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दैनिक जागरण में 16 सितंबर को प्रकाशित समाचार
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चीन का खतरा अब देश की सीमाओं तक ही सीमित नहीं है। हमारी अर्थव्यवस्था के बड़े हिस्से पर भी उसका परोक्ष कब्जा हो गया है। लगभग 26 फीसदी औद्योगिक उत्पादन चीन से आयातित इनपुट या उत्पादों पर निर्भर है, यानी उसकी मुट्ठी में है। यह हैरतअंगेज निष्कर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) का है। एनएसए सचिवालय ने चीन पर हाल में सरकारी विभागों को एक रिपोर्ट दी है। इसके अनुसार चीन ने कई संवेदनशील क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता पर दांत गड़ा दिए हैं। बिजली, दवा, दूरसंचार और सूचना तकनीक के क्षेत्रों में उसका दखल खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। रिपोर्ट के बाद विदेश मंत्रालय व आर्थिक मंत्रालयों में हड़कंप है।
करीब आठ पेज की यह गोपनीय रिपोर्ट बेहद सनसनीखेज है। एनएसए ने इस साल मार्च में योजना आयोग और अगस्त में आर्थिक मंत्रालयों के साथ बैठक की थी। इसके बाद यह रिपोर्ट तैयार की गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन की नीयत और नीतियां साफ नहीं है। चीन दूरसंचार और सूचना तकनीक के क्षेत्रों में अपने दखल का इस्तेमाल साइबर जासूसी के लिए कर सकता है। इस रहस्योद्घाटन ने सरकार के हाथों से तोते उड़ा दिए हैं कि अगले पांच साल में चीन हमारे 75 फीसदी मैन्यूफैक्चरिंग उत्पादन को नियंत्रित करने लगेगा। इस समय देश मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र का करीब 26 फीसदी उत्पादन चीन से मिलने वाली आपूर्ति के भरोसे है। एक देश पर इतनी निर्भरता अर्थव्यवस्था को गहरे खतरे
की तरफ ले जा रही है। रिपोर्ट के मुताबिक तमाम तरह की सब्सिडी और मौद्रिक अवमूल्यन के चलते चीन हमारी तुलना में 40 फीसदी सस्ता उत्पादन करता है, जिससे भारत की औद्योगिक प्रतिस्पतर्धा टूट रही है।
की तरफ ले जा रही है। रिपोर्ट के मुताबिक तमाम तरह की सब्सिडी और मौद्रिक अवमूल्यन के चलते चीन हमारी तुलना में 40 फीसदी सस्ता उत्पादन करता है, जिससे भारत की औद्योगिक प्रतिस्पतर्धा टूट रही है।
चीन के असर से भारत की आत्मनिर्भरता को खतरे के कई उदाहरण इस रिपोर्ट में दर्ज हैं। हमारे उद्योग बिजली बचाने वाले सीएफएल लैंप के प्रमुख कच्चे माल (फॉस्फोरस) के लिए चीन पर पूरी तरह निर्भर हैं। हाल में फॉस्फोरस की कीमत बढ़ाकर चीन ने यहां के सीएफएल उद्योग की चूलें हिला दीं। स्टील और इसके उत्पादों में ही चीन की कीमतें यहां से 26 फीसदी कम हैं। हमारा दवा उद्योग भी कुछ बेहद जरूरी (फर्मेंर्टेशन आधारित) कच्चे माल यानी और बल्क ड्रग के लिए चीन के ही भरोसे है। घरेलू दवा उद्योग चीन से सस्ते आयात के चलते सालाना 2500 करोड़ का नुकसान उठा रहा है। कंपनियां चीन से आयातित पेनिसिलीन जी पर एंटी डंपिंग लगाने के लिए सरकार से गुहार लगा रही हैं।
एनएसए का निष्कर्ष है कि भारत में दूरसंचार उद्योग अपनी जरूरत के 50 फीसदी उपकरण आयात करता है, जिसमें चीन का हिस्सा 62 फीसदी है। बिजली परियोजनाओं के एक तिहाई ब्वॉयलर और टरबाइन जनरेटर चीन से आए हैं, जो भारत के मुकाबले 6 से 20 फीसदी सस्ते हैं। दूरसंचार और बिजली क्षेत्र में चीन के दखल को लेकर सुरक्षा चिंताएं चरम पर हैं। यही चिंता सूचना तनकीक उत्पादों को लेकर भी है, जिनका आयात का आकार 2020 तक पेट्रो आयात से ज्यादा हो जाएगा। चीन इन उत्पादों का दुनिया में सबसे बड़ा निर्यातक है, इसलिए भारत में प्रमुख सप्लायर है।
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ड्रैगन के दांत – कुछ नमूने
फार्मा उद्योग –
कई जरुरी बल्क ड्रग के लिए चीन पर पूरी तरह निर्भरता, घरेल दवा उद्योग को हर साल 2500 करोड़ का नुकसान
बिजली उपकरण
सीएफएल का कच्चा माल, फास्फोरस शत प्रतिशत चीन से आयातित – हाल में फास्फोरस की कीमत बढ़ाकर चीन ने उद्योग की चूले हिलाईं
दूरसंचार
दूरसंचार उपकरण आयात का 62 फीसदी हिस्सा चीन से, सुरक्षा को लेकर गंभीर खतरा, साइबर जासूसी का शक
बिजली
ग्यारहवी व बारहवीं योजना में बिजली संयंत्रों के लिए टरबाइनों का एक तिहाई आयात चीन से, संवेदनशील क्षेत्रों में चीनी घुसपैठ
सूचना तकनीक
चीन दुनिया का सबसे बड़ा सूचना तकनीक उत्पाद निर्यातक, भारत का सूचना तकनीक उत्पाद आयात 2020 तक तेल आयातों से ज्यादा होने की संभावना
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सुरक्षा सलाहकार का डर
- सब्सिडी व मुद्रा अवमूल्यन को कारण चीन का उत्पादन भारत से 40 फीसदी सस्ता
- पांच साल में 75 फीसदी औद्योगिक उत्पादन चीन पर निर्भर होगा
- दूरसंचार व बिजली क्षेत्र में चीन की दखल से सुरक्षा का गंभीर खतरा
- संचार उपकरणों से साइबर जासूसी का शक
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