महाराष्ट्र में पवारों, गडकरियों, कांग्रेस और शिव सेना मौसरे भाई वाले रिश्तों पर क्या चिढ़ना, भ्रष्टाचार का दलीय कोआपरेटिव तो मराठी राजनीति का स्थायी भाव है, गुस्सा तो सियासत की निर्ममता पर आना चाहिए। जिसने भारत के इतिहास के सबसे नृशंस भ्रष्टाचार को अंजाम दिया है। मत भूलिये कि अब हम राजनीतिक भ्रष्टाचार के एक जानलेवा नमूने से मुखातिब हैं। महाराष्ट्र को दुनिया भारत में सबसे अधिक किसान आत्महत्या वाले राज्य के तौर पर जानती है। सिंचाई के पैसे, बांध की जमीनों और कीमती पानी की लूट का इन आत्महत्याओं से सीधा रिश्ता है। महाराष्ट्र का सिंचाई घोटाला दरअसल देश की सबसे बड़ी खेतिहर त्रासदी की पटकथा है।
पानी की लूट
महाराष्ट्र देश का इकलौता राज्य है जहां पिछले कई दशकों में सिंचाई पर किसी भी राज्य से ज्यादा खर्च हुआ है। राज्य की पिछली डेवलपमेंट रिपोर्ट बताती है कि नवीं योजना तक महाराष्ट्र में सिंचाई पर खर्च, पूरे देश में कुल सिंचाई खर्च का 18 फीसदी था। आगे की योजनाओं में यह और तेजी से बढ़ा। खेतों को पानी देने पर खर्च के मामले में उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे बड़े खेतिहर राज्य यकीनन महाराष्ट्र के सामने पानी भरते हैं। महाराष्ट्र में राजनेताओं के लिए सिंचाई सबसे मलाईदार विभाग