चीन ने अपनी नई बिसात पर पहला मोहरा तो इस सितंबर में ही चल दिया था, उज्बेकिस्तान के समरकंद में शंघाई कोआपरेशन ऑर्गनाइजेशन की बैठक की छाया
में चीन, ईरान और रुस ने अपनी मुद्राओं में कारोबार का एक
अनोखा त्रिपक्षीय समझौता किया. यह अमेरिकी
डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देने
के लिए यह पहली सामूहिक शुरुआत थी. इस पेशबंदी की धुरी है चीन की मुद्रा यानी युआन.
नवंबर में जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ के बीजिंग में
थे चीन और पाकिस्तान के केंद्रीय बैंकों ने युआन में कारोबार और क्लियरिंग के
लिए संधि पर दस्तखत किये. पाकिस्तान को चीन का युआन कर्ज और निवेश के तौर पर मिल रहा है. पाक सरकार
इसके इस्तेमाल से रुस से तेल इंपोर्ट
करेगी.
दिसंबर के दूसरे सप्ताह में शी जिनपिंग सऊदी अरब की यात्रा पर थे.
चीन, सऊदी का अरब का सबसे बडा ग्राहक भी है सप्लायर भी.
दोनों देश युआन में तेल की खरीद बिक्री पर राजी हो गए. इसके तत्काल बाद जिनपिंग न
गल्फ कोआपरेशन काउंसिल की बैठक में शामिल हुए
जहां उन्होंने शंघाई पेट्रोलियम और गैस एक्सचेंज में युआन में तेल
कारोबार खोलने का एलान कर दिया.
डॉलर के मुकाबिल कौन
डॉलर को चुनौती देने के लिए युआन की तैयारियां सात आठ सालह पहले शुरु
हुई थीं केंद्रीय बैंक के तहत युआन इंटरनेशनाइलेजेशन
का एक विभाग है. जिसने 2025 चीनी हार्बिन बैंक और रुस के साबेर बैंक से वित्तीय
सहयोग समझौते के साथ युआन के इंटरनेशनलाइजेशन की मुहिम शुरु की थी. इस समझौते के
बाद दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं यानी रुस और चीन के बीच रुबल-युआन कारोबार शुरु
हो गया. इस ट्रेड के लिए हांगकांग में युआन का एक क्लियरिंग सेंटर बनाया गया
था.
2016 आईएमएफ ने युआन को इस सबसे विदेशी मुद्राओं प्रीमियम क्लब
एसडीआर में शामिल कर लिया. अमेरिकी डॉलर, यूरो, येन और पाउंड इसमें पहले से शामिल हैं. आईएमएफ
के सदस्य एसडीआर का इस्तेमाल करेंसी के तौर पर करते हैं.
चीन की करेंसी व्यवस्था की साख पर गहरे सवाल रहे हैं लेकिन कारोबारी ताकत के बल पर एसडीआर टोकरी में चीन का हिस्सा, 2022 तक छह साल में करीब 11 फीसदी बढ़कर 12.28 फीसदी हो गया.
कोविड के दौरान जनवरी 2021 में चीन के केंद्रीय बैंक ने ग्लोबल
इंटरबैंक मैसेजिंग प्लेटफार्म स्विफ्ट से करार किया. बेल्जियम का यह संगठन
दुनिया के बैंकों के बीच सूचनाओं का तंत्र संचालित करता है इसके बाद चीन में स्विफ्ट का डाटा सेंटर बनाया
गया.
चीन ने बैंक ऑफ इंटरनेशनल
सेटलमेंट के लिक्विडिटी कार्यक्रम के तहत इंडोनिशिया, मलेशिया, हांगकांग , सिंगापुर
और चिली के साथ मिलकर 75 अरब युआन का फंड भी बनाया है जिसका इस्तेमाल कर्ज परेशान
देशों की मदद के लिए के लिए होगा.
डिजिटल युआन का ग्लोबल प्लान
इस साल जुलाई में चीन शंघाई, गुएनडांग, शांक्सी, बीजिंग,
झेजियांग, शेनजेन, क्विंगादो
और निंग्बो सेंट्रल बैंक डिजिटल युआन पर केंद्रित एक पेमेंट सिस्टम की
परीक्षण भी शुरु कर दिया. यह सभी शहर चीन उद्योग और व्यापार के केंद्र हैं. इस प्रणाली
से विदेशी कंपनियां को युआन में भुगतान और निवेश की सुपिवधा देंगी. यह अपनी तरह की
पहला डिजिटल करेंसी क्लियरिंग सिस्टम है हाल में ही बीजिंग ने ने हांगकांग,
थाईलैंड और अमीरात के साथ
डिजिटल करेंसी में लेन देन के परीक्षण शुरु कर दिये हैं.
