हॅालीवुड के सबसे काबिल रोमांच निर्माता मिल कर भी दुनिया को थर्राने की उतनी कुव्वत नही रखते जितनी काबिलियत अमेरिका के मुट्ठी भर राजनेताओं में है। 2012 के अंतिम दिन फिस्कल क्लिफ से बचने की कोशिश, अमेरिकी सियासत का सन्न कर देने वाला तमाशा थी। राजकोषीय संकट की गोली कान के पास निकल गई। अमेरिका वित्तीय संकटों के भयानक टाइम बम पर बैठा है जो किस्म किस्म के घाटों, अकूत कर्ज, कमजोर ग्रोथ के बारुद से बने हैं। बुरी तरह विभाजित अमेरिकी सियासत पलीता लेकर इस बारुद के पास नाच रही है। फिस्कल क्लिफ की मुसीबत टलने से किसी को राहत नहीं मिली है कयों कि ग्लोबल अर्थव्यवस्था के लिए अमेरिकी फैक्ट्री में कुछ और बड़े संकट बन रहे हैं, जिनसे बचने के लिए राजनीतिक सहमति जरुरी होगी जबकि अमेरिकी सियासत तो आत्मघाती संकटों की दीवानी हो चली है। दुनिया की सरकारों, बाजारों व बैंको को 2013 में अमेरिका के नेताओं से डरना चाहिए यूरोप के कर्ज से नहीं।
2013 के पहले दिन अमेरिका तकनीकी तौर राजकोषीय संकट में फंस गया था। पिछले वर्षों में लागू की गई कर रियायतों और खर्च में बढ़ोत्तरी को रोकने का आटोमेटिक सिस्टम ही फिस्कल क्लिफ था जो एक जनवरी 2013 को लागू हो गया। असर इसलिए नहीं हुआ कि क्यों कि नए साल की छुट्टिया थीं। घाटा कम करने के लिए टैक्स बढ़ाने पर एक ढीली ढाली सहमति बन गई, जिसे अमेरिकी कांग्रेस ने मंजूरी दे दी। अमेरिका के लिए बजट घाटे की फांस खत्म नहीं