आत्मनिर्भरता की हुंकार से उत्साहित एक स्वदेशी भक्त ने अपने गुरु को जूम की वीडियो कॉल पर जोड़ा और दहाड़ा कि अब बजेगा चीन का बैंड!
गुरु ने शांत भाव से कहा बच्चा, पाखंड से बचो और पता करो कि चीन को कोसने के ताजा दौर की शुरुआत से पहले बीते एक साल में भारतीय स्टार्ट अप कंपनियों में चीन के 1.4 अरब डॉलर कैसे आ गए थे? फरवरी तक इनमें 54 बार चीनी निवेश हो चुका था. (रेफिनिटिव रिपोर्ट)
अगर बीते वर्षों में भारत की मैन्युफैक्चरिंग चीन पर निर्भर हो गई थी तो पिछले पांच साल में चीन की पूंजी ने भारत के डिजिटल भविष्य को जकड़ लिया है. हकीकत यह है कि बीते वर्षों में जब हमें आत्मनिर्भरता के झंडे पकड़ाकर चीनी लड़ियों-फुलझडि़यों के विरोध के लिए उकसाया जा रहा था तब पर्दे के पीछे डिजिटल इंडिया को मेड इन चाइना बनाने का अभियान चल रहा था.
कॉर्पोरेट मंत्रालय, स्टॉक एक्सचेंज (भारत व हांगकांग) में दिए गए ब्योरे, कॉर्पोरेट घोषणाओं और विदेशी निवेश के आंकड़ों पर आधारित, गेटवेहाउस (इंडियन काउंसिल ऑन ग्लोबल रिलेशंस) की ताजा रिपोर्ट बताती है कि भारत अब चीन के वर्चुअल बेल्ट ऐंड रोड प्रोजेक्ट (पूंजी व निवेश के दम पर एशिया से यूरोप तक फैला चीन का प्रभाव क्षेत्र) का हिस्सा बन चुका है.
स्टार्ट अप, मोबाइल ऐप्लिकेशन, ब्राउजर, बिग डेटा, फिनटेक, ई कॉमर्स, सोशल मीडिया, ऑनलाइन मनोरंजन आदि नई अर्थव्यवस्था का हिस्सा हैं. कोविड के बाद के भारतीय भविष्य की योजनाओं में चीन गहराई तक पैठ गया है.
• चीन के तकनीक निवेशकों ने मार्च 2020 तक पांच वर्षों में भारतीय स्टार्ट अप कंपनियों में करीब 4 अरब डॉलर का निवेश किया. भारत के 30 यूनीकॉर्न (एक अरब डॉलर से अधिक के वैल्यूएशन) स्टार्ट अप में से 18 में चीन का निवेश है. चीन की दो दर्जन तकनीकी कंपनियां भारत के 92 बड़े स्टार्ट अप में पूंजी डाल चुकी हैं
• शियोमी भारतीय बाजार की सबसे बड़ी मोबाइल कंपनी है और हुआवे सबसे बड़ी दूरसंचार उपकरण सप्लायर है
• अलीबाबा, टेनसेंट, शनवेई कैपिटल (शियोमी) और बाइटडांस भारतीय बाजार में सबसे बड़े निवेशक हैं
• पेटीएम, बिग बास्केट, डेलीहंट, टिकटनाउ, विडूली, रैपिडो, जोमैटो, स्नैपडील में निवेश के साथ अलीबाबा, ई कॉमर्स, फिनटेक व मनोरंजन क्षेत्र का सबसे बड़ा निवेशक है
• बायजूज, ओला, ड्रीम 11, गाना, माइगेट, स्विगी आदि में निवेश के साथ शिक्षा, गेमिंग, लॉजस्टिक्स, सोशल मीडिया, फिनटेक के स्टार्ट अप टेनसेंट की पूंजी पर चल रहे हैं
• शनवेई कैपिटल ने सिटी मॉल, हंगामा डिजिटल, ओय! रिक्शा, रैपिडो, शेयरचैट, जेस्टमनी में निवेश किया है
यानी कि बीते पांच बरस में डिजिटल इंडिया के प्रत्येक शुभंकर की कीर्ति कथा चीन की पूंजी से बनी है.