पुतिन भी चाहते थे मगर ...
2014 में यूक्रेन पर शुरुआती हमले के बाद जब अमेरिका ने प्रतिबंध लगाये थे तब रुस ने डॉलर से अलग रुबल में
कारोबार बढाने के प्रयास शुरु किये थे. और 2020 तक अपने विदेशी मुद्रा भंडार में
अमेरिकी डॉलर का हिस्सा आधा घटा दिया. जुलाई 2021 में रुस के वित्त मंत्री ने
एलान किया कि डॉलर आधारित विदेशी कर्ज को पूरी तरह खत्म किया जाएगा. उस वक्त तक
यह कर्ज करीब 185 अरब डॉलर था.
रुस ने 2015 में अपना क्लियरिंग सिस्टम मीर बनाया. यूरोप के स्विफ्ट के जवाब मे
रुस ने System for Transfer of Financial Messages (SPFS) बनाया
है जिसे दुनिया के 23 बैंक जुड़े हैं.
अलबत्ता युद्ध और कड़े प्रतिबंधों से रुबल की आर्थिक ताकत खत्म हो
गई. रुस अब युआन की जकड़ में है. ताजा आंकडे बताते हैं कि रुस के विदेशी मुद्रा
भंडार में युआन का हिस्सा करीब 17 फीसदी है. चीन फिलहाल रुस का सबसे बड़ा तेल
गैस ग्राहक और संकटमोचक है.
यूरोप की कंपनियों की विदाई के बाद चीन की कंपनियां रुस में सस्ती
दर पर खनिज संपत्तियां खरीद रही हैं.रुस का युआनाइेजशन शुरु हो चुका है.
भारत तीसरी अर्थव्यवस्था है जिसने अपनी मुद्रा यानी रुपये में
कारोबार भूमिका बना रहा है. रुस पर प्रतिबंधों के कारण भारतीय बैंक दुविधा में हैं. भारत सबसे बड़े
आयातक (तेल गैस कोयला इलेक्ट्रानिक्स) जिन देशों से होते हैं वहां भुगतान
अमेरिकी डॉलर में ही होता है.
युआन की ताकत
युआन
ग्लोबल करेंसी बनने की शर्ते पूरी नहीं करता. लेकिन यह चीन की मुद्रा कई देशों
के लिए वैकल्पिक भुगतान का माध्यम बन रही है. चीन के पास दो बडी ताकते हैं. एक
सबसे बडा आयात और निर्यात और दूसरा गरीब देशों को देने के लिए कर्ज. इन्ही के
जरिये युआन का दबदबा बढा है.
चीन के केंद्रीय बैंक का आंकड़ा बताता है कि युआन में व्यापार
भुगतानों में सालाना 15 फीसदी की बढ़ोत्तरी हो रही है. 2021 में युआन में गैर
वित्तीय लेन देन करीब 3.91 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंचा गए हैं. 2017 से युआन के
बांड ग्लोबल बांड इंडेक्स का हिस्सा हैं. प्रतिभूतियों में निवेश में युआन का
हिस्सा 2017 के मुकाबले दोगुना हो कर 20021 में 60 फीसदी हो गया है.
दूसरे विश्व युद्ध के बाद से अमेरिकी डॉलर व्यापार और निवेश दोनों
की केंद्रीय करेंसी रही है. अब चीन दुनिया का सबसे बड़ा व्यापारी है इसलिए बीते
दो बरस में चीन के केंद्रीय बैंक ने यूरोपीय सेंट्रल बैंक, बैंक ऑफ इंग्लैंड, सिंगापुर मॉनेटरी अथॉरिटी,
जापान, इंडोनेशिया, कनाडा,
लाओस, कजाकस्तान आदि देशों के साथ युआन में
क्लिरिंग और स्वैप के करार किये हैं.दुनिया के केंद्रीय बैकों के रिजर्व में
युआन का हिस्सा बढ़ रहा है.
इस सभी तैयारियों के बावजूद चीन की करेंसी व्यवस्था तो निरी
अपारदर्शी है फिर भी क्या दुनिया चीन की मुद्रा प्रणाली पर भरोसे को तैयार है? करेंसी की बिसात युआन चालें दिलचस्प होने वाली हैं
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