Friday, August 23, 2019

डर का कानून


मृद्धि लाने वालों का सम्मान करेंउन पर शक उचित नहीं है.’’ लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सुनकर टैक्स अधिकारी जरूर मुस्कराए होंगेक्योंकि सच तो वह है जो राजस्व विभाग और प्रवर्तन निदेशालय के बंद कमरों में  उनसे कहा जाता है.

पिछले छह-सात वर्षों सेभारत की सरकारें कर प्रशासन को लेकर गहरी दुविधा में हैंवे कर नियमों में उदारता और सख्ती के बीच सही संतुलन बना पातींइससे पहले कुख्यात टैक्स नौकरशाही ने कर और वित्तीय कामकाज के कानूनों को निर्मम बनाकरकरदाताओं को सताने की अकूत ताकत जुटा ली.

अलबत्ता नया आयकर कानून तो कब से नहीं आया और जीएसटी तो टैक्स प्रणाली सहज करने के वादे के साथ लाया गया थातो फिर ऐसा क्या हो गया कि टैक्स नौकरशाही कारोबारियों के लिए आतंक का नया नाम बन गई है.

टैक्स टेरर का यह दौर ऐंटी मनी लॉन्ड्रिंग कानून (2005 से लागू 2009 और 2013 में संशोधनकी देन है जिसने कारोबार को लेकर न केवल नौकरशाही का नजरिया बदल दिया बल्कि उन्हें भयानक ताकत भी दे दीजन्म से ही विवादित इस कानून में अब तक के सबसे सख्त प्रावधानों (संपत्ति की कुर्कीअसंभव जमानतकी मदद से प्रवर्तन निदेशालय (एनफोर्समेंट डायरेक्टरेटदेश की सबसे ताकतवर सतर्कता एजेंसी बन गई है.

मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ ग्लोबल मुहिम में भारत अजीबोगरीब अंदाज में शामिल हुआपहली एनडीए सरकार (वाजपेयीके दौर में भारतीय अर्थव्यवस्था में उदारीकरण के बीच सरकार ने विदेशी मुद्रा विनिमय को भयानक फेरा कानून की जकड़ से मुक्त किया थाइसकी जगह फेमा लाया गया जो विदेशी मुद्रा नियम उल्लंघन को सिविल अपराध की श्रेणी में रखता थालेकिन तब तक आतंक को वित्त पोषण और नशीली दवाओं के कारोबार को रोकने के लिए एफएटीएफ (1989) और संयुक्त राष्ट्र की अगुआई में मनी लॉन्ड्रिंग कानूनों पर ग्लोबल सहमति (1998) बन चुकी थीजिसने अमेरिका पर आतंकी हमले (9/11) के बाद तेजी पकड़ीनतीजतनविदेशी मुद्रा के इस्तेमाल को उदार करने वाला फेमा और कारोबार पर सख्ती का ऐंटी मनी लॉन्ड्रिंग कानून एक साथ संसद में (2002-यशवंत सिन्हामें पेश हुए.

2009 के बाद इस कानून के दांत दिखने शुरू हुए. 2012 में पिछली तारीख से टैक्स (वोडाफोनलगाने का विवाद उभरा और तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी यह कहते सुने गए कि भारत कोई टैक्स हेवेन नहीं हैइस वक्त तक राजस्व नौकरशाही देश के हर कारोबार को संभावित मनी लॉन्ड्रिंग के चश्मे से देखने लगी थी.  ऐंटी मनी लॉन्ड्रिंग कानून इतना खौफनाक इसलिए है क्योंकि

·      यह अकेला कानून है जिसमें ईडी के अधिकारी सिर्फ अपने आकलन (रीजन टु बिलीवके आधार पर संपत्ति जब्त कर सकते हैंअदालत की मंजूरी जरूरी नहीं हैअगर मनी लॉन्ड्रिंग की गई संपत्ति विदेश में है तो बराबर की संपत्ति भारत में जब्त होगी. 

·       करीब दो दर्जन प्रमुख कानून और 75 से अधिक अपराध इसके दायरे में हैंइनमें ट्रेडमार्कपर्यावरण नष्ट करने के अपराध भी हैंइसके अलावा असंख्य संभावित अपराधों (प्रेडिकेट ऑफेंसमें भी मनी लॉन्ड्रिंग लग सकता हैइनकम टैक्स और जीएसटी इसके तहत नहीं है लेकिन टैक्स फ्रॉड से जुड़े मामलों पर अधिकारी मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाकर संपत्ति जब्त कर सकते हैं.

·       2017 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक इस कानून में जमानत भी मुश्किल थीअब भी आसान नहीं है.

सुस्त अभियोजन के लिए कुख्यात ईडी ने 2,000 से ज्यादा फाइलें खोल रखी हैं लेकिन आधा दर्जन मामलों का भी अभियोजन नहीं हुआ है. 2005 से अब तक ऐंटी मनी लॉन्ड्रिंग में कोई बरी भी नहीं हुआ हैवकील जानते हैं कि किसी भी अपराध में यह कानून लागू हो सकता है और कारोबारी का सब कुछ खत्म हो सकता हैआयकर के तहत कुछ ताजा बदलाव (अभियोग चलाने के कठोर प्रावधान या विदेश में काला धन छिपाने का ताजा कानूनभी इसी से प्रेरित हैं.

भारत की वित्तीय सतर्कता एजेंसियों के दो चेहरे हैंएक के जरिए वे सियासत के इशारे पर बड़े मामलों (जैसे चिदंबरममें सुर्खियां बटोरती हैं और अंततअदालत (2जीकोयलाकॉमनवेल्थमें ढेर हो जाती हैं जबकि दूसरा चेहरा अपनी ताकत से कारोबारियों का डराता हैसनद रहे कि लचर व्यवस्था में बेहद सख्त‍ कानून उत्पीड़क बन जाते हैं और भ्रष्टाचार बढ़ाते हैं. 

भारत में काले धन की धुलाई यानी मनी लॉन्ड्रिंग कितनी कम हुईकुछ हुआ होता तो नोटबंदी का कहर न टूटा होताभाजपायूपीए की सरकार के दौरान टैक्स आतंक को कोस कर सत्ता में आई थीपर आज प्रधानमंत्री ही लाल किले से टैक्स के आतंक को बिसूर रहे हैं.

मजा देखिए कि प्रधानमंत्री अपनी ही सरकार से यह कह रहे हैं कि सभी कारोबारियों को टैक्स चोर न समझा जाए ! बेचारे कारोबारी उनके लिए तो  

मेरा क़ातिल ही मेरा मुंसिफ़ है
क्या मिरे हक़ में फ़ैसला देगा! 

9 comments:

Unknown said...

सर अर्थात का कॉलम 1हफ्ते से बढ़ कर 2 या 3 बार किया जाए लल्लटॉप वाला क्योंकि इतना कुछ घटता है 1 हफ्ते में कहा 1 एपिसोड में आ पाता है।।।।

Vikash Rishi said...

आपके लेख पढ़कर अर्थव्यवस्था से जुड़ा ज्ञान बहुत ही सरल भाषा में मिल जाता है। ढेरों धन्यवाद सर

Santosh Gupta said...

sir it is very informative and easy to understand the economical matters

Kiradvivek said...

Sir friday se hi wait karne lagta hun aapke column ka

Economical matters ko samajhne me bahut madad milti h isase

Thanks a lot sir for such a grand column

anshuman tiwari said...

Many thanks for reading and watching
I will try my best to increase the frequency.
Regards

anshuman tiwari said...

अनंत आभार ...

anshuman tiwari said...

Many Thanks
Regards

anshuman tiwari said...

आपके स्नेनह के लिए अनंत आभार ...

Unknown said...

Sir what is the aim to introduced ibc 2016 law. 1.recovering of common people money bank's npa
Or2.wave off bank npa after providing 83% haircut to corporates in alok industries.
Which one is correct?