अथार्थ
मुंबई की अदालत में मिंट चबा रहा हसन अली दरअसल भारत के कानून को चबा रहा था। हसन अली को जमानत देते हुए अदालत पूरी दुनिया को बता रही थी कि भारत की जांच एजेंसियों का डायनासोरी तंत्र अपने सबसे पुराने और मशहूर कर चोर व काले धन के सरगना के खिलाफ एक कायदे का मुकदमा भी नहीं बना सकता। दो माह पहले वित्त मंत्री बड़े भोलेपन के साथ विश्व को बता चुके हैं कि हसन अली के स्विस बैंक खाते तो खाली हैं। होने भी चाहिए, काले धन पर इतनी चिल्ल-पों के बाद के बाद कोई अहमक ही खातों में पैसा रखेगा। हसन अली हमारी व्यावस्था की शर्मिंदगी का शानदार प्रतीक है। स्विस बैंक की गर्दन दबाकर अमेरिका अपने 2000 हसन अलियों का सच उगलवा लेता है और प्रख्यात टैक्स हैवेन केमैन आइलैंड का धंधा ही बंद करा देता है। फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन के डपटने पर लीचेंस्टीन, वर्जिन आइलैंड पैसा व जानकारी समर्पित कर देते हैं लेकिन हसन अली का देश यानी भारत तो दुनिया में उन देशों में शुमार है, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में जिनका रिकार्ड संदिग्ध है क्यों कि भारत ने आज तक भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र की अंतरराष्ट्रीय संधि पर दस्तंखत नहीं किये हैं। इस संधि के बिना किसी कर स्वर्ग से जानकारी कैसे मिलेगी। दरअसल हसन अली ने जो छिपाया है उससे ज्यादा खोल दिया है वह कालेधन, कर चोरी, हथियारों की दलाली और वित्तीय जरायम से निबटने की हमारी क्षमताओं का नंगा सच उघाड़ रहा है। हसन अलियों के लिए भारत स्वर्ग यूं ही नहीं बन गया है।
हसन अली के मौके
एक्साइज इंस्पेक्टर का बेटा हसन अली भारत में सर्वसुलभ रास्तों पर चल कर काले धन दुनिया का सितारा बना है। काले धन के उत्पादन पर उपलब्धं टनों शोध व अध्ययनों के मुताबिक कर चोरी काले धन की पैदावार का सबसे बड़ा जरिया है। याद कीजिये भारत में तस्करी की दंतकथायें कर कानूनों के कारण ही बनी थीं। कर नियमों में स्थिरता और पारदर्शिता कर चोरी रोकती है। मगर भारत में तो हर वित्त मंत्री अपने हर बजट में कर कर व्यवस्था मनचाहे ढंग से कहीं भी