• गूगल प्ले और आइओएस पर सबसे ज्यादा डाउनलोड होने वाले ऐप्लिकेशन में 50 फीसद चीन की कंपनियों के हैं. बाइटडांस का टिकटॉक 20 करोड़ सब्सक्राइबर के साथ भारत में यूट्यूब को पीछे छोड़ चुका है. बाइटडांस का वीगो वीडियो और अलीबाबा का शेयरइट इसी फेहरिस्त का हिस्सा हैं
• अलीबाबा का यूसी ब्राउजर भारत के मोबाइल ब्राउजर बाजार में करीब 20 फीसद हिस्सा रखता है. टेनसेंट ने वीडियो नेटफ्लिक्स जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म मैक्स प्लेयर में पैसा लगाया है
• चीन की कंपनियों का अगला लक्ष्य (अब तक 57.5 करोड़ डॉलर का निवेश) इलेक्ट्रिक वाहन हैं. चीन की बीवाइडी इलेक्ट्रिक बस लाने जा रही है. वोल्वो और एमजी हेक्टर के जरिए चीन भारत के ऑटोमोबाइल बाजार में दखल बढ़ाएगा (गेटवेहाउस)
डिजिटल इंडिया पर चीन का नियंत्रण भारत को पेचीदा मुकाम पर ले आया है.
♦ पाकिस्तान, श्रीलंका, म्यान्मार, बांग्लादेश की तुलना में भारत में चीन का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नगण्य (6.2 अरब डॉलर) है पर स्टार्ट अप निवेश के जरिए उसने देश के डिजिटल भविष्य को घेर लिया है
♦ स्टार्ट अप शुरुआत में नुक्सान उठाते हैं. यहां ऐसे निवेश की पूंजी नहीं है. तभी अलीबाबा, टेनसेंट, बाइटडांस ने मोर्चा मार लिया है
♦ अधिकतर चीनी कंपनियां, फिनटेक, ई कॉमर्स, सोशल मीडिया, जैसे क्षेत्रों में सक्रिय हैं जहां उपभोक्ताओं के डेटा का अंबार है.
चीन की पूंजी निकलते ही स्टार्ट अप क्रांति बैठ जाएगी. आत्मनिर्भर भविष्य के लिए स्टार्ट अप पूंजी के स्रोत तैयार करने होंगे जो नुक्सान के बावजूद आती रहे. ऐसी उत्पादन क्षमताएं बनानी होंगी जो चीन से सस्ता उत्पादन कर सकें.
यह सब कुछ आत्मनिर्भरता की नारेबाजी जितना आसान नहीं है.
जॉन मिल्टन ठीक कहते थे कि परमात्मा के बाद केवल पाखंड ही है जो अदृश्य होकर मौजूद रहता है. चीन को लेकर पाखंड अगर खत्म हो तो शायद हम भारत की क्षमताओं और संभावनाओं का कहीं ज्यादा बेहतर इस्तेमाल कर सकेंगे.
5 comments:
But what's wrong if we are promoting made in India If not chiCh then what We should also think about that Yes it is true China is the largest manufacturer but China is not only the manufacturer we can take support from other countries also And most important we should spend more money on start up despite of giving loan to big industrialist
बहुत सुंदर।
I don't think india will be able to do much with the boycott people are aware of handful of Chinese company which they will boycott. But through investments china will keep getting indian users data
सर, क्या चीनी निवेश से चिंतित होना ठीक है? क्योंकि जहां तक मुझे जानकारी है चीन ने खुद अमेरिका और जापान के निवेश के दम पर विकास किया है।... अगर हमारे पास चीन का निवेश आता है तो क्या वो हमारे लिए लाभदायक नहीं होगा ?
अनन्त काल से पाखण्ड हमारे सामाजिक जीवन का अखण्ड भाग है।
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