सोना इस साल की सबसे बड़ी वित्तीय पहेली है और विश्व के सबसे ताकतवर मौद्रिक मुखिया बर्नाके, फेड रिजर्व के प्रमुख की कुर्सी छोड़ते हुए इस पहेली को और उलझा गए हैं।
... और फिर दुनिया के सबसे बड़े बैंकर ने विनम्रता
के साथ कहा कि माफ कीजिये, “ मैं
सोने की कीमतों का रहस्य नहीं समझता, सोने के महंगा ससता होने वजह शायद ही कोई
समझ या समझा सके ” आप ठीक समझ रहे
हैं, यह अमेरिकी फेड रिजर्व के मुखिया बेन बर्नांके ही हैं जो पिछले दिनों अमेरिकी
संसद की समिति के सामने सोने के समझने में अपनी असमर्थता का बयान कर रहे थे। सोना
इस साल की सबसे बड़ी वित्तीय पहेली है और विश्व के सबसे ताकतवर मौद्रिक मुखिया
बर्नाके, फेड रिजर्व के प्रमुख की कुर्सी छोड़ते हुए इस पहेली को और उलझा गए हैं। 2013
का साल सोने कीमतों में तूफानी उतार-चढ़ाव का गोल्डेन इयर है सोने के अनोखे मिजाज
ने इस आम निवेशकों वित्तीय बाजारों से लेकर सरकारों और केंद्रीय बैंकों तक के
ज्ञान बल्ब फ्यूज कर दिये हैं। सोना अब एक ग्लोबल नीतिगत चुनौती है यह चिदंबरम
जैसे वित्त मंत्रियों की भी मुसीबत है जिनके देश में सोने की मांग और आयात थमता ही
नहीं। और यह उन बैंकरों की भी उलझन है जिन्होंने ग्लोबल बाजारों में संशय के
कारण बीते बरस सोने की काफी खरीद की है या सोने पर आधारित वित्तीय उपकरणों में
निवेश किया है।
अक्टूबर के पहले मंगलवार को सोना जब एक घंटे में
40 डॉलर प्रति आउंस टूटा तो सोने को समझने के दावे भी ध्वस्त हो गए। अप्रैल,जून
और अक्टूबर की तगड़ी गिरावट के बीच इस साल सोने की अंतररराष्ट्रीय कीमतों ने (लंदन)
में 1693 डॉलर प्रति औंस ऊंचाई भी देखी और 1232 डॉलर की गर्त भी। अमेरिका की मौद्रिक
नियंता बेन बर्नाकें की हैरत जायज है क्यों
कि सीमित दायरे में घूमने वाले सोने का यह स्वभाव