसके अलावा जीएसटी नियमों को लागू करने की भी खासी ऊंची होगी। ईंधन यानी पेट्रोल डीजल, बिजली, कर्ज और जमीन की महंगाई के कारण परेशान छोटे उद्योगों के लिए जीएसटी चैत की कड़ी धूप की मानिंद है
भारतीय उद्योग इतनी बड़ी मात्रा में इतने सस्ते सामान नहीं बना सकते, इसलिए सस्ते चीनी माल की आपूर्ति लौटेगी अलबत्ता इस बार चीनी उत्पाद जीएसटी के नेटवर्कमें दर्ज होकर आएंगे। उपभोक्ताओं के लिए कीमतें और चीनी सामान का इस्तेमाल करने वालों की लागत बढेगी लेकिन सरकार का राजस्व भी बढेगा।
क्या देशी उद्योग चीनी माल से टक्कर ले पाएंगे?
उसके लिए सरकारों को कमाई का लालच छोड़ कर टैक्स कम करने होंगे
जीएसटी से फायदा है या नुकसान! फिलहाल, यह फैसला हम आप छोड़ते हैं गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स का सफर तो अभी बस शुरु ही हुआ